अब इ-कोलाइ के बैक्टीरिया का कहर

कुछ माह पहले सुपरबग ने पूरी दुनिया को नये खतरे का अहसास कराया था। अब इ-कोलाइ का नया बैक्टीरिया सामने आया है। यूरोप में इसका फ़ैलाव बड़ी चिंता का कारण बन रहा है। यह खीरे के माध्यम से फ़ैला है और लोगों के पाचन तंत्र को विषैला कर रहा है। इससे सबसे ज्यादा जर्मनी प्रभावित हुआ है, जहां 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और दो हजार से अधिक लोग संक्रमित हो गये हैं।

जर्मनी में खीरा खाकर लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। यूरोप में स्पेन से आयातित खीरा इ-कोलाइ का एक ऐसा बैक्टीरिया छोड़ रहा है जो पाचन प्रक्रिया के दौरान जहर पैदा कर रहा है। इससे गंभीर बीमारी के बाद लोगों की मौत हो रही है। इस बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर नहीं हो रहा है। इससे सबसे ज्यादा जर्मनी प्रभावित हुआ है, जहां 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 2000 से अधिक लोग संक्रमित हो गये हैं। जर्मनी के पड़ोसी देशों समेत पूरे यूरोप में स्पेन के खीरे का निर्यात होता है। नयी बीमारी से ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, लक्जम्बर्ग, चेक-रिपब्लिक, ऑस्ट्रिया, हंगरी, स्वीडन, डेनमार्क, इंग्लैंड और नीदरलैंड में दहशत का माहौल है, क्योंकि यहां से बड़ी संख्या में लोग जर्मनी की यात्रा करते हैं। खीरे से पैदा हो रही इस नयी बीमारी का नाम एचयूएस ( हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम ) है। इसका दुनिया के दूसरे देशों में भी तेजी से फ़ैलाव हो रहा है। माना जा रहा है कि इ-कोलाइ जीवाणु के विषैले संक्रमण की लपटें जर्मनी से शुरू होकर अमेरिका तक पहुंच गयी हैं।

क्या है इ-कोलाइ


इ-कोलाइ इशचेरिचिया कोलाइ का संक्षिप्त रूप है। जर्मनी के वैज्ञानिक थियोडर इशचेरिच ने 1885 में इस बैक्टीरिया की खोज की थी। यह एक ऐसा बैक्टीरिया है जो मनुष्यों और पशुओं के पेट में हमेशा रहता है। इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानि रहित हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पेट में दर्द और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं। कई बार इनकी वजह से लोगों का गुर्दा ( किडनी ) काम करना बंद कर देता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। पानी मंा इ-कोलाइ बैक्टीरिया के होने का मतलब है कि पानी मलजल या जानवर के अपशिष्ट से संक्रमित है। इससे कई प्रकार की बीमारियां पैदा होती हैं।

बीमारी का नया रूप


इस बार जर्मनी से शुरु हुए संक्रमण में लोगों के गुर्दे और स्नायुतंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इस अवस्था को हिमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम कहते हैं। इस बार के संक्रमण में खूनी दस्त, गुर्दे की नाकामी और मिर्गी के दौरे जैसे लक्षण दिख रहे हैं। ज्यादातर लोगों में इ-कोलाइ बैक्टीरिया का जो रूप पाया गया है उसका नाम इ-कोलाइ 0104 है, जो आम नहीं है। अब तक इ-कोलाइ के ज्यादातर मामलों की वजह इ-कोलाइ 0157 : एच 7 रहा था, बैक्टीरिया के उस रूप से संक्रमित लोगों के लक्षण भी इसी तरह के होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस नये बैक्टीरिया को सुपर टाक्सिक की संज्ञा दे चुका है। इसका संक्रमण एक मनुष्य से दूसरे में सिर्फ़ हाथ मिलाने से भी हो सकता है।

कैसे होता है संक्रमण


इ-कोलाइ के बैक्टीरिया का संक्रमण आम तौर पर मांस के जरिये लोगों तक पहुंचता है, लेकिन इस बार इसका माध्यम सब्जियां हैं। जर्मन अधिकारियों का कहना है कि स्पेन से आयातित खीरे में इ-कोलाइ बैक्टीरिया पाया गया है। अच्छी तरह पका कर खाने से इ-कोलाइ बैक्टीरिया के जीवित रहने की आशंका समाप्त हो जाती है। लेकिन फ़ल और कई सब्जियां अकसर कच्ची खायी जाती हैं, इसीलिए संक्रमण फ़ैल रहा है। उनका मानना है कि इ-कोलाइ बैक्टीरिया पशुओं के मल के जरिये किसी तरह खीरे में पहुंचा, जहां से वह लोगों के पेट में जा रहा है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि ऐसा पशुओं के गोबर को खाद के तौर पर इस्तेमाल करने की वजह से हुआ होगा।

