हिमांशु शेखर

हिमांशु शेखर
लीमा में नहीं बनी सहमति
Posted on 09 Jan, 2015 11:36 AM
पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। माना जा रहा है कि इस वजह से अगले साल पेरिस में होने वाले पर्यावरण सम्मेलन में आने वाले सालों में पूरी दुनिया के लिए पर्यावरण संरक्षण के अंतिम लक्ष्य तय करना मुश्किल होगा। हालांकि, इस सम्मेलन के बाद एक बार फिर से विकसित देश भारत पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी की प्रतिबद्धता देने के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं।

लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन में 190 देशों ने हिस्सा लिया। इन देशों में सहमति नहीं बनने की वजह से सम्मेलन अपने तय समय से 36 घण्टे अधिक चला। इसके बावजूद सभी देशों में सहमति को लेकर जो प्रारूप सामने आया, उसके बारे में पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि यह बेहद कमजोर है।
बेहतर जल प्रबंधन से सुलझेंगी कई समस्याएं
Posted on 07 Sep, 2009 12:48 PM
अंधाधुंध जल दोहन की वजह से पूरे उत्तर पश्चिम भारत के भूजल स्तर में हर साल 4 सेंटीमीटर यानी 1.6 इंच की कमी आ रही है। इस अध्ययन को अंजाम देने में नासा के जल विज्ञानी मेट रोडल ने अहम भूमिका निभाई है। उनके हवाले से इस रपट में बताया गया है कि देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में 2002 से 2008 के दौरान तकरीबन 109 क्यूबिक किलोमीटर पानी की कमी हुई है। यह मात्रा कितनी अधिक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह अमेरिका के सबसे बड़े जलाशय लेक मीड की क्षमता से दुगने से भी कहीं ज्यादा हैसूखे को लेकर देशभर में चिंता की लहर है। यह बेहद स्वाभाविक है। सूखे की मार झेल रहे लोगों के लिए सरकारी घोषणाएं भी हो रही हैं लेकिन जैसा ज्यादातर सरकारी घोषणाओं के साथ होता है, वैसा ही हश्र अगर इन घोषणाओं का भी हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सूखे के नाम पर शोषण का कारोबार भी शुरू हो गया है। जमाखोर कारोबारी सूखे के नाम पर महंगाई को बेतहाशा बढ़ाने का काम कर रहे हैं और प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि लोगों को महंगाई के लिए तैयार रहना चाहिए।

सूखे को लेकर नीतियों का निर्धारण करने वाले लंबे-चैड़े बयान जरूर दे रहे हैं लेकिन बुनियादी सवालों की चर्चा करने से हर कोई कतरा रहा है। आखिर क्यों नहीं सोचा जा रहा है कि यह समस्या क्यों पैदा हुई? इस बात पर क्यों नहीं विचार किया जा रहा है कि इस तरह की समस्या का सामना करने के लिए सही रणनीति क्या होनी चाहिए और इसके लिए क्या तैयारी होनी चाहिए?
बिगड़ते पर्यावरण से बढ़ेगा पलायन
Posted on 17 Jul, 2010 12:49 PM
तेजी से बिगड़ता पर्यावरण पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। यह जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंता ही है कि दुनिया के 193 देशों के बड़े नेता कोपेनहेगन में इस मसले पर बातचीत करने के लिए एकत्रित हुए थे। हालांकि, इस सम्मेलन में कोई ऐसा फैसला तो नहीं लिया गया जो यहां आने वाले सभी देशों को मान्य हो लेकिन कुछ प्रमुख देशों ने एक आपसी समझौता अवश्य किया है।
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