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जल संरक्षण के प्रति गम्भीर होने की जरूरत
Posted on 04 Jul, 2015 09:25 AM

दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि दुनियाँ के तमाम जल स्रोत में 1 प्रतिशत जल ही हमारे उपयोग के लिए है। हम इसका संरक्षण कैसे करें, इस पर गम्भीर होने की जरूरत है। हम अपनी आदतों में एक व्यवस्था बनाकर सुधार ला सकते हैं। अपने घर से इसकी शुरूआत कर सकते हैं। घर के जल को घरों में ही रोकें। दुमका के स्थानीय इन्डोर स्टेडियम 'हमारा जल हमारा जीवन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में दुमका जिला

save water
विकास, स्वच्छ वातावरण और भलाई के प्रतीक : संत बलबीर सिंह सीचेवाल
Posted on 02 Jul, 2015 12:27 PM पवित्र काली वेईं (नदी) की कार-सेवा निर्मल कुटिया सीचेवाल के मुख्य
स्वजलधारा : जनता को स्वयं अपनाने होंगे भू-जल समृद्धि कार्यक्रम
Posted on 02 Jul, 2015 11:26 AM पारिस्थितिकी-अनुकल व्यवस्था स्थापित करने हेतु भारतीय ऋषि-मुनियों न
पेयजल संरक्षण के परम्परागत प्रयास
Posted on 02 Jul, 2015 10:15 AM ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।’ कविवर रहीम ने भी अपने स
जीवन-जनक जल की उपेक्षा क्यों
Posted on 02 Jul, 2015 10:02 AM जल जीवन है, जीवन का जनक और पोषक भी। फिर जल के निहायत जरूरीपन के प्
गंगा नदी में ओसीएमएस लगाने में हो रही देरी
Posted on 23 Jun, 2015 12:48 PM गंगा नदी पर प्रदूषणकारी उद्योगों की ओर से प्रवाहित कचरे पर उसी समय निगरानी करने वाली प्रणाली (ओसीएमएस) अभी तक नहीं लगाई गई है। इस प्रणाली को लागू करने में क्यों देरी की जा रही है, यह किसी को समझ में नहीं आ रही है। बहरहाल, केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय ने ओसीएमएस लगाने की समय-सीमा और नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है।
विदिशा के जल सेवकों को विष्णु प्रभाकर समाज सेवा सम्मान
Posted on 23 Jun, 2015 10:43 AM
मनुष्यता की तलाश विष्णु प्रभाकर के साहित्य का मूल तत्व : डॉ गंगेश गुँजन
Vishnu prabhakar samaj sewa award
नदी पुराण
Posted on 14 Jun, 2015 03:53 PM


आमतौर पर नदी वैज्ञानिक ही नदियों के जन्म या प्राकृतिक जिम्मेदारियों की हकीक़त को जानने का प्रयास करते हैं। आम नागरिक के लिये यह विषय बहुत आकर्षक नहीं है इसलिये वे उसे, सामान्यतः जानने का प्रयास नहीं करते। वास्तव में नदी की कहानी बेहद सरल और सहज है।

वैज्ञानिक बताते हैं कि प्रत्येक नदी प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग है। उसके जन्म के लिये बरसात या बर्फ के पिघलने से मिला पानी जिम्मेदार होता है। उसका मार्ग ढ़ालू जमीन पर बहता पानी, भूमि कटाव की मदद से तय करता है। ग्लेशियरों से निकली नदियों को छोड़कर बाकी नदियों में बरसात बाद बहने वाला पानी ज़मीन के नीचे से मिलता है।

नदी
विकास की दौड़ में प्रकृति का शोषण
Posted on 12 Jun, 2015 12:34 PM

राँची। मुख्यमन्त्री श्री रघुवर दास ने कहा कि प्रकृति ही जीवन है, वन इस धरती के फेफड़े हैं जो हमें जीवन के लिये शुद्ध हवा देते हैं। प्रकृति प्रेमीजन-जातीय समाज ने आदिकाल से वनों की रक्षा की है। हमारी परम्परा में भी प्रकृति को ईश्वर का स्वरूप मानते हुए बारम्बार वन्दना की गई है। आने वाले कल के लिये और सम्पूर्ण मानव जाति एवं पारिस्थितिकी की रक्षा के लिये पर्यावरण की रक्षा सबों का नैतिक दायित्व है।

Save environment
जगह-जगह पौधरोपण, ली पर्यावरण संरक्षण की शपथ
Posted on 08 Jun, 2015 12:17 PM Paryavaran Diwas गाज़ियाबाद (एसएनबी)। गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण संरक्षण के लिये वन, झील, नदी व वन्य जीवो
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