सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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वर्षा जल का कमाल
Posted on 18 Apr, 2009 06:59 AM
बैंको से मोटे-मोटे कर्ज लेकर किसानों ने पास के गांवों में सैंकड़ों बोरवैल लगाए। लेकिन इससे समस्या खत्म होने के बजाए और ज्यादा बढ़ गई। बोरवैल की संख्या तो बढ़ रही थी लेकिन पानी.... और घट रहा था। जिन किसानों के कुएं में पानी था वे दूसरे किसानों को सिंचाई के लिए 40-50 रु. प्रति घंटा पर पानी बेचकर पैसा बनाने लगे थे। परिणाम हुआ कि अब किसी के पास पानी नहीं था ...।
'तिब्बत की मां' नदी को बचाने हेतु - हरित रक्षा पंक्ति
Posted on 12 Apr, 2009 09:58 PM

'यालुचाम्बू नदी' हिमालय पर्वत से उद्गम होकर पश्चिम से पूर्व की ओर तिब्बत के अधिकतर क्षेत्रों से गुजरती हुई बहती है और वह तिब्बत की मां नदी मानी जाती है। पर भौगोलिक स्थिति व जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के प्रभाव से यालुचाम्बू नदी के घाटी क्षेत्रों का रेगिस्तानीकरण हो रहा है। इधर दसेक सालों में तिब्बत ने विशाल वृक्षारोपण परियोजना के जरिये यालुचाम्बू नदी के दोनों किनारों पर तीस हजार है

चीन की माता नदी के लिए अभियान
Posted on 10 Apr, 2009 04:59 PM

चीन की माता नदी को बचाने में 35 करोड़ युवकों की भागीदारी

हजारों वर्षों से चीनी लोग चीन की पीली नदी और यांत्सी नदी को माता नदी कह कर बुलाते हैं। लेकिन, इधर के वर्षों में नदियों के दोनों किनारों में स्थित कारखानों से आर्थिक विकास होने के साथ-साथ पर्यावरण का प्रदूषण भी साथ आया है। वर्ष 1999 से चीन द्वारा आयोजित माता नदी की रक्षा करने की कार्यवाई में हजारों युवा स्वयं सेवकों ने नदियों व ताला
शेखावटी के एक गांव का कमाल
Posted on 23 Mar, 2009 06:52 PM
भास्कर न्यूज/ संदीप केडिया/ झुंझुनूं

चिड़ावा पंचायत समिति का एक गांव ऐसा है जहां हर घर और हर ग्रामीण पानी का मोल समझने लगा है। एक गांव का कमाल ही है कि बाकी पूरा जिला पानी के संकट से दो-चार है मगर इस गांव के लोग चिंतामुक्त हैं। गांव का हर घर जल संरक्षण के लिए काम करता है। घरों से निकलने वाला पानी भी यहां बेकार नहीं जाता।
किसान जुटे, बढ़ा जलस्तर
Posted on 22 Mar, 2009 07:58 PM भास्कर न्यूज/ धर्मेश पांडेय/ March 14, 2009
जज्बे ने हरे नर्मदा के कष्ट
Posted on 22 Mar, 2009 03:04 PM


भास्कर न्यूज/ अरविंद तिवारी/ March 22, 2009

लापोड़िया : बदहाल गांव से हुआ खुशहाल गांव
Posted on 02 Mar, 2009 07:03 AM

-देवकरण सैनी
जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामुहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है।

लापोड़िया
वर्षा जल संरक्षण का एक अभिनव प्रयोग
Posted on 28 Feb, 2009 01:57 PM -दिल्ली ब्यूरो भारतीय पक्ष
जल संरक्षण हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है - संजय देशपांडे
Posted on 28 Feb, 2009 01:20 PM
डी.एस. कुलकर्णी समूह के सह प्रबंध निदेशक श्री संजय देशपाण्डे से भारतीय पक्ष ने वर्षा जल संरक्षण को लेकर उनकी भावी योजनाओं और दृष्टि के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश-

प्रश्न : आपको अपार्टमेंट में जल संरक्षण तंत्र लगाने की प्रेरणा कहां से मिली? यह केवल एक व्यावसायिक नीति का परिणाम है या इसमें कुछ सामाजिक सोच भी है?

उत्तर : जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। यह केवल व्यावसायिक नीति नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक जिम्मेदारी भी है। देश के अनेक भागों में पानी की बढ़ती मांग और घटती उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन चुकी है। मैं स्वयं महाराष्ट्र
बूंद-बूंद को बचाने की मुहिम
Posted on 24 Feb, 2009 06:56 PM
गाजियाबाद [फरमान अली/ जागरण याहू ]। गाजियाबाद में भारी संख्या में उद्योग होने के कारण यहां के तमाम इलाकों में भूगर्भीय जल के जहरीला होने की नौबत तक आ गई है। पर इन सबके बीच गाजियाबाद में एक शख्स ऐसा भी है, जो पानी के मूल्य को समझते हुए एक-एक बूंद जल को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है।
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