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नदियां
छोटी नदियाँ, बड़ी उम्मीदें
Posted on 02 Jun, 2023 12:15 PMनदियाँ प्रकृति का मानवता को अनमोल तोहफा है। विश्व में नदियों के किनारे सभ्यताएं विकासित हुई। आज वही नदियाँ अपने अस्तित्व के लिए मनुष्य से सभ्य आचरण की उम्मीद कर रही है। नदी और मनुष्य का अस्तित्व पारस्परिक सहजीविता की तरह एक-दूसरे पर निर्भर है। हम यदि आज प्रयास करेंगे तो कल नदियाँ जीवित रहेगी और यदि नदियाँ जीवित रहेगी तो मनुष्य का अस्तित्व भी सुरक्षित रहेगा।
पर्यावरण संवारती भारत की नदियां
Posted on 14 Apr, 2023 01:43 PMभारत की नदियां भारतवासियों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नदियां हमें सिंचाई व पीने योग्य पानी, सस्ता परिवहन और बिजली प्रदान करती हैं। यह प्राकृतिक संसाधन पूरे देश में बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका प्रदान करता है। यह महत्वपूर्ण बात है कि भारत के लगभग सभी प्रमुख शहर नदी के किनारे ही स्थित हैं। नदियां जीवनदायिनी होती हैं। प्रस्तुत लेख में लेखक ने भारत की प्रमुख नदियों, उनके प्राकृति
नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
Posted on 28 Mar, 2023 12:32 PMआधुनिक विकास को विनाश में तब्दील होते देखना हो तो देश के ठीक बीच से प्रवाहित नर्मदा नदी के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार देख लेना चाहिए। यह जानना सचमुच बेहद दुखदायी है कि कोई सत्ता और समाज कैसे अपनी सदानीरा, पुण्यसलिला, जीवन दायिनी कहलाने वाली नदी को अपनी हवस के चलते ताबड़तोड़ समाप्त करता है। वन विभाग के 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश में 1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओ
बांग्लादेशी विस्थापितों का पुनर्वासघर है भारत
Posted on 30 Jan, 2023 01:20 PMबांग्लादेश में मेरा कई बार जाना हुआ है। जब भी गया तब नैतिकता, न्याय की विश्वशांति जलयात्रा के लिए ही गया। यह देश भारतखंड (हिन्दुकुश) का एक हिस्सा था। अभी भी है। इस देश और भारत में बहुत जुड़ाव सा दिखता है। इसमें उत्तर पूर्वी राज्यों तथा बंगाल से आना-जाना आज भी है, जबकि कांटेदार बाड़ लग गई है। लोगों का आना-जाना जब यह पूरा भारतवर्ष ही था, तब जैसा तो नहीं है; लेकिन आने-जाने वाले आज भी वैसे ही आ-जा
सिंधु जल संधि विवाद,भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया
Posted on 27 Jan, 2023 04:29 PMसिंधु नदी के पानी को साझा करने के लिए 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच 'सिंधु जल संधि' पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। विश्व बैंक ने उनके साथ तीसरे गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए।