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विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day)2023
पहला विश्व सागर दिवस 8 जून 2009 को मनाया गया था। यह दिवस 1992 में रिओ डी जनेरिओ  में हुए  'पृथ्वी गृह ' फोरम में प्रतिववर्ष विश्व महासागर दिवस को  मनाने के फैसले के बाद और साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस सम्बन्ध में आधिकारिक फैसला लिए जाने के बाद मनाया जाने लगा।


Posted on 08 Jun, 2023 03:17 PM

विश्व महासागर दिवस(world oceans day 2023)

विश्व महासागर दिवस 8 जून को पुरे विश्व में मनाया जाता है। महासागर हमारी पृथ्वी सिर्फ जीवन का प्रतीक ही नहीं बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी एहम भूमिका निभाता है। महासागरों में गिरने वाले प्लास्टिक प्रदुषण कि वजह से महासागर धीरे -धीरे अपशिष्ट होते जा रहे हैं। इस कारण समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। क्यूंकि

विश्व महासागर दिवस, Pc-wallpaper cave
किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है. कृषि से जुड़ी सरकार की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि व वानिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 20.2 प्रतिशत हिस्सा रहा है. देश-दुनिया में अनेक प्रकार के रोजगार के साधन हैं, लेकिन उन सभी संसाधनों को ठोस बुनियाद पर खड़ा करने वाला शक्ति का केंद्र किसान है. Posted on 07 Jun, 2023 04:05 PM

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है. कृषि से जुड़ी सरकार की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि व वानिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 20.2 प्रतिशत हिस्सा रहा है. देश-दुनिया में अनेक प्रकार के रोजगार के साधन हैं, लेकिन उन सभी संसाधनों को ठोस बुनियाद पर खड़ा करने वाला शक्ति का केंद्र किसान है.

किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ,Pc-चरखा फीचर
जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20) 
पशुधन के लिए आहार एवं चारा आवश्यकताओं तथा फसलों की पोषक तत्व आवश्यकता की पूर्ति हेतु 100% जैविक खेती करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सभी परीक्षणात्मक भूखंडों की मेड़ पर आम नींबू ड्रॅगन फ्रूट और पपीते का रोपण किया गया है। Posted on 07 Jun, 2023 12:54 PM

भारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्र:- 

जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्रों को 5वीं मूल्यांकन रिपोर्ट (आईपीसीसी 2014 ) के साथ अद्यतन किया गया। 'रिप्रजेंटेटिव कंसंट्रेशन पाथवेज' (आरसीपी) के आधार पर ये मानचित्र जलवायु पूर्वानुमान में सहायता करते हैं। जलवायु परिवर्तन खतरे को 2020-49 की समयावधि के लिए आरपीसी

जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि,Pc-Krishi-jagat
मृदा एवं जल उत्पादकता(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20)
वैकल्पिक फसल एवं फसलचक्र पैटर्न को अपनाने का सुझाव दिया गया। इसके साथ ही गोआ राज्य त्रिपुरा के सिपाहीजला जिले के चैरीलम ब्लॉक: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुडी ब्लॉक, बीरभूम जिले के राजनगर ब्लॉक: उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के बड़ागांव ब्लॉक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में नगरोटा भगवान ब्लॉक: कