अद्रा रेड़ पुनर्बसु पाती


अद्रा रेड़ पुनर्बसु पाती।
लाग चिरैया दिया न बाती।।


शब्दार्थ- रेड़-धान का उस स्थिति में पहुँचना जब बालें निकलती हैं। पाती-पत्ती।

भावार्थ- आर्द्रा नक्षत्र में बोये हुए धान के रेड़े मोटे होते हैं और यदि पुनर्वसु में बोवाई हुई तो सिर्फ पत्तियाँ ही अच्छी होती है। चिरैया (पुष्य) नक्षत्र में यदि धान की बोवाई हुई तो पैदावार इतनी कम होती है कि दिया-बत्ती तक का ठिकाना नहीं रह जाता।

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Post By: tridmin
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