गंगा के सवाल पर आम लोगों से जोड़ने का एक अभियान

clean ganga
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स्वच्छ गंगा : भारत तिब्बत पुलिसगंगा की निर्मलता के सवाल पर आम लोगों को जागरूक करने के मक्सद से भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस (आईटीबीपी) का अभियान दल मुंगेर पहुँचा। 2 अक्टूबर को देवप्रयाग से इस अभियान का शुभारंभ किया गया था। इनके मुंगेर पहुँचने पर सोजी घाट पर समारोह का आयोजन किया गया। इस अभियान दल का नेतृत्व कर रहे थे सुरेन्द्र खत्री।

उन्होंने कहा कि गंगा नदी के सवाल को आम लोगों से जोड़ने तथा उन्हें चेतना से लैस करने के मक्सद से 'स्वच्छ गंगा अभियान-2015’ चलाया जा रहा है। जबतक गंगा के सवाल से आम लोगों को नहीं जोड़ा जाएगा तब तक गंगा अभियान का मक्सद कामयाब नहीं हो पाएगा। इसके लिये भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस (आईटीबीपी) द्वारा कई आयोजन किए गए जिससे लोग गंगा के सवाल से जुड़ेंगे।

समारोह के मुख्य अतिथि थे बिहार योग विद्यालय के स्वामी ज्ञान भिक्षु। उन्होंने कहा कि गंगा हमारी माँ है। यह हमारी सभ्यता, संस्कृति, धार्मिक भावना और करोड़ों लोगों के आजीविका से जुड़ी है। इसलिए इसकी निर्मलता का ख्याल रखना जरूरी है। इसेे महज एक औपचारिक आयोजन से अलग हटकर देखना होगा। उन्होंने इस बात से प्रसन्न्ता का इजहार किया कि स्कूली बच्चों को जोड़ा और उनके बीच प्रतियोगिताएं आयोजित की। आज वे बच्चे पुरस्कृत हो रहे हैं। ये बच्चे गंगा की निर्मलता के संदेश से आम लोगों को न सिर्फ वाकिफ कराएंगे, बल्कि गंगा को स्वच्छ रखने के अभियान के संवाहक बनेंगे।

समारोह के विशिष्ट अ​तिथि पुलिस अधीक्षक वरूण ​कुमार सिन्हा ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के कथनों का हवाला देते हुए कहा कि- 'गंगा तो विशेषकर भारत की नदी है। जनता की प्रिय है जिससे सिमटी हुई है जातीय स्मृतियाँ, उनकी आशाएँ और उनके भय, उनके विजय और पराजय । गंगा भारत की प्राचीन सभ्यताओं की प्रतीक रही है। सदा बदलती, सदा बहती, फिर वही गंगा की गंगा।'' इस आयोजन के संदेश को उन्होंने जन-जन तक फैलाने का आह्वान किया।

इस मौके पर पूर्व में भारत तिब्ब्त सीमा पुलिस की ओर से चित्रकला प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। उपेन्द्र ट्रेनिंग एकेडमी के सभागार में बच्चों के बीच चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया था। बच्चों ने चित्रकला के माध्यम से गंगा की स्थिति को अपने चित्रों में जहाँ रेखांकित किया वहीं गंगा की स्वच्छता का भी संदेश दिया।

इस मौके पर विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ कविता वर्णवाल ने सुप्रसिद्ध कवि विद्यापति की वाणी के माध्यम से गंगा की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात की चिंता का इजहार किया कि आज स्वार्थ के कारण लोगों ने पवित्र नदी को कचरा ढोने वाली नदी बना दिया है। इसका खामियाजा हम स्वयं भुगत रहे हैं। यह एक त्रासदी है कि गंगा की गणना विश्व की सबसे अधिक प्रदूषित पाँच नदियों में की जा रही है।

आरडीएंडडीजे कॉलेज के प्राध्यापक प्रो. शब्बीर हसन ने कहा कि विकास के मौजूदा मॉडल से नदियाँ नष्ट हो रही हैं, उसका अस्तिव समाप्त हो रहा है। गंगा में जिस कदर प्रदूषण बढ़ा है, उससे जैवविविधता को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस स्थिति में सभी को दायित्वबोध का अहसास होना चाहिए कि नदियों को हम गंदा न करें।

सामाजिक कार्यकर्ता किशोर जायसवाल गंगा भारतीय संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी है। साथ ही गंगा से देश के 11 राज्यों की अर्थव्यवस्था जुड़ी है। प्रदूषण के कारण किसके अस्तित्व पर खतरा है? उसके रोजगार बचेंगे या नहीं यह एक चुनौती भरा सवाल है। अरबों खर्च होने के बाद भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकले तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने हाल में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।

एक पखवारे तक चले जागरूकता कार्यक्रम के दौरान मुंगेर के पोलो ग्रांउड से लेकर सोजी घाट तक रैली का आयोजन किया गया। इस रैली के माध्यम से स्कूली बच्चों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने 'गंगा को अविरल बहने दो, निर्मल रहने दो', 'हमने ठाना है गंगा को स्वच्छ बनाना है' आदि नारे लगाए। इस दौरान प्रतिभागियों ने श्रमदान कर गंगा नदी के किनारे के घाटों की सफाई भी की।
 

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