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समाचार और आलेख
भोपाल गैस त्रासदी के 31 साल : शोक, जुलूस, पुतला दहन और प्रदर्शन
Posted on 04 Dec, 2015 10:22 AMभोपाल गैस त्रासदी पर विभिन्न जनसंगठनों, संस्थाओं के साथ-साथ सरकार एवं विपक्ष ने भी भीषणतम औद्योगिक घटना को याद करते हुए उसमें मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया। घटना के 31 साल बाद भी न्याय के इन्तजार कर रहे पीड़ितों के संगठनों ने जुलूस निकाले, प्रदर्शन किया और पुतला दहन किया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने त्रासदी में मारे गए लोगों को लेकर आयोजित सर्वधर्म श्रदविकास के आड़े नहीं आएगा उत्सर्जनः अशोक लवासा
Posted on 27 Nov, 2015 08:00 PMभारत सरकार ने कहा कि भारत ने दुनिया के सामने बहुत ही महत्वाकांक्षी आईएनडीसी प्रस्तुत किया है। दुनिया के अन्य देशों ने इसकी प्रशंसा की है। जलवायु परिवर्तन पर एक बैठक को सम्बोधित करते हुए अशोक लवासा, सचिव-वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने यह बात कही।भारतीय रेल का पानी अब ‘प्रभू’ भरोसे
Posted on 17 Nov, 2015 08:38 AM आरके एसोसिएट्स और वृंदावन फुड प्रोडक्ट के नाम सम्भव है कि आपने नहीं सुना होगा लेकिन इसके मालिक श्याम बिहारी अग्रवाल 2012 से लगभग सभी राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में कैटरिंग का काम करते रहे हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने रेल नीर के नाम पर ट्रेन में सस्ता पानी बाँट कर मोटी कमाई की।
राजस्थान में वानिकी विकास परियोजना ने खोले समृद्धि के द्वार
Posted on 15 Nov, 2015 12:08 PMराजस्थान के 15 गैर-मरुस्थलीय जिलों में हरीतिमा संवर्धन के लिये जापान सरकार के आर्थिक सहयोग से आरम्भ की गई वानिकी विकास परियोजना न केवल निश्चित समयावधि में समाप्त की गई, अपितु उसने स्थानीय ग्रामवासियों की समृद्धि के द्वार ही खोल दिये। प्रस्तुत है परियोजना स्तर से कराये गये विभागीय सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट।निर्मल यमुना के लिये ऐतिहासिक महाआरती
Posted on 14 Nov, 2015 03:48 PMकुदेसिया घाट पर हर रोज दिखेगा बनारस सा नजारा, यमुना तट पर दिया जाएगा पर्यटन को बढ़ावा
पानी में लग रही है आग
Posted on 14 Nov, 2015 09:12 AMपीथमपुर में औद्योगिक इकाई के रसायन छोड़े जा रहे हैं नाले मेंनदी में मिलता है यह धातक रसायन वाला पानी
हिमालय के प्राकृतिक जलस्रोतों की अनदेखी घातक
Posted on 10 Nov, 2015 04:07 PMहिमालय की तेज ढलानों में बर्फ और वनों के कारण पानी ज़मीन के अन्दर जमा होता रहता है और जहाँ भी ढलान में पानी को बाहर निकलने की जगह मिलती है, यह बाहर फूट पड़ता है। ऐसे स्थानों पर लकड़ी, धातु या पत्थर के पाइप लगाकर पानी भरने का स्थान बना लिया जाता है।
समाज, दीपावली और पर्यावरण
Posted on 08 Nov, 2015 03:47 PMदीपावली विशेष
भारतीय जन मानस की स्मृतियों में रचा-बसा है कि दीपावली के ही दिन भगवान राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे। उनकी अयोध्या वापसी पर नगरवासियों ने ख़ुशियाँ मनाई थीं और रात्रि में पूरे नगर को दीपों से सजाया था। अयोध्या वापसी को चिरस्थायी बनाने के लिये हर साल दीवाली मनाई जाती है। रामायण काल से यह प्रथा चली आ रही है।
इसके अलावा, लगभग पूरे देश में रामलीला का आयोजन होता है। लोग उसके रंग में रंग जाते हैं। दशहरे के दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का वध आयोजन होता है। लोग बड़ी मात्रा में इस उत्सव में हिस्सेदारी करते हैं। लोगों को बधाई देते हैं और असत्य पर सत्य की जीत का उत्सव मनाते हैं।
ग़ौरतलब है कि भारत में भरपूर बरसात के सूचक उत्तरा नक्षत्र (12 सितम्बर से 22 सितम्बर) की विदाई के साथ त्योहारों यथा हरितालिका, ऋषि पंचमी, राधाष्टमी, डोल ग्यारस, अनन्त चतुर्दशी, नवरात्रि उत्सव, विजयादशमी, शरदपूर्णिमा और फिर दीपावली का सिलसिला प्रारम्भ होता है।