संक्रमण का सबसे खतरनाक पहलू है हीमोलिटिक यूरेमिक सिन्ड्रोम (एचयूएस)। बैक्टीरिया इ-कोलाइ की दो प्रजातियों से बना है और इसलिए अलग और ताकतवर भी है। यह बड़ी आंत में चिपक कर बैठ जाता है और फ़िर वहां जहर उगलता है। संक्रमण का एक और असर है तंत्रिका प्रणाली पर हमला। यह बैक्टीरिया उस ग्रुप का है जो शिगा नाम का जहर पैदा करता है। डॉक्टरों का मानना है कि यह हमेशा खतरनाक नहीं होता। कई लोगों को इसका इंफ़ेक्शन होता रहता है और हमें पता भी नहीं चलता, यह ठीक हो जाता है। इसका खतरनाक रूप एंटेरोहेमोरेजिक इशचेरिचिया कोलाइ ( इहेक ) के कारण सामने आया है। इससे ग्रसित मरीजों को काफ़ी मात्रा में ब्लड प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है।

बचाव के क्या हैं रास्ते


अधिकारियों ने लोगों को हिदायत दी है कि वे खीरा, टमाटर और गाजर जैसी सब्जियां कच्चा न खाएं। जानकारों का कहना है कि अगर फ़लों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर और छीलकर खाया जाये तो खतरा कम हो जाता है। इ-कोलाइ बैक्टीरिया फ़ल-सब्जियों के ऊपर होते हैं, न कि उनके भीतर। दूषित खाद्य या तरल पदार्थ पेट में ऐंठन और दस्त का कारण बनते हैं, जो अकसर खूनी होती है और उल्टी करती है। अगर सब्जियां अच्छे से पका कर खा रहे हैं, तो इ-कोलाइ बैक्टीरिया के उसमें बचे रहने की आशंका नहीं रहती है। सड़कों के किनारे बिकने वाले कटे फ़ल, बेल के रस और खाने-पीने की दूसरी चीजों से दूर रहें।

अगर किसी को डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर जैसी कोई समस्या नहीं है, तो सामान्य इ-कोलाइ का संक्रमण चार- पांच दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर मरीज को कोई दूसरी समस्या होती है तो उसे ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। ऐसे लोगों के लिए कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है, क्योंकि संक्रमण गंभीर रूप से फ़ैल जाने की हालत में खूनी दस्त होने लगता है। यूरोप में फ़ैले संक्रमण के मामलों में खूनी दस्त, किडनी फ़ेल होने और मिर्गी के दौरे जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। सबसे सही इलाज यही है कि जहर के कारण शरीर में कम हुए तत्वों को शरीर में डाला जाए। रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स की भरपाई करते रहना चाहिए। गंभीर मामलों में ट्रांसफ्यूजन, डायलिसिस या प्लाज्मा बदलना पड़ा सकता है। पर डायरिया रोकने वाली दवाएं नहीं लेनी चाहिए।

एंटीबायोटिक असर नहीं करती


बीजिंग के शेनजेन शहर के जेनोमिक्स संस्थान के वैज्ञानिक ने कहा, इ-कोलाइ बैक्टीरिया की नयी प्रजाति बहुत संक्रमणकारी है और अति जहरीली भी। चीनी वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्हें इस कीटाणु में ऐसे जीन मिले हैं जो इसे कई एंटीबायोटिक्स के लिए प्रतिरोधी बना देते हैं। एंटीबायोटिक इस पर काम नहीं करती हैं, इससे संक्रमण और आक्रामक हो जाता है। जब आप इस बैक्टीरिया को एंटीबायटिक से खत्म करते हैं तो यह शिगा नाम का जहर उगलता है। यह खून की कोशिकाओं और छोटी रक्त शिराओं को नष्ट कर देता है इससे खूनी पेचिश होता है। उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता ने कहा, इस प्रजाति से पहले कभी महामारी की स्थिति पैदा नहीं हुई थी।

स्पेन को भारी आर्थिक नुकसान


हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इ-कोलाइ के इस नये बैक्टीरिया के वास्तविक स्रोत का अभी पता नहीं चल पाया है और यह संक्रमण का एक नया प्रकार है। फ़िर भी लगभग पूरे यूरोप में स्पेन से आने वाले फ़लों और सब्जियों की खरीद बंद हो गयी है। जर्मनी और रूस ने स्पेन के खीरे के आयात पर रोक लगा दिया है। जर्मनी ने दावा किया था कि संक्रमण स्पेन से आये खीरों में मिला है।

स्पेन ने इस पर गहरी नाराजगी जतायी है। स्पेन के किसानों को एक सप्ताह में ही करीब 20 करोड़ यूरो का घाटा हुआ है और 70 हजार लोग बेरोजगार हो गये हैं। पोलैंड, फ्रांस ओद जर्मनी रूस को बड़ी मात्रा में फ़ल और ताजी सब्जियां बेचते हैं। वहीं नीदरलैंड्स से सलाद और टमाटर रूस भेजे जाते हैं। इन देशों के लिए यह एक बड़ा नुकसान है। यूरोपीय संघ ने पिछले साल रूस को 59.8 करोड़ यूरो की सब्जियां निर्यात की जबकि रूस से सिर्फ़ दो करोड़ नब्बे लाख यूरो का आयात हुआ। इ कोलाइ संक्रमण फ़ैलने से चिंतित रूस का कहना है कि सब्जियों को लेकर डर बना हुआ है।

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