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छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में आधुनिक कृषि उपकरणों को अपनाने में अड़चन
आदिवासी किसानों के अधिकांश उपकरण स्थानीय कारीगरों द्वारा बास, लकड़ी और लोहे से बने होते हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे उन्होंने मानकीकृत कारखाना निर्मित उपकरणों को अपनाना शुरू कर दिया है जो किफायती मी होते हैं। आदिवासियों के पारंपरिक कृषि उपकरण पुरुष और महिला दोनों उपयोग कर सकते हैं Posted on 05 Jun, 2023 11:25 AM

झारखंड की आदिवासी आबादी अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि और मजदूरी पर निर्भर है। रामगढ़ जिले की आदिवासी आबादी लगभग 21 प्रतिशत है। छोटानागपुर पठारी क्षेत्र के अधिकांश आदिवासी किसानों के पास छोटी जोत की भूमि है। परंपरागत रूप से भूमि पर आदिवासियों का कब्जा था लेकिन धीरे- धीरे इसे सरकारों द्वारा कोयला खनन और खनिज अन्वेषण कंपनियों को हस्तारित कर दिया गया। आदिवासी कृषि प्रणाली में यांत्रिक शक्ति

छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में आधुनिक कृषि उपकरणों को अपनाने में अड़चन,PC-उन्नत कृषि
क्यों चाहिए निर्मल धारा
भारतीय संस्कृति में नदी और मनुष्य के बीच बहुत गहरा रिश्ता रहा है। रिश्ता आज भी कायम है लेकिन नदियों के प्रति रवैया बदल चुका है। नदियों के प्रति हमारा रवैया वैसा ही है, जैसा कई अन्य महत्त्वपूर्ण पहलूओं की ओर है-वैचारिक स्तर पर पूजनीय और आचरण के स्तर पर उपेक्षित यही कारण है कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे गांव से बहने वाली कोई नदी खत्म हो चुकी है।
Posted on 03 Jun, 2023 03:34 PM

नदियाँ मनुष्य को सदैव आकर्षित करती हैं। कभी हम उन्हें देवी समझकर पूजने जाते हैं तो कभी सखी समझकर अटखेलियां करने कुछ समय नदी किनारे व्यतीत करने के बाद हम लौट आते हैं अपनी जिंदगी में फिर किसी दिन समाचार में नदी और उसे साफ करने की कोशिशें एवं उसकी स्वछता के लिए चलाये जाने वाले अभियान देखने को मिलते हैं। एक बार फिर हम नदी को खबर में ही छोड़ देते हैं क्योंकि नदी की धारा निर्मल हो या ना हो इससे हमें

क्यों चाहिए निर्मल धारा,Pc-Sadhguru
विजय जड़धारी को मिला 'हिमालय प्रहरी सम्मान'
एक दुर्लभ मौका था जब सम्मान देने वाले और लेने वाले 'शख्स दोनों की ऊंचाई और गहराई की थाह हॉल में मौजूद लोगों के दिल में बहुत गहरे से बैठी थी। सम्मानों के इस दौर में यह सम्मान समारोह वाकई दुर्लभ था, जहां सम्मान देने वाला, लेने वाला और संस्तुति करने वाला एक से बढ़कर एक हो। सुंदर लाल बहुगुणा जी की स्मृति में विमला बहुगुणा-मेघा पाटेकर - विजय जड़धारी की त्रिमूर्ति ने इस पल को हमेशा के लिए यादगार बना दिया, क्योंकि एक कर्मठ, समर्पित, सच्चे जन नायक का सम्मान उसी कद के दूसरे जननायक द्वारा होना बड़ी बात है। Posted on 03 Jun, 2023 03:18 PM

टिहरी जनपद की रमणीय हरी-भरी रौतियाली हेंवलघाटी को एक बार फिर से 21 मई 2023 की तपती दोपहरी को अपने पर इतराने इठलाने का मौका मिला, जब हेवलघाटी के चिपको आंदोलन के पुरोधा जमनालाल बजाज पुरूस्कार विजेता सर्वोदयी धूम सिंह नेगी जी के बाद उनके ही कर्मठ शिष्य चिपको कार्यकर्त्ता और विश्व विख्यात बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता सर्वोदयी विजय जड़धारी को 'हिमालय प्रहरी सम्मान 2023' से नवाजा गया। सर्वोदयी पद्मविभू

