जलवायु परिवर्तन

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गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
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अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता
जाने वैश्विक जलवायु परिवर्तन से जल सरक्षंण की बढ़ी चुनौतियां | Know about the increased challenges of water conservation due to global climate change. Posted on 08 Jan, 2024 12:57 PM

मानव जाति सबसे खराब कोविड-19 तबाही का सामना कर रही है, जो प्रथम दृष्टया  स्वयं की मूढ़ता से तैयार हुआ और अब हर देश इससे निपटने के लिए अपने संबंधित कौशल का इस्तेमाल कर रहा है। अब तक भारत ने इससे निपटने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। लेकिन यहां पर लंबे समय के लिए जल की कमी और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की ज्यादा गंभीर चुनौतियां हैं। पानी की बढ़ती मांग ने भूजल पंपिंग के उपयोग को बढ़ा दिया है। 2 करोड

अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता
जलवायु के बदलाव से घट रहा कृषि उत्पादन|Reduced Agricultural Productivity Due To Climate Change
जलवायु परिवर्तन जैसे वार्षिक वर्षा में भिन्नता, औसत तापमान, गर्मी की लहरें, खरपतवार, कीट या सूक्ष्म जीवों में संशोधन, वायुमंडलीय सीओ 2 या ओजोन स्तर में वैश्विक परिवर्तन और समुद्र में उतार-चढ़ाव। स्तर,वैश्विक फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं जिसके कारण जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा 21वीं सदी के दो प्रमुख मुद्दे बन गए है जिन पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है|Climate changes such as variations in annual rainfall, average temperatures, heat waves, modifications in weeds, insects or micro-organisms, global changes in atmospheric CO2 or ozone levels and ocean fluctuations. levels, are negatively impacting global crop production, making climate change and food insecurity two major issues of the 21st century that need to be seriously considered. Posted on 03 Jan, 2024 12:17 PM

भारत की आबादी तकरीबन डेढ़ अरब है। अब यह दुनिया की सब से बड़ी आबादी वाला देश हो चुका है. इस से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का दबाव भी बढ़ रहा है. बढ़ी हुई आबादी ने देश में खाद्यान्न की मांग में भी बढ़ोतरी की है।  

जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट - आंकलन एवं उपाय 
राज्य सरकार द्वारा विश्व बैंक प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के अन्तर्गत वर्ष 2009 से वर्ष 2016 तक कई प्रकार के कार्य जल संरक्षण हेतु किए गए। जिसके परिणामस्वरूप लगभग 77 एकीकृत लघु जलागम योजनाओं को प्रदेश के कुल 77 विकास खण्डों में पूरा कर लगभग 896.96 लाख लीटर जल को संरक्षित किया गया जिससे लगभग 2243 हैक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया गया। Posted on 20 Nov, 2023 04:52 PM

आईए मिलकर जल संसाधनों की रक्षा करें!

  • वनों का संरक्षण करें।
  • वर्षा के जल को एकत्रित करें।
  • एकीकृत जलागम प्रबन्धन को अपनाएं।
  • भू-जल पुनर्भरण करें।
  • हिमनदों / खण्डों को संरक्षित करें।
  • नदी के वास्तविक बहाव को न बदलें।
  • हिमनदों में बढ़ती मानवीय गतिविधियां कम करें।
  • प्राकृतिक झीलों एवं तलाबों का संर
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन 
भारत विश्व में भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, यहाँ 253 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष की दर से भूजल का दोहन किया जा रहा है। यह वैश्विक भूजल निष्कर्षण का लगभग 25 प्रतिशत है। भारत में लगभग 1123 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल संसाधन उपलब्ध है, जिसमें से 690 बीसीएम सतही जल और शेष 433 बीसीएम भूजल है। भूजल का 90 प्रतिशत सिंचाई के लिए और शेष 10 प्रतिशत घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है। Posted on 13 Nov, 2023 11:26 AM

भूगर्भीय जल स्तर को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि इसका पुनर्भरण होता रहे, जो अधिकतम बरसात के पानी और नदियों, नहरों से होता है भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें जहां केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस शहर की देखभाल करती हैं

बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन 
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में
हमें प्रकृति और मानव के बीच का संतुलन बनाए रखना होगा। प्रकृति और मानव एक दूसरे के पूरक हैं, जो एक दूसरे को पोषित और संरक्षित करते हैं। प्रकृति हमें जल, वायु, भोजन, आश्रय, औषधि और अन्य संसाधन प्रदान करती है, जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। मानव प्रकृति की रक्षा और संवर्धन कर सकते हैं, जो उसकी स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ाता है Posted on 10 Nov, 2023 02:33 PM

जलवायु परिवर्तन का मतलब है कि पृथ्वी की जलवायु में लंबे समय तक स्थायी या अस्थायी बदलाव होते हैं। ये बदलाव प्राकृतिक कारणों से भी हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मानव की गतिविधियों के कारण होते हैं। मानव जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं। ये गैसें सूर्य की किरणों को वापस भेजने में रुकावट डालती

 जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
हम कोई वैज्ञानिक, भूगर्भवेत्ता नहीं हैं।सामान्य लोग हैं जिनका संपर्क कभी कुछ ऐसे लोगों से हुआ जो धरती और उसमें पनपे जीवन के बारे में बड़ी समझ रखते हैं।उन्होंने हमको बताया कि प्रकृति ने कोयला, लोहा, यूरेनियम, पेट्रोलियम जैसे खनिजों को पृथ्वी के अंदर डाला और तब उसकी ऊपरी सतह पर जीवन का निर्माण संभव हो पाया।" Posted on 08 Nov, 2023 11:17 AM

मनुष्य ने ऐसे खनिजों को धरती से खोदकर बाहर निकाल लिया है, जिसके कारण धरती पर जीवन की संभावना लगातार घट रही है।ऐसे ही जल विज्ञानी ने बताया कि नदी के नीचे तीन हिस्सा और ऊपर एक हिस्सा ही पानी बहता है।नदी की रेत खोदने से नदियां मरने लगती हैं।सरकार ने जब रेत खोदने के लिए प्रारंभिक अनुमति प्रदान की तो उन्होंने चुगान शब्द प्रयोग किया था।खनन आज का काम और लूट का नाम है।जो इतिहास और मानव सभ्यता के जानकर

बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
तो डूब जाएगा जकार्ता
मौसम में बदलाव हो रहा है। वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। इस के कारण ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, जिन का पानी जा कर समुद्र में मिल रहा है। इस से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। अगर इसी रफ्तार से यह सब चलता रहा तो दुनिया के नक्शे से कई शहर मिट जाएंगे Posted on 03 Nov, 2023 03:39 PM

(जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी है, जहाँ लगभग एक करोड़ लोग रहते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर में रहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक रही है। बीते दस सालों में यह शहर ढाई मीटर ज़मीन में समा गया है। लोगों के घरों में समुद्र का पानी घुसता चला जा रहा है। लेकिन दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर पर बड़ी हाउसिंग और कमर्शियल काम्पलेक्स का निर्माण कार्य लगातार जारी है। इंडोनेशिया के वैज्

तो डूब जाएगा जकार्ता
जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा का सवाल
विकासशील देशों को समुचित अनुकूलन प्रणाली विकसित कर जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कृषि की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने की नीतियां एवं योजनाएं बनानी प्रांरभ कर देनी चाहिए। मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के विस्तार के कारण महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक कृषि संसाधनों; जल, भूमि, मृदा, वन एवं जैव विविधता का ह्रास तथा तीव्र अवनयन हुआ है। फलस्वरूप विगत तीन दशकों में कृषि उत्पादकता में भारी गिरावट आयी है। Posted on 01 Nov, 2023 12:21 PM

विगत वर्षों में विश्व के विकसित एवं विकासशील देशों में औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि भूमि का विस्तार हुआ है। साथ ही जहां एक ओर शहरीकरण तथा यातायात के साधनों में वृद्धि के कारण सकल कृषि क्षेत्र में कमी आयी है, वहीं दूसरी ओर विकासोन्मुख देशों में अब कृषि योग्य भूमि के विस्तार की संभावनाएं बहुत ही सीमित हो गयी हैं। तीव्र गति से आगे बढ़ती हुई मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के

जलवायु परिवर्तन : संकट में कृषि, संकट में जीवन,Pc-सर्वोदय जगत
ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट
मानव जीवन का अस्तित्व प्रकृति के संतुलन पर आधारित है. विकास की अंधी दौड़ में मानव समाज प्रकृति को व्यापक तौर पर क्षतिग्रस्त कर चुका है. वर्तमान वस्तुस्थिति यह है कि अपनी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है. भौतिक विकास के जिस आयाम तक हम अपनी प्रकृति को खींच लाये हैं, वहां से मानव जाति का अस्तित्व अंधकारपूर्ण दिख रहा है.
Posted on 01 Nov, 2023 11:24 AM

इटली की टाइबर नदी पर दो हजार साल पहले रोमन सम्राट नीरो द्वारा बनवाया गया पुल, जिसके अवशेष पानी में डूबे रहते हैं, इस बार नदी के सूखने के कारण देखे जा सकते हैं. यह सूचना इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए उत्सुकतापूर्ण हो सकती है, किंतु पर्यावरण की दृष्टि से चिंताजनक है. यह अपवाद नहीं है. ‘पो’ (इटली की गंगा),आरनो, एनीऐन आदि नदियां भी सूखे का सामना कर रही हैं.

ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट
जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य
लालच, उपभोग और शोषण पर अंकुश होना चाहिए। विघटनरहित और टिकाऊ विकास का केंद्र बिंदु समाज की मौलिक जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए। ऐसा सतत विकास के लिए गांधी जी के विचारों को पुन: समझना और लागू करना ही होगा। Posted on 31 Oct, 2023 12:48 PM

गांधीजी ने कहा था कि धरती सारे मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, लेकिन किसी एक का भी लालच पूरा करने में वह असमर्थ है। जलवायु परिवर्तन या जलवायु विघटन के मूल में गांधी जी का यही विचार निहित है।

जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य
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