वर्षा और वर्षा के अन्य रूप

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May 8, 2024 What is the ecosystem based approach to water management? How can it help in solving the water woes of states in the Deccan Plateau?
An ecosystem based approach to water management (Image Source: India Water Portal)
January 25, 2024 This report by CEEW discusses the findings of a study on India’s first sub-district -level monsoon variability assessment to decode changing rainfall patterns across India during the southwest and northeast monsoon.
The moody monsoon (Image Source: Mayank Makhija via IWP Flickr photos)
August 16, 2023 India Water Portal is hosting a photo competition on World Photography Day. Hurry, send us your photos before 31st August!
May 8, 2023 Warming will not only lead to a decline, but also trigger monsoon extremes in the Indo Gangetic Plains.
A woman wades through knee-deep water with her belongings. (Picture courtesy - 101Reporters) (Source: IWP Flickr photos)
May 4, 2023 Climate change is expected to have significant impacts on the Indian monsoon
As per the India Meteorological Department (IMD), instances of heavy rainfall have increased by almost 85% in the country since 2012 (Image: Marina, 2009,Wikimedia Commons)
April 4, 2023 Forests greatly help in maintaining the water balance of nature by storing water during monsoons and making this water available during dry seasons. India urgently needs to save its forests to prevent droughts and the adverse effects of climate induced global warming.
Forests and soil moisture can act as buffers to store water during dry spells (Image Source: India Water Portal)
कालबैसाखी की कालिमा यानी कालबैसाखी झंझावात क्या है (what is Kal Baisakhi thunderstorm)
खूबसूरत मौसम खरामा-खरामा खौफनाक हो जाता है। प्रकृति में भी दूर की कौड़ी आ जाती है मध्य एशिया में इकट्ठी शीतकालीन हवाएं घड़ी की सूई की तरह सर्पिल गति से बिखर वितरित होने लगती है। यही हवा के झोंके हिमालय को लांघ उत्तर भारत के गांगेय मैदानी इलाकों को घेर लेते हैं। Posted on 07 Jul, 2023 11:19 AM

काल की तरह आती है कालबैसाखी कहर बरपा जाती है। संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस के अरण्यकांड में इसे 'धूरि पूरि नभ मंडल रहा' कहा है (आकाश धूलि धूसरित हो गया)। मार्च से मई तक के महीने मातमी माने जाते हैं। आकाश का उत्तरी-पश्चिमी आकर्षक छोर अचानक आक्रामक हो जाता है। गगनचुंबी बदरंग बादल गर्जन-तर्जन करने लगते हैं, कौंधती बिजली कड़कने लगती है, हुंकार भरती हवा के झोंके हू-हू करने लगते हैं, बलात बारिश क

कालबैसाखी कहर,फोटो क्रेडिट:IWPFlicker
अम्लीय वर्षा पर्यावरण के लिए चुनौती
उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थानप्राकृतिक कारणों से भी शुद्ध वर्षा का जल अम्लीय होता है। इसका प्रमुख कारण वायुमंडल में मानवीय क्रियाकलापों के कारण सल्फर ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन के द्वारा बनती हैं। यही गैसें वायुमंडल में पहुँचकर जल से रासायनिक क्रिया करके सल्फेट तथा सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करती है। Posted on 04 Jul, 2023 04:15 PM

जब वर्षा जल में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ वायुमंडल में प्रदूषित हवा में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा मिश्रित होती है, तो यह वर्षा जल से क्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड में बदल जाती है और यही जल जब पृथ्वी पर गिरता है, तो इसे एसिड रेन अथवा अम्लीय वर्षा कहते है । वर्षा जल में अमूलों की बड़ी मात्रा को या उपस्थिति को अम्लीय वर्षा कहा जाता है। प्राकृतिक कारणों से

अम्लीय वर्षा का प्रभाव,फोटो क्रेडिट- IWP Flicker
आई बरखा बहार
Posted on 08 Mar, 2010 07:47 AM

छह ऋतुओं का देश है भारत। प्रत्येक ऋतु का अपना अलग ही सौंदर्य है, उसकी अपनी प्राकृतिक पहचान है जिससे प्रभावित होकर कवियों ने अनेक छंद रचे तो चित्रकारों एवं संगीतकारों की भी सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है। छह ऋतुओं के अंतर्गत जो ऋतुएं प्रकृति में स्पष्ट परिवर्तन लातीं है तथा जिनके आगमन से जनमानस आनंदातिरेक के कारण फाग तथा कजरी–जैसे गीत प्रकारों को शब्द–बद्ध एवं स्वरबद्ध करता है, वह हैं – वसंत तथा वर

कैसे होती है कृत्रिम बारिश
Posted on 01 Dec, 2009 04:14 PM जुलाई के अंत में थोड़ी-सी बारिश के बाद मुम्बई नगर निगम ने अपनी उन छ: झीलों को भरने के लिए, जिनसे शहर भर को पीने का पानी मिलता है, ‘क्लाउड-सीडिंग’ का प्रयोग करने की सोची। दावा किया गया है कि मोदक सागर बांध पर मौसम की पहली क्लाउड-सीडिंग के चलते 7 अगस्त 09 को 16 मि.मी.
क्लाउड-सीडिंग
तापमान
Posted on 11 Sep, 2008 12:15 PM तापमान में भिन्नताएं भी भारतीय उप-महाद्वीप की विशेष पहचान है। नवम्बर से फरवरी तक के सर्दियों के महीनों के दौरान देश के अधिकांश हिस्से में महाद्वीपी हवाओं के कारण तापमान में दक्षिण से पश्चिम की तरफ गिरावट आ जाती है।
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