विजय जड़धारी को मिला 'हिमालय प्रहरी सम्मान', Pc-Jagran
विश्व साइकिल दिवस (वर्ल्ड बाइसिकल डे)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अप्रैल २०१८ में ३जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में घोषित किया जो कि साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है। Posted on 03 Jun, 2023 02:34 PM

महत्व

विश्व साइकिल दिवस एक विशेष दिन है जो लोगों के लिए आनंद लेने के लिए घोषित किया गया है ताकि लोग इसकी महत्वता को समझे और अपने जीवन में लागु करे जो की पर्यावरण के हित में भी है और इससे नेचुरल रिसोर्सेज को भी बचाया जा सकता है। साइकिल एक "टिकाऊ परिवहन का प्रतीक है और टिकाऊ खपत और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक संदेश देती है, और जलवायु पर सकारात्मक प

विश्व साइकिल दिवस,Pc-Eduwar
एक विशाल नदी के बनने में कई हजार छोटी नदियों का होता है योगदान
बड़ी एवं विशाल नदियों मे आने वाले जल कि मात्रा समय के साथ घटती गई है, कावेरी, कृष्णा एवं नर्मदा जैसी देश की कुछ प्रमुख नदियों में विगत शताब्दी में जल की मात्रा बहुत प्रभावित हुई है। इस सब के पीछे बेसिन क्षेत्र एवं इन नदियों मे जल लाने वाली छोटी नदियों मे हुए मानव जनित परिवर्तन प्रमुख कारण माना जा सकता है। नदी संरक्षण के प्रारंम्भिक प्रयासों में भी छोटी नदियों की अपेक्षा बड़ी  एवं विशाल नदियों की मुख्य धारा को ही अधिक महत्व दिया गया।
Posted on 03 Jun, 2023 12:19 PM

विगत कुछ वर्षों को छोड़कर नदी संरक्षण पर देश विदेश में किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा से ज्ञात होता है कि यह प्रयास मुख्यतः बड़ी नदियों पर समग्र रूप से केंद्रित रहे है जो कि अनेक विविध कारणों से संभवतः बहुत अधिक प्रभावी एवं सफल नहीं हो पाए।गंगा नदी के उदाहरण से ही समझा जा सकता है कि जो प्रयास मुख्य धारा  (गंगा) को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है उनको फलीभूत करने के लिए केंद्र सरकार से धन एवं ससाध

एक विशाल नदी के बनने में कई हजार छोटी नदियां का होता है योगदान, Pc-vivacepanorama
घटते जल संसाधनों में फसलोत्पादन में वृद्धि के लिए वाषोत्सर्जन आधारित जल प्रबंधन एक उचित प्रौद्योगिकी
पानी सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन है जो धीरे-धीरे दुनिया भर में सीमित संसाधन बनता जा रहा है। दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी को वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। दुनिया के वर्षावन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो पहले से ही जनसंख्या का भारी सकेंद्रण कर रहे हैं। Posted on 02 Jun, 2023 01:42 PM

पानी सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन है जो धीरे-धीरे दुनिया भर में सीमित संसाधन बनता जा रहा है। दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी को वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। दुनिया के वर्षावन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो पहले से ही जनसंख्या का भारी सकेंद्रण कर रहे हैं। भारत में भी स्थिति गंभीर है, जहां पानी की कमी पहले से ही अधिकांश आबादी को प्रभावित कर रही है। कृषि, भारत

घटते जल संसाधनों में फसलोत्पादन,PC-JAGARN
फसल विविधीकरण से किसान की बढ़ी आमदनी
इसी प्रकार से अगेती चना के साथ मूली और गाजर की 0.20 हेक्टेयर में खेती करने में रू0 7080 का खर्च आया और रू0 18.200 की आमदनी हुई। चना के साथ मिश्रित खेती के रूप में मूली और गाजर की खेती उनके द्वारा किया गया एक नवाचार विधि है। Posted on 02 Jun, 2023 12:53 PM

श्री रामचेला सिंह पिता स्व० बालरूप सिंह, ग्राम चैनपुरा, पोस्ट अधौरा, जिला- कैमूर (बिहार) के जागरूक एवं नवाचारी आदिवासी किसान हैं। उनके पास खेती योग्य 2.4 हेक्टेयर पठारी जमीन कर्मनाशा नदी के तट पर है। नवाचारी किसान के पास सीमित साधन के होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। पहले वे परंपरागत ढंग से धान, मक्का, तिल, गेहूँ, चना, मटर, सरसों एवं आलू की खेती करते थे परंतु कृषि विज्ञान केन्द्र, कैमूर

