अपनी संवेदनशीलता व एस्कोरबिक एसिड व क्लोरोफिल की वजह से हवा में तैरते प्रदूषण तत्वों को सोख लेते हैं। पौधों पर हुए प्रयोग के अनुसार पौधे में 7.18 मिलीग्राम एस्कोरबिक एसिड रहता है। ये हवा में सल्फर डाइऑक्साइड को कम करने में मदद करता है। पौधे में 7.22 मिग्रा क्लोरोफिल होता है जो सल्फर डाइऑक्साइड के साथ कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम करता है। इस पौधे में अन्य पौधों से अधिक क्लोरोफिल होता है। प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण से निजात पाने के लिए एक पौधा रोपा जाएगा जो न केवल हवा को शुद्ध करेगा बल्कि प्रदूषण मापक का भी काम करेगा। फिलहाल भोपाल नगर निगम राजधानी में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए प्रयोग के तौर पर चार हजार पौधों को बारिश के दौरान रोपेगा। प्रयोग सफल रहा तो इसे पूरे प्रदेश में रोपा जाएगा। इस पौधे को अकासिया रिकोसफर्मा यानी वरदान के नाम से जाना जाता है।
भोपाल नगर निगम ने वरदान पौधों को रोपने के लिए 1.80 लाख रुपए का बजट तट किया है। ये पौधे अगले दो सप्ताह में किसी भी सरकारी, अर्द्ध सरकारी या फिर सहकारी संस्थान से लिए जाएंगे। निगम फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ले रहा है। इसके लिए राज्य सरकार से फंड लिया जा रहा है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो राजधानी में एक लाख पौधों का रोपण कर प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा।
निगमायुक्त विशेष गढ़पाले ने बताया कि जिन क्षेत्रों में ऑक्सीजन की बेहतर स्थिति होगी, वहां इन पौधों की पत्तियां हरे रंग की रहेगी। यदि प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो पत्तियों का रंग तो बदलेगा ही ये मोटी भी हो जाएंगी। ग्रीन सिटी की हमारी कल्पना है। इसके लिए प्रदूषण कम करना ही होगा। विशेष पौधों की भी इसमें मदद ली जा रही है।
1. पौधा प्रदूषण के प्रति बेहद संवेदनशील है
2. प्रदूषण अधिक तो पत्तियां हो जाएंगी मोटी
3. बढ़ता प्रदूषण रंग बदलकर बताएंगे पौधा
4. प्रदूषण को सोखकर हवा को शुद्ध भी करेगा
अपनी संवेदनशीलता व एस्कोरबिक एसिड व क्लोरोफिल की वजह से हवा में तैरते प्रदूषण तत्वों को सोख लेते हैं। पौधों पर हुए प्रयोग के अनुसार पौधे में 7.18 मिलीग्राम एस्कोरबिक एसिड रहता है। ये हवा में सल्फर डाइऑक्साइड को कम करने में मदद करता है। पौधे में 7.22 मिग्रा क्लोरोफिल होता है जो सल्फर डाइऑक्साइड के साथ कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम करता है। इस पौधे में अन्य पौधों से अधिक क्लोरोफिल होता है।
1.80 लाख बजट
भोपाल नगर निगम ने वरदान पौधों को रोपने के लिए 1.80 लाख रुपए का बजट तट किया है। ये पौधे अगले दो सप्ताह में किसी भी सरकारी, अर्द्ध सरकारी या फिर सहकारी संस्थान से लिए जाएंगे। निगम फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ले रहा है। इसके लिए राज्य सरकार से फंड लिया जा रहा है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो राजधानी में एक लाख पौधों का रोपण कर प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा।
ऐसे बदलेगा पत्तियों का रंग
निगमायुक्त विशेष गढ़पाले ने बताया कि जिन क्षेत्रों में ऑक्सीजन की बेहतर स्थिति होगी, वहां इन पौधों की पत्तियां हरे रंग की रहेगी। यदि प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो पत्तियों का रंग तो बदलेगा ही ये मोटी भी हो जाएंगी। ग्रीन सिटी की हमारी कल्पना है। इसके लिए प्रदूषण कम करना ही होगा। विशेष पौधों की भी इसमें मदद ली जा रही है।
पौधा है या प्रदूषण मापक
1. पौधा प्रदूषण के प्रति बेहद संवेदनशील है
2. प्रदूषण अधिक तो पत्तियां हो जाएंगी मोटी
3. बढ़ता प्रदूषण रंग बदलकर बताएंगे पौधा
4. प्रदूषण को सोखकर हवा को शुद्ध भी करेगा
ऐसे कम होगा प्रदूषण
अपनी संवेदनशीलता व एस्कोरबिक एसिड व क्लोरोफिल की वजह से हवा में तैरते प्रदूषण तत्वों को सोख लेते हैं। पौधों पर हुए प्रयोग के अनुसार पौधे में 7.18 मिलीग्राम एस्कोरबिक एसिड रहता है। ये हवा में सल्फर डाइऑक्साइड को कम करने में मदद करता है। पौधे में 7.22 मिग्रा क्लोरोफिल होता है जो सल्फर डाइऑक्साइड के साथ कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम करता है। इस पौधे में अन्य पौधों से अधिक क्लोरोफिल होता है।
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