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वर्षा जल संग्रहण
वर्षाजल का संचय
Posted on 01 Feb, 2011 10:31 AMआज विश्व के हर भाग में मनुष्यों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जरा इन तथ्यों पर गौर करें:-
• एशिया के तीन में से एक व्यक्ति को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है।
• शहरी गरीबों में से 40 प्रतिशत को और कई ग्रामीण बस्तियों को सुरक्षित पेयजल नहीं मिलता।
जल संरक्षण की अनूठी मिसाल
Posted on 21 Sep, 2010 02:53 PMनागौर। वर्षा जल के संरक्षण और इसके सुचारू वितरण की मिसाल देखनी हो नागौर के निकट बासनी बेहलीमा गांव में चले आइए। उम्दा प्रबंधों के चलते बासनी में तालाब सबकी प्यास बुझा रहे हैं। जिला प्रशासन भी बासनी की तर्ज पर विभिन्न गांवों में जल प्रबंधन लागू करने की सोच रहा है।
नागौर से आठ किलोमीटर दूर बसे मुस्लिम बहुल इस गांव में 22 साल पहले तत्कालीन सरपंच हाजी उस्मान की पहल पर जल संरक्षण की शुरूआत हुई। जिसके बूते गांव के 3900 परिवारों के हलक तर हो रहे हैं।
स्कूलों की छतों पर वर्षा संग्रहण के तरीकों को सिखाने के लिए अर्घ्यम की एक निदेशिका पुस्तिका
Posted on 13 Feb, 2010 03:24 PMस्कूलों की छतों पर वर्षा जल संग्रहण आज के दौर में एक बहुत जरूरी काम हो गया है। बहुत से स्कूलों में इन दिनों पीने तथा अन्य उपयोग हेतु जल के स्थाई स्रोत नहीं होते हैं। स्कूलों के शौचालयों के फ्लश, बच्चों को हाथ पांव धोने शौचालय में साफ-सफाई के उपयोग हेतु तमाम कामों के लिए पानी की जरुरतें होती हैं। यदि हम स्कूलों की छतों पर गिरे वर्षा जल को संग्रहित कर सकें तो इन जरुरतों के लिए हमें साफ पानी अप
डग-डग डबरी
Posted on 20 Jan, 2010 10:04 AMउज्जैन जिला लगातार तीन वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है। पीने के पानी के लिए हाहाकार की स्थिति निर्मित हो जाती है। बेचारे किसानों के सामने तो रबी फसलों के लिए पानी का इतंजाम कैसे करें? यह समस्या आन पड़ती है। जिले में 150 फिट की गहराई का पानी समाप्त हो चुका है। कहीं-कहीं तो 500-600 फिट पर भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। अनेक किसान नलकूप से पानी प्राप्त करने की चाहत में कर्ज से लद गए। लेकिन उन्हें पानी नसीब नहीं हुआ। ऐसे अनेक किसान जमीन और नलकूप के मालिक होने के बाद भी मजदूरी कर इस कर्ज को पटा रहे हैं।
सम्पूर्ण जल प्रबंधन
Posted on 18 Jan, 2010 01:52 PMधरती पर गिरने वाले वर्षा जल की प्रत्येक बूंद को रोका जा सकता है। बशर्ते इसके लिए संरचनाओं की ऐसी श्रृंखला तैयार कर दी जायें कि पानी की एक भी बूँद 10 मीटर से अधिक दूरी पर न बहने पायें। इसे कोई जल संरचना रोक ले और धरती में अवशोषित कर ले यही संपूर्ण जल प्रबंधन है। जलग्रहण का सिद्धांत है कि ‘पानी दौड़े नहीं, चले’ है, जबकि संपूर्ण जल प्रबंधन का सिद्धान्त है कि ‘पानी न दौड़े न चले, बल्कि रेंगे और अंत
वर्षाजल संचयन का अनूठा उदाहरण
Posted on 19 Apr, 2009 06:36 PMरेनवाटर हारवेस्टिंग तकनीक सप्लाई वाटर की कमी से निपटने का तरीका भर नहीं है, कई बार इसकी मदद से इतना पानी जमा हो जाता है कि दूसरे स्रोत की जरूरत नहीं पडती और कुछ नियमित रेनवाटर स्रोत तो दूसरों को उधार तक देने की स्थिति में भी आ जाते हैं. केरल के एक जिला पंचायत कार्यालय की यात्रा कर श्री पद्रे ने ऐसा ही एक उदाहरण खोज निकाला है.
लापोड़िया : बदहाल गांव से हुआ खुशहाल गांव
Posted on 02 Mar, 2009 07:03 AM-देवकरण सैनी
जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामुहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है।
बावड़ियों ने सुलझाई पानी की समस्या
Posted on 23 Feb, 2009 09:42 AM-विपिन दिसावर
‘बिन पानी सब सून’ यह कहावत शहरों के साथ-साथ गांवों और कस्बों और यहां तक कि जंगलों में भी लागू होती है। खासतौर पर संरक्षित वन क्षेत्रों में तो बिना पानी के वहां के आकर्षण को जीवंत रखना संभव ही नहीं है। ऐसे में बेहतर जल प्रबंधन का प्रयास ही कामयाब हो सकता है।
साड़ी से रेन वाटर हार्वेस्टिंग
Posted on 06 Feb, 2009 12:15 AMवर्षाजल एकत्रित करने का देशज तरीका
कर्नाटक और केरल के भारी वर्षा वाले इलाके के गाँवों में ग्रामीण जनता पेयजल प्राप्त करने के लिये अपना खुद का “डिजाइन” किया हुआ “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” अपनाती है। इस खालिस देशी विधि के मुताबिक एक साड़ी के चारों कोनों को बारिश के दौरान खुले में बाँध दिया जाता है और उसके ढलुवाँ हिस्से के बीचोंबीच नीचे पानी एकत्रित करने के लिये एक बर्तन लगा दिया जाता है, जिससे कि एक ही विधि में पानी का इकठ्ठा होना और पानी का छनकर साफ़ होना हासिल कर लिया जाता है।