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सूखा और बाढ़
आपदा प्रबंधन: अनुभवों से कुछ नहीं सीखा
Posted on 22 Jul, 2011 03:06 PMएक अरब की आबादी वाला देश, जिसकी विज्ञान-तकनीक, स्वास्थ्य, शिक्षा और सेना के मामले में दुनिया मे
क्या शीत लहर प्राकृतिक आपदा नहीं है ?
Posted on 21 Jul, 2011 04:36 PMपूर्व में की गई अनेक अनुशंसाओं के बावजूद शीतलहर को प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में न डालना भारत
बड़े एहतराम से है बाढ़ का इंतजार
Posted on 04 Jul, 2011 02:35 PMकोसी के कछार बसी लाखों की आबादी बड़े एहतराम से बाढ़ का इंतजार कर रही है। पिछले एक माह से लगभग तय है कि इस साल कोसी फिर तटबंध का पिंजरा तोड़ कर खुले इलाके में सैर करेगी। बिहार की राज्य सरकार भी इस बात को स्वीकार कर रही है। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर सेबुंदेलखंड का दर्द
Posted on 22 Jun, 2011 09:41 AMएक बार फिर बुंदेलखंड राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र बन गया है। पखवाड़े भर पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की पार्टी में वापसी कराई है, जो कि बुंदेलखंड से ही आती हैं। भाजपा के इस दांव से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांदा में जनसभा कर चुके हैं, जिनके साथ कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी थे, जिनके एजेंडे पर बुंदेलखंड खास है। दरअसल कांग्रेस और भाजपा को लगता है
हरबोलों की जमीं पर हाहाकार
Posted on 21 Jun, 2011 01:43 PMबुंदेलखंड के किसान बेहाल हैं। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं है। जो पैसा पैकेज के तौर पर मिला भी है उसे तेजी से जमीन पर उतारा नहीं जा रहा है। विकास योजनाओं के पैसे की लूटखसोट जमकर हो रही है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
बुंदेले हरबोलों की सरजमीं पानी, पलायन, भुखमरी और कर्ज के दबाव में हो रही मौतों से जूझ रही है। राज्य की मायावती सरकार ने सत्ता की कुर्सी पर विराजमान होते ही केंद्र सरकार से इलाके के लिए 80 हजार करोड़ के पैकेज की मांग तो कर दी लेकिन नवंबर, 2009 में संयुक्त बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) के लिए केंद्र सरकार ने जो 7, 622 करोड़ रुपए का पैकेज दिया उसे जमीन पर विकास के रूप में उतारने में कोई तत्परता नहीं दिखाई। नतीजा यह कि जो थोड़ी-बहुत धनराशि केंद्र से बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर मिली उसका बड़ा हिस्सा अधिकारियों की जेब में चला गया। पैसों के सही इस्तेमाल के लिए जिला स्तर पर सफल मॉनीटरिंग तो दूर इसके संपूर्ण जानकारी संकलन की व्यवस्था तक नहीं है। बुंदेलखंड पैकेज का एक अरब 33 करोड़ रुपया आज भी विभागों में यूं ही पड़ा है।दरकते पहाड़ उफनती नदियां
Posted on 24 May, 2011 10:06 AMपिछले एक-डेढ़ साल में लेह में बादल का फटना, राजस्थान, बिहार और कर्नाटक और बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों में और अब दिल्ली और उत्तराखंड में आई बाढ़ ने कागजों पर चलते बाढ़ नियंत्रण आयोगों और योजनाओं को डुबो दिया है। आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि बारिश की मात्र कम हुई है और वर्षा-काल भी कम हुआ है, लेकिन बाढ़ से तबाही के इलाकों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
क्यों बन जाती है शहरों में बाढ़ की स्थिति
Posted on 03 Mar, 2011 04:11 PM नदियों या समुद्र के किनारे बसे नगरों में तटीय क्षेत्रों में निर्माजहां शोक बन जाती है गंगा, पद्मा और तिस्ता
Posted on 10 Feb, 2011 01:05 PMमालदा के केबी झाऊबन ग्राम पंचायत के तहत रहने वाले अहमद के परिवार के पास वर्ष 1971 में सौ बीघे जमीन थी। लेकिन हर साल बदलते गंगा के बहाव की वजह से होने वाले भूमिकटाव के चलते धीरे-धीरे उसकी जमीन नदी के पेट में समाती गई और आज उनके पास एक इंच जमीन भी नहीं बची है। दस साल पहले वर्ष 2000 में उसके पास जमीन का जो टुकड़ा और मकान बचा था, वह भी गंगा ने लील लिया। तबसे वह हर साल अपना ठिकाना बदलता रहा है। फ
सूखे में गुम हो गये टीला के बैंगन और लौकियां
Posted on 04 Feb, 2011 04:56 PM40 बीघा उपजाऊ और सिंचित जमीन के मालिक रामपाल सिंह घोष के बारे में क्या आंकलन करेंगे? यही न कि वह एक फले-फूले सम्पन्न किसान हैं और आनंद से अपनी जिंदगी बिताते होंगें!!
आफत में अल्मोड़ा
Posted on 01 Jan, 2011 10:00 AMअठारह अगस्त को बागेश्वर जिले के सुमगढ़ में बादल फटने से सरस्वती शिशु मंदिर में जिंदा दफन हुए १८ मासूमों को अभी लोग भूले भी नहीं थे कि एक माह बाद ही प्रकृति फिर प्रलय लेकर आई। इस बार बादल कहर बन कर अल्मोड़ा जिले पर टूटा। यहां भी १८ तारीख लोगों के लिए आफत का दिन बन गई। मूसलाधार बारिश ने जिले में भारी तबाही मचा दी। जिसमें साठ से भी अधिक लोग मौत के मुंह में समा गए जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से द्घा