There is a need for a multi-faceted approach to disaster management, combining advanced monitoring, early warning systems, community preparedness, and sustainable land use practices to mitigate future risks.
एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
Posted on 21 Jan, 2015 02:21 PMकार्बन फुटप्रिंट का मतलब किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया जाने वाला कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। दूसरे शब्दों में, इसका मतलब कार्बन डाइऑक्साइडका
Posted on 09 Jan, 2015 11:36 AMपेरू की राजधानी लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। माना जा रहा है कि इस वजह से अगले साल पेरिस में होने वाले पर्यावरण सम्मेलन में आने वाले सालों में पूरी दुनिया के लिए पर्यावरण संरक्षण के अंतिम लक्ष्य तय करना मुश्किल होगा। हालांकि, इस सम्मेलन के बाद एक बार फिर से विकसित देश भारत पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी की प्रतिबद्धता देने के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं।
लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन में 190 देशों ने हिस्सा लिया। इन देशों में सहमति नहीं बनने की वजह से सम्मेलन अपने तय समय से 36 घण्टे अधिक चला। इसके बावजूद सभी देशों में सहमति को लेकर जो प्रारूप सामने आया, उसके बारे में पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि यह बेहद कमजोर है।
Posted on 19 Dec, 2014 04:28 PM‘ग्लोबल वार्मिंग’ दुनिया के लिए कितनी बड़ी समस्या है, यह बात एक आम आदमी समझ नहीं पाता है। उसे यह शब्द थोड़ा टेक्निकल लगता है इसलिए वह इसकी तह तक नहीं जाता। लिहाजा एक वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया जाता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह एक दूर की कौड़ी है और फिलहाल संसार को इससे कोई खतरा नहीं है। कई लोग इस शब्द को पिछले दशक से ज्यादा सुन रहे हैं इसलिए उन्हें ये बासी लगने लगा है।
Posted on 19 Dec, 2014 04:09 PMपिछले दिनों जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन को लेकर पेरू की राजधानी लीमा में 190 देशों के प्रतिनिधि पर्यावरण के बदलाव पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए थे।
12 दिनों तक चलने वाले इस शिखर सम्मलेन का आयोजन यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) द्वारा किया गया था जिसमें दुनिया भर के 12,500 राजनीतिज्ञ, राजनयिक, जलवायु कार्यकर्ता और पत्रकारों ने भाग लिया। लेकिन यह सम्मलेन रस्म अदायगी का एक और सम्मलेन बनकर रह गया जिसमें कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य नई जलवायु परिवर्तन सन्धि के लिए मसौदा तैयार करना था, ताकि 2015 में पेरिस में होने वाली वार्ता में सभी देश सन्धि पर हस्ताक्षर कर सकें।
Posted on 14 Nov, 2014 12:17 PMजलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम की अनिश्चितता बढ़ गई है। बदलते मौसम की सबसे बड़ी मार किसानों पर पड़ रही है। अब कोई भी मौसम अपने समय पर नहीं आता। जबकि किसान का ज्ञान व बीज मौसम के हिसाब से ही हैं। इससे किसानों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह एक बड़ी समस्या है। लेकिन उत्तराखंड के किसानों ने अपनी