The rising trend of abandoning open wells for borewells in Chikkaballapur and Annamayya districts, and the potential negative consequences of this shift.
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है।
As cities such as Bangalore grapple with the water crisis, understanding the value of conserving groundwater to prevent this from happening in the future is urgently needed!
Posted on 08 Nov, 2015 11:56 AM पंचायत समिति, मूण्डवा (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 04:18 PM पंचायत समिति, मेड़ता (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 04:15 PM पंचायत समिति, मकराना (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 04:08 PM पंचायत समिति, लाडनूँ (जिला नागौर) संवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 04:02 PM पंचायत समिति, कुचामन (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 01:14 PM पंचायत समिति, जायल (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 01:12 PM पंचायत समिति, डीडवाना (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 01:08 PM पंचायत समिति, डेगाना (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 12:57 PM पंचायत समिति, सराडा (जिला उदयपुर) संवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृतहमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा उदयपुर जिले में 283.63 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 240.53 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 07 Nov, 2015 12:49 PM पंचायत समिति, सलुम्बर (जिला उदयपुर) अर्द्धसंवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा उदयपुर जिले में 283.63 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 240.53 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।