फसल विविधीकरण से किसान की बढ़ी आमदनी,PC-भारतवर्ष
छोटी नदियाँ, बड़ी उम्मीदें
हम यदि आज प्रयास करेंगे तो कल नदियाँ जीवित रहेगी और यदि नदियाँ जीवित रहेगी तो मनुष्य का अस्तित्व भी सुरक्षित रहेगा। यहाँ हम बात करेंगे उन छोटी नदियों को, जिनके नाम तक आज हम भूलने लगे हैं। ये छोटी नदियों हमारे जनतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। Posted on 02 Jun, 2023 12:15 PM

नदियाँ प्रकृति का मानवता को अनमोल तोहफा है। विश्व में नदियों के किनारे सभ्यताएं विकासित हुई। आज वही नदियाँ अपने अस्तित्व के लिए मनुष्य से सभ्य आचरण की उम्मीद कर रही है।  नदी और मनुष्य का अस्तित्व पारस्परिक सहजीविता की तरह एक-दूसरे पर निर्भर है। हम यदि आज प्रयास करेंगे तो कल नदियाँ जीवित रहेगी और यदि नदियाँ जीवित रहेगी तो मनुष्य का अस्तित्व भी सुरक्षित रहेगा।

छोटी नदियाँ,बड़ी उम्मीदें,Pc-lovepik
पूर्व चेतावनी प्रणाली
पूर्व चेतावनी प्रणाली एक प्रभावी एकीकृत संचार प्रणाली है जो समुदायों को खतरनाक जलवायु परिवर्तन संबंधी घटनाओं की पूर्व सुचना/जानकारी देकर होने वाली घटना के लिए आधुनिक पावर ग्रिड द्वारा अनिवार्य जानकारी प्रदान करता है जिससे मानव एवं पशु जीवन को बचाया जा सके और सम्पत्ति के नुकसान को कम किया जा सके।

Posted on 01 Jun, 2023 02:09 PM

पूर्व चेतावनी प्रणाली वह सिस्टम है जो कि समुदायों की व्यापारिक सम्प्पति, जायदाद आदि का संरक्षण ,रखरखाव और संचालन , पशु एवं वन्य जीवन आदि को बचाने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक जानकारी और डेटा प्रदान करके और पूर्व चेतावनी के अन्तर्गत (आपदा के सन्दर्भ) में समय से  बचने के उपायों को अपनाकर मानव एवं पशु जीवन को बचाने में मदद करता है और सम्पत्ति के नुकसान को कई हद तक काम कर सकता है।

पूर्व  चेतावनी प्रणाली,Pc-साइंस डायरेक्ट
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नहरी कमांड के तहत ड्रिप सिंचाई पद्धति द्वारा कपास (सफेद सोना) की खेती से किसान के चेहरे पर मुस्कुराहट
नहरों में वार्षिक सिंचाई  की तीव्रता 110% है। इस प्रकार, सिंचाई  के जल की आपूर्ति पूरे  खेती क्षेत्र की सिंचाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है इसके परिणामस्वरूप वहाँ दबाव सिंचाई प्रणाली को अपनाने का बहुत अधिक महत्त्व है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के किसानों द्वारा भी दबावयुक्त सिंचाई प्रणाली को मान्यता भी मिल रही है। इस क्षेत्र के एक किसान जिनका नाम श्री विनोद कुमार है वो पद्धति के लोकप्रियता के प्रारंभिक चरण में कपास की फसल में दबाव सिंचाई प्रणाली को अपनाने वालों में से एक है। Posted on 01 Jun, 2023 12:45 PM

राजस्थान के अर्द्ध शुष्क इलाकों में गंग भाखड़ा और इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) के नहरी कमांड क्षेत्रों में कपास की फसल अपने अधिक वाणिज्यिक मूल्य के कारण प्रचलित है जिसको वहाँ उसके लोकप्रिय नाम सफेद सोने के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा केवल 300 मिमी और इससे भी कम हो सकती  हैं। वहाँ भूजल लवणीय है और सामान्य तौर पर सिंचाई के लिए उपयुक्त नहीं है। अतः फसल उत्पादन के लिए

कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नहरी कमांड के तहत ड्रिप सिंचाई,Pc-Jagarn
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