पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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धर्म की देहरी और समय देवता
Posted on 07 Jan, 2017 04:17 PM

भारत इस अर्थ में नियति का चुना हुआ खास देश है कि यहाँ वह प्रयोग सम्भव है जिसकी संभावना गा

अज्ञान भी ज्ञान है
Posted on 07 Jan, 2017 02:03 PM

मुझे आज तक ऐसा एक भी धर्म ग्रंथ नहीं मिला, एक भी आदमी नहीं मिला, जिसने कहा हो कि अज्ञान क

पुस्तक परिचय : महासागर से मिलने की शिक्षा
Posted on 07 Jan, 2017 11:43 AM
अनपुम मिश्र अपनी शैली में अपने पिता पं.
अनुपम मिश्र
दुनिया का खेला
Posted on 06 Jan, 2017 04:53 PM


मैं उनसे कभी मिल नहीं पाया था। सभा गोष्ठियों में दूर से ही देखता था उन्हें। अपरिचय की एक दीवार थी। यह कोई ऊँची तो नहीं थी पर शायद मेरा अपना संकोच रोके रहा आगे बढ़कर मिलने से।

आज उनकी स्मृति में हम सब यहाँ एकत्र हुए हैं। उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ।

अनुपम मिश्र
साध्य, साधन और साधना
Posted on 06 Jan, 2017 03:12 PM
अगर साध्य ऊँचा हो और उसके पीछे साधना हो, तो सब साधन जुट सकते हैं
Anupam mishra
नासिक जनपद के पक्षी - एक संरक्षण निर्देशिका
Posted on 05 Jan, 2017 11:40 AM
वन्य जीवन एवं प्रकृति संरक्षण के प्रति जन जागरण शिक्षा और प्रशिक्षण के महत्त्वपूर्ण कार्य में लम्बे समय से रत विश्वरूप ब्रह्मव्रत राहा द्वारा लिखित, अजित बोर्जे द्वारा संकलित तथा पक्षी अध्ययन के प्रसिद्ध केन्द्र बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (मुम्बई) के उपनिदेशक डॉ.
पुस्तक, नासिक जनपद के पक्षी : एक संरक्षण निर्देशिका
पुस्तक परिचय - नरक जीते देवसर
Posted on 05 Jan, 2017 10:34 AM


तालाब, कुएँ, पोखर और जलाशयों का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्त्व है। इसका कारण तालाबों का हमारे रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ा होना है। एक समय तालाब और पोखर बनवाना पुण्य का काम समझा जाता था। लेकिन आधुनिकता और विकास के इस दौर में तालाब हमारे जीवन से बाहर हो गए हैं। पीने के लिये नल और सिचाईं के लिये नहर और ट्यूबवेल का उपयोग होने लगा।

नरक जीते देवसर
रायपुर जिले में तालाब (Ponds in Raipur District)
Posted on 02 Jan, 2017 12:39 PM
मानव आदिकाल से ही प्राकृतिक वातावरण से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता रहा है। वह अपने जीवन को सरल एवं सुखमय बनाने के लिये प्राकृतिक वातावरण में यथासंभव परिवर्तन भी करता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत वह अनेक वस्तुओं की रचना करता है जो दृश्य होते हैं।
नर्मदा घाटीः सचमुच कुछ घटिया विचार
Posted on 30 Dec, 2016 11:32 AM
हत्या से कुछ दिन पहले नर्मदा सागर बाँध का शिलान्यास करते हुए श्रीमती इंदिरा गाँधी ने कहा था कि वे इन बड़े बाँधों के पक्ष में नहीं हैं, पर विशेषज्ञ उन्हें बताते हैं कि इनके बिना काम चलेगा नहीं। लेकिन अब कुछ विशेषज्ञ ही नेताओं, अखबारों और लोगों को बताने लगे हैं कि इन बड़े बाँधों के बिना काम ज्यादा अच्छा चलेगा। मध्य प्रदेश शासन में सिंचाई सचिव रह चुके एक
Narmada
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