‘अदृश्य भारत’ : मैला ढोने के बजबजाते यथार्थ से मुठभेड़’ किताब का विमोचन

जुझारू पत्रकार भाषा सिंह द्वारा लिखित किताब ‘अदृश्य भारत’ मैला ढोने वालों के बजबजाते यथार्थ को बताती है। कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक यह उस भारत की दास्तान है, जो दिखाई नहीं देता। एक ऐसा अदृश्य भारत, जो किसी गिनती में नहीं है। यह किताब इसी का आईना है। भाषा सिंह ने देश के दस राज्यों में खदबदा रहे उस परिवर्तन को पकड़ने की कोशिश की है, जिसे उन्होंने पिछेल आठ साल में देखा है।

भाषा सिंह द्वारा लिखित यह किताब छुआछूत व जाति व्यवस्था से सबसे ज्यादा पीड़ित मैला उठाने वाले समुदाय की हृदय विदारक दास्तान है। इस किताब में छलका दर्द, तकलीफ व अपमान मैला ढोने वाले समुदाय से लगातार बने संवाद का नतीजा है यह किताब समानता और मानवीय सम्मान को तरजीह देने वाले लोगों के विवेक को झकझोरेगी।

लोकार्पण व बातचीत


लोकार्पणः मैले के नर्क से मुक्ति के लिए जमीनी संघर्ष कर रहीं आंध्र प्रदेश की नारायणम्मा, हरियाणा की सरोज, कश्मीर की महजबीं और उत्तर प्रदेश की माया गौतमद्वारा

मुख्य वक्ताः दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कौशल पनवार, भाकपा नेता डी.राजा, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन सुखदेव थोराट,साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा, भाकपा (माले) नेता श्रीलता स्वामीनाथन

कॉंस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्लीः 8 जून 2012
शाम 4.30 बजे
आप सादर आमंत्रित हैं

निवेदक
सफाई कर्मचारी आंदोलन व पेंग्विन बुक्स

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