भूजल

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July 15, 2024 Kritsnam where engineering meets hydrology, founded by K. Sri Harsha focuses on developing accurate, easy to install, tamper-proof, and weather-proof smart water metering solutions to deal with the growing water crisis in India.
An AI generated image, highlighting water shortage and use of tankers to provide water but water being wasted when available (Image Source: Praharsh Patel)
July 2, 2024 Community governance for groundwater management
Jasmine on the fields as part of the groundwater collectivisation agreement at Kummara Vandla Palli village, Sri Satya Sai District. (Images: WASSAN/Swaran)
June 13, 2024 The rising trend of abandoning open wells for borewells in Chikkaballapur and Annamayya districts, and the potential negative consequences of this shift.
Borewell proliferation may dry up open wells (Image: FES)
May 19, 2024 The surprising connection between Wikipedia, beaches, and your water bottle.
A top down image of a lush green forest in a sacred grove in Meghalaya (Image created by: Sreechand Tavva)
May 15, 2024 बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है।
भूजल का अत्यधिक दोहन
May 12, 2024 Rethinking community engagement in the Atal Bhujal Yojana
Towards sustainable groundwater management (Image: IWMI)
पंचायत समिति टोडारायसिंह की भूजल स्थिति
Posted on 06 Nov, 2015 01:19 PM
पंचायत समिति, टोडारायसिंह (जिला टोंक) संवेदनशील (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा टोंक जिले में 745 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 626 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति निवाई की भूजल स्थिति
Posted on 06 Nov, 2015 01:17 PM
पंचायत समिति, निवाई (जिला टोंक) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा टोंक जिले में 745 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 626 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति मालपुरा की भूजल स्थिति
Posted on 06 Nov, 2015 01:12 PM
पंचायत समिति, मालपुरा (जिला टोंक) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा टोंक जिले में 745 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 626 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति देवली की भूजल स्थिति
Posted on 06 Nov, 2015 01:09 PM
पंचायत समिति, देवली (जिला टोंक) संवेदनशील (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा टोंक जिले में 745 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 626 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति सिरोही की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 03:45 PM
पंचायत समिति, सिरोही (जिला सिरोही) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

सिरोही जिला मुख्यतः चट्टानी क्षेत्र है एवं भूजल उपलब्धता पूर्णतया वर्षा पर निर्भर करती है। भूजल पुनर्भरण से अधिक मात्रा में दोहन होने के कारण सिरोही जिला अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत है।
पंचायत समिति शिवगंज की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 03:43 PM
पंचायत समिति, शिवगंज (जिला सिरोही) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

सिरोही जिला मुख्यतः चट्टानी क्षेत्र है एवं भूजल उपलब्धता पूर्णतया वर्षा पर निर्भर करती है। भूजल पुनर्भरण से अधिक मात्रा में दोहन होने के कारण सिरोही जिला अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत है।
पंचायत समिति रेवदर की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 03:41 PM
पंचायत समिति, रेवदर (जिला सिरोही) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

सिरोही जिला मुख्यतः चट्टानी क्षेत्र है एवं भूजल उपलब्धता पूर्णतया वर्षा पर निर्भर करती है। भूजल पुनर्भरण से अधिक मात्रा में दोहन होने के कारण सिरोही जिला अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत है।
पंचायत समिति पिण्डवाड़ा की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 03:40 PM
पंचायत समिति, पिण्डवाड़ा (जिला सिरोही) संवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृत

सिरोही जिला मुख्यतः चट्टानी क्षेत्र है एवं भूजल उपलब्धता पूर्णतया वर्षा पर निर्भर करती है। भूजल पुनर्भरण से अधिक मात्रा में दोहन होने के कारण सिरोही जिला अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत है।
पंचायत समिति आबू रोड की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 03:37 PM
पंचायत समिति, आबू रोड (जिला सिरोही) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

सिरोही जिला मुख्यतः चट्टानी क्षेत्र है एवं भूजल उपलब्धता पूर्णतया वर्षा पर निर्भर करती है। भूजल पुनर्भरण से अधिक मात्रा में दोहन होने के कारण सिरोही जिला अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत है।
पंचायत समिति सांकड़ा की भूजल स्थिति
Posted on 05 Nov, 2015 11:49 AM
पंचायत समिति, सांकड़ा (जिला जैसलमेर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जैसलमेर जिले में 18855 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 14559 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की निरन्तर कमी हो रही है।
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