साक्षात्कार

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अविरल गंगा और निर्मल गंगा आंदोलन- राजेंद्र सिंह उर्फ पानी बाबा
Posted on 12 Dec, 2012 04:48 PM राजेंद्र सिंह उर्फ पानी बाबा जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम नहीं है बल्कि एक ऐसे आंदोलन का नाम है जिसने राजस्थान के गांवों में जल क्रांति को जन्म दिया। वे मैगसेसे पुरस्कार के विजेता भी है पर यह विजेता स्वामी सानंद जैसे गंगापुत्रों की खोज में है। स्वामी सानंद जैसे गंगा पुत्रों के द्वारा ही गंगा मैया का उपचार किया जा सकता है। लेकिन इस रोग का इलाज खोजने के लिए पानी बाबा संपूर्ण भारत में क्रां
तालाब बचेगा तभी समाज बचेगा
Posted on 20 Nov, 2012 09:41 AM गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम मिश्र तालाबों के संरक्षण के काम के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। सहज-सरल व्यक्तित्व वाले अनुपम जी पानी के संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक की बजाय देशज तकनीक व परंपरागत तरीकों के प्रवक्ता रहे हैं। उनकी पुस्तकें ‘आज भी खरे हैं तालाब’ व ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ काफी चर्चित रही हैं। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ ने पुस्तकों के छपने और बंटने के कई रिकार्ड तोड़ डाले। अनुपम जी से पंचायतनामा संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की।

उत्तर भारत में प्रसिद्ध पर्व छठ हो रहा है। इस दिन नदियों या तालाबों पर जाकर मनाये जाने वाले इस त्योहार की परंपरा को कैसे देखते हैं आप?

अनुपम जी
10 साल में खत्म करेंगे खुले में शौच
Posted on 08 Oct, 2012 06:01 PM केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री जयराम रमेश गांवों को स्वच्छ बनाने के अभियान में जोर-शोर से जुटे हैं। वे लगातार लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जब तक लोग खुले में शौच करते रहेंगे, देश कुपोषण और दूसरी बड़ी बीमारियों से मुक्त नहीं हो पायेगा। इस संदर्भ में 3 अक्टूबर को वर्धा से निर्मल भारत यात्रा का शुभारंभ किया गया है। पेश है अंजनी कुमार सिंह से उनकी बातचीत के मुख्य अंश
जिन्हें खाना नसीब नहीं वे शौचालय कैसे बनायेंगे
Posted on 08 Oct, 2012 05:30 PM सुलभ शौचालय के रूप में देश के शहरों और कस्बों को सार्वजनिक शौचालय का बेहतरीन विकल्प पेश करने वाले बिंदेश्वशर पाठक किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें इस जनकल्याणकारी योजना को व्यवसाय का रूप दे दिया है। पेश है ग्राणीण स्वच्छता के मुद्दे पर उनसे विशेष बातचीत

एक स्वच्छ शौचालय का मानव जीवन में कितना महत्व है?
स्वच्छ भोजन जीवन के लिए जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी स्वच्छ शौच की व्यवस्था भी है। मल त्याग की अव्यवस्थित व्यवस्था कई तरह की बीमारियों को जन्म देती है। बीमारियों की वजह से न सिर्फ दैहिक नुकसान होता है, बल्कि आर्थिक हानि भी होती है। शौचालय की व्यवस्था होने पर सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक तीनों ही रूप में सशक्त होते हैं। इसके साथ ही यह प्रदूषण मुक्ति में भी सहयोगी है। मानव मल खाद बन कर जहां खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मददगार होता है, वहीं इससे बायोगैस का निर्माण भी होता है।

सेनिटेशन की बात क्रिकेट और बालीवुड के साथ
Posted on 29 Sep, 2012 12:09 PM वॉश युनाइटेड के कार्यकारी निदेशक थॉर्सन कीफर और क्विकसैंड प्रिंसिपल नीरत भटनागर के साथ बातचीत पर आधारित।

द ग्रेट वॉश यात्रा का विचार कैसे आया? इसके अलावा क्विकसैंड इसमें कैसे शामिल हुआ?
थॉर्सन
मानव निर्मित बाढ़
Posted on 25 Sep, 2012 03:31 PM पर्यावरण भूवैज्ञानिक के. एस. वैद्य उत्तराखंड में रहते हैं और पूर्व में प्रधानमंत्री की विज्ञान सलाहकार परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। प्रस्तुत साक्षात्कार स्पष्ट करता है कि बाढ़ के लिए वास्तव में कौन जिम्मेदार हैं।-

हिमालय के साथ ही साथ भारत के अन्य हिस्सों में लगातार बाढ़ की पुनरावर्ती हो रही है। किस भूगर्भीय परिस्थिति के चलते इनमें वृद्धि हो रही है?
मिशन फॉर क्लीन गंगा-2020 ब्यूरोक्रेट्सों की चोंचलेबाजी और चालबाजी है : आचार्य जितेंद्र
Posted on 24 Aug, 2012 03:54 PM गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और लड़ाकू तेवर के धनी आचार्य जितेंद्र गंगा के विभिन्न सवालों पर लगातार सक्रिय और संघर्षरत रही है। गंगा एक्शन प्लान में खर्च होने वाले 15 हजार करोड़ रुपए के बंदरबांट को लेकर ब्यूरोक्रेट्स और एनजीओ के खेल से वे काफी चिंतित हैं। प्रस्तुत है आचार्य जितेंद्र से निराला की बातचीत।

गंगा की अविरलता और निर्मलता में कौन अहम मसला है?
अविरल धारा के नाम पर धर्माचार्य गंगा को शौचालय बनाये रखना चाहते हैं : वीरभद्र मिश्र
Posted on 23 Aug, 2012 11:21 AM काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के अध्यापक और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख रह चुके वीरभद्र मिश्र देश-दुनिया में प्रमुख गंगासेवी के रूप में जाने जाते हैं। गंगा की सफाई के लिए किए गए कार्यों से प्रभावित होकर साल 2009 में अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने इन्हें “हीरो ऑफ द प्लैनेट” घोषित किया। वर्तमान में वीरभद्र मिश्र तुलसीदास द्वारा स्थापित संकटमोचन हनुमान मंद
हम चिड़ियों का घर बनाते हैं
Posted on 28 May, 2012 10:51 AM आज हमारे जंगल तथा आस-पड़ोस से पक्षियों का चहचहाना कम हो गया है। जिन पक्षियों के चहचहाने से सुबह होने का पता चलता था। आज वे पक्षियां विलुप्त होने के कगार पर हैं इन चिड़ियों से हमारे आस-पास के गंदगियों से सफाई मिलती थी। खतरनाक कीट पतंगों को खाकर हमें अनेक बीमारियों से बचाने वाली चिड़ियों को हमें बचाना होगा। पक्षियों के संरक्षण पर लंबे अरसे से कार्य कर रहे पर्यावरणविद् राकेश खत्री से बात करते संजी
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