अब स्टेशनों को देना होगा एक-एक बूँद का हिसाब


पानी के दुरुपयोग पर चलेगा आॅडिट का डंडा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के 18 स्टेशन शामिल

जलअब देशभर के लगभग डेढ़ सौ रेलवे स्टेशनों पर पानी के दुरुपयोग पर आॅडिट का डंडा चलेगा। इसका अर्थ हुआ कि अब स्टेशनों को पानी की एक-एक बूँद का हिसाब देना होगा।

रेलवे मन्त्रालय पहले चरण में 152 स्टेशनों पर पानी के उपयोग पर आॅडिट करवाएगा। इनमें 23 पर काम शुरू हो चुका है। पानी ही जीवन है और अब इस युक्ति पर पानी के किफायती उपयोग पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

वाटर रीसाइक्लिंग प्लाण्ट लगेंगे


रेलवे मन्त्रालय के अनुसार स्टेशनों पर वाटर रीसाइक्लिंग प्लाण्ट भी लगाने का निर्णय किया है। इसके लिये स्टेशनों का निर्णय बाकी है। देश के अधिकांश राज्यों में ट्यूबवैल लगाने के कारण जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। कम बारिश वाले इलाकों में यह समस्या और विकराल होती जा रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिये ही रेलवे ने वाटर हार्वेस्टिंग सुविधा को बढ़ावा देने का निर्णय किया है।

रेलवे मन्त्रालय ने जल संसाधन मन्त्रालय के साथ भी जल बचत सम्बन्धी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बाद देशभर के स्टेशनों को ट्रीटमेंट प्लाण्ट से पानी मिलेगा। इसे ट्रीटी वाटर कहा जाता है और इसका उपयोग रेलवे द्वारा टॉयलेट, स्टेशनों व ट्रेनों की धुलाई आदि में किया जा सकेगा।

होती है सबसे अधिक बर्बादी


देशभर के पर्यावरणविदों की शिकायत थी कि भारतीय रेलवे में पानी का सबसे दुरुपयोग किया जाता है लेकिन इसका कहीं दूर-दूर तक लेखा-जोखा नहीं रखा जाता। ऐसे में मन्त्रालय ने स्टेशनों में प्रमुख जल खपत केन्द्रों में आॅडिट करने का आदेश दिया है। इनमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान के प्रमुख स्टेशनों को भी शामिल किया गया है। इन तीनों राज्यों के 18 स्टेशनों का चयन किया पर नाम बताने से इनकार किया।

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