8 हजार स्कूलों में विद्यार्थी प्यासे
बच्चों के लिए तमाम अधिकारों के वादे करने के बाद भी हम उन्हें वो सब उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं जो उनकी आधारभूत जरूरत है। बात केवल शिक्षा के अधिकार की ही करें तो बच्चों को स्कूल भेजने की अपील करने के पहले हम यह भूल जाते हैं कि स्कूलों में बच्चों को वह सब नहीं मिलता जो छह घंटे किसी एक जगह रहने के दौरान चाहिए, मसलन, पानी, शौचालय आदि। किताबें, क्लास रूम, ब्लैक बोर्ड, चाक, शिक्षक आदि की उपलब्धता की जाँच तो बाद में, पहले तो यह जान लीजिए कि प्रदेश के 32 हजार स्कूलों में पानी की किल्लत है। साढ़े 8 हजार स्कूलों में तो पेयजल का कोई साधन ही नहीं है। लगभग 24 हजार स्कूली बच्चों को शाला में हैण्डपम्प तक न होने से पढ़ने-पढ़ाने से ज्यादा जरूरी कार्य पानी का इंतजाम करना होता है।
कहने को तो सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को स्कूल ले चलने के लिए भारी खर्च हो रहा है लेकिन बच्चों के लिए सर्व सुविधायुक्त स्कूल का अधिकार अभी बहुत दूर है। शहर के किसी निजी नहीं बल्कि सरकारी स्कूल की तरह गाँव में भी एक स्कूल हो, यह सपना भी दूर की कौड़ी लगता है। प्रदेश के जबलपुर, गुना, खण्डवा, मंदसौर, रीवा, सागर आदि जिलों के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पीने के पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है। छिंदवाड़ा, धार, खरगोन, उज्जैन टीकमगढ़, राजगढ़, मंदसौर, बैतूल सहित कई जिलों के कई स्कूलों में हैण्डपंप नहीं है। जबकि बिजली संकट को देखते हुए तय किया गया था कि हर स्कूल में कम से कम एक हैण्डपंप तो खुदवाया ही जाए।
राज्य शिक्षा केन्द्र के अफसरों का कहना है कि जिलों को सर्वशिक्षा अभियान में स्वच्छ पेयजल व्यवस्था के लिए राशि का आवंटन किया गया था। लेकिन जो तस्वीर सामने आ रही है वह चिंताजनक है। आयुक्त मनोज झलानी ने जिला परियोजना समन्वयकों से पूछा है कि जो राशि इन स्कूलों में पेयजल व्यवस्था के लिए दी गई थी, उसका क्या हुआ। यदि उपयोग नहीं हुआ तो इसकी वजह क्या है? जाँच और जबाव-तलबी की यह रस्म भी उतनी ही पुरानी है जितनी की यह समस्या।
स्कूल कितने पानीदार
प्राथमिक स्कूल | 82 हजार 960 |
पेयजल व्यवस्था नहीं | 6 हजार 271 |
हैण्डपंप नहीं | 16 हजार 860 |
माध्यमिक स्कूल | 27 हजार 536 |
पेयजल व्यवस्था नहीं | 2 हजार 244 |
हैण्डपंप नहीं | 6 हजार 966 |
यहाँ पेयजल सुविधा नहीं
जिला | स्कूल | जिला | स्कूल |
बालाघाट | 401 | छतरपुर | 418 |
छिंदवाड़ा | 301 | दमोह | 288 |
धार | 418 | डिण्डौरी | 380 |
जबलपुर | 309 | गुना | 483 |
खण्डवा | 347 | खरगोन | 240 |
मंदसौर | 228 | राजगढ़ | 250 |
रतलाम | 202 | रीवा | 226 |
सागर | 223 | सिवनी | 471 |
शाजापुर | 513 | श्योपुर | 236 |
शिवपुरी | 422 | टीकमगढ़ | 292 |
(प्रस्तुत आँकड़े प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के हैं)
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