-दिल्ली ब्यूरो भारतीय पक्ष
पानी की समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से गंभीर होती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां तालाब, आहर, पइन आदि के रूप में इसके समाधान के उपाय उपलब्ध हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण का कोई सटीक उपाय नहीं सूझता। दिल्ली जैसे शहरों में सरकार या समाज तालाब बनाए तो बनाए कहां, अपार्टमेंट में रहने वाले लोग तो स्वीमिंग पुल ही बनाएंगे जो पानी का संरक्षण करने की बजाय अपव्यय ही करता है।
बड़े-बड़े अपार्टमेंटों से भरे कंक्रीट के इन जंगलों में जल-संरक्षण कैसे किया जाए? इस प्रश्न का समाधान कुछ हद तक पुणे की भवन निर्माण कंपनी डी.एस. कुलकर्णी समूह ने ढूंढा है। दरअसल डी.एस.के. भवन निर्माण के क्षेत्र से जुड़ा एक समूह है, जो अपने भवनों व फ्लैटों में वर्षा जल के संचयन हेतु आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करता है। डी.एस.के. समूह ने जल संरक्षण तकनीक के साथ ‘डी.एस.के. विश्व’ नामक विशाल आवासीय परिसर का निर्माण किया है। कुल 25 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल में निर्मित इस आवासीय परिसर में छह हजार फ्लैट हैं। इस परिसर में उन्होंने वर्षा जल संरक्षण की पूरी व्यवस्था की है। इसके लिए पूरे परिसर को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है। पूरे क्षेत्र में होने वाली वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए ‘नेचर पार्क’ और उद्यान बनाए गए हैं ताकि भूमि का जल वाष्पीकरण तथा अन्य कारणों से बर्बाद न हो। प्रत्येक क्षेत्र में जगह-जगह रेत व धातु से निर्मित गङ्ढे बनाए गए हैं, जो जमीन के नीचे व ऊपर दोनों जगह हैं। वर्षा जल संचय के लिए इन गङ्ढों को फ्लैटों की छतों व सतहों से पाईपलाइनों से जोड़ा गया है।
इस प्रकार वर्षा जल को ‘पम्प’ में संग्रहित किया जाता है। इस जल को वृक्षारोपण और भू-जलस्तर बढ़ाने में उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस जल को समय पड़ने पर बागवानी, गाड़ी साफ करने जैसे अन्य कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है। संरक्षित जल को पास के तालाब या कुएं में भी छोड़ा जाता है जिसका उद्देश्य इन जैसे स्रोतों में जल की उपलब्धता बनाए रखना है। डी.एस.के. समूह ने अपने इस बड़े प्रयोग के अलावा और अन्य छोटे-छोटे प्रयोग भी किए हैं। इसके तहत बड़े-बड़े अपार्टमेंटों में वर्षा जल संरक्षण का तंत्र लगाने, पर्यावरण के अधिकाधिक अनुकूल बनाने जैसे काम उन्होंने किए हैं। आस-पास के गांवों, जहां पानी की कमी रहती है, में भी उन्होंने अपनी तकनीक का उपयोग कर समस्या का समाधान किया है।
डी.एस.के. द्वारा किए जा रहे इस प्रयास का मुख्य केन्द्र बिन्दु आम जन की सहभागिता के साथ कुशल जल-प्रबंधन करना है। वर्तमान स्थिति में तेजी से कम होती जल की मात्रा को संरक्षित करने में यह सहायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि वर्षा से प्राप्त जल या तो बहकर बेकार चला जाता है या फिर वाष्पीकरण के कारण खत्म हो जाता है। ऐसे में भवनों व फ्लैटों में वर्षा जल संचयन तकनीक का प्रयोग जल प्रबंधन के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
Sanjay Deshpandey,s Office
Sanjeevani Group of Companies & Nitsanjeevan Innovations
101, Sujal, 100’ Riverside DP Road,
Patwardhan Baug,
Pune- 411052.
Phone : 020-2543 4021.
Telefax : 020-2545 4757
E-mail : sales@sanjeevanideve.com
Mr. Sanjay Deshpande ( Director) / Mo. No. 9822037109
Mktg. Dept./ Mo. No 9763716891
पानी की समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से गंभीर होती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां तालाब, आहर, पइन आदि के रूप में इसके समाधान के उपाय उपलब्ध हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण का कोई सटीक उपाय नहीं सूझता। दिल्ली जैसे शहरों में सरकार या समाज तालाब बनाए तो बनाए कहां, अपार्टमेंट में रहने वाले लोग तो स्वीमिंग पुल ही बनाएंगे जो पानी का संरक्षण करने की बजाय अपव्यय ही करता है।
बड़े-बड़े अपार्टमेंटों से भरे कंक्रीट के इन जंगलों में जल-संरक्षण कैसे किया जाए? इस प्रश्न का समाधान कुछ हद तक पुणे की भवन निर्माण कंपनी डी.एस. कुलकर्णी समूह ने ढूंढा है। दरअसल डी.एस.के. भवन निर्माण के क्षेत्र से जुड़ा एक समूह है, जो अपने भवनों व फ्लैटों में वर्षा जल के संचयन हेतु आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करता है। डी.एस.के. समूह ने जल संरक्षण तकनीक के साथ ‘डी.एस.के. विश्व’ नामक विशाल आवासीय परिसर का निर्माण किया है। कुल 25 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल में निर्मित इस आवासीय परिसर में छह हजार फ्लैट हैं। इस परिसर में उन्होंने वर्षा जल संरक्षण की पूरी व्यवस्था की है। इसके लिए पूरे परिसर को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है। पूरे क्षेत्र में होने वाली वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए ‘नेचर पार्क’ और उद्यान बनाए गए हैं ताकि भूमि का जल वाष्पीकरण तथा अन्य कारणों से बर्बाद न हो। प्रत्येक क्षेत्र में जगह-जगह रेत व धातु से निर्मित गङ्ढे बनाए गए हैं, जो जमीन के नीचे व ऊपर दोनों जगह हैं। वर्षा जल संचय के लिए इन गङ्ढों को फ्लैटों की छतों व सतहों से पाईपलाइनों से जोड़ा गया है।
इस प्रकार वर्षा जल को ‘पम्प’ में संग्रहित किया जाता है। इस जल को वृक्षारोपण और भू-जलस्तर बढ़ाने में उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस जल को समय पड़ने पर बागवानी, गाड़ी साफ करने जैसे अन्य कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है। संरक्षित जल को पास के तालाब या कुएं में भी छोड़ा जाता है जिसका उद्देश्य इन जैसे स्रोतों में जल की उपलब्धता बनाए रखना है। डी.एस.के. समूह ने अपने इस बड़े प्रयोग के अलावा और अन्य छोटे-छोटे प्रयोग भी किए हैं। इसके तहत बड़े-बड़े अपार्टमेंटों में वर्षा जल संरक्षण का तंत्र लगाने, पर्यावरण के अधिकाधिक अनुकूल बनाने जैसे काम उन्होंने किए हैं। आस-पास के गांवों, जहां पानी की कमी रहती है, में भी उन्होंने अपनी तकनीक का उपयोग कर समस्या का समाधान किया है।
डी.एस.के. द्वारा किए जा रहे इस प्रयास का मुख्य केन्द्र बिन्दु आम जन की सहभागिता के साथ कुशल जल-प्रबंधन करना है। वर्तमान स्थिति में तेजी से कम होती जल की मात्रा को संरक्षित करने में यह सहायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि वर्षा से प्राप्त जल या तो बहकर बेकार चला जाता है या फिर वाष्पीकरण के कारण खत्म हो जाता है। ऐसे में भवनों व फ्लैटों में वर्षा जल संचयन तकनीक का प्रयोग जल प्रबंधन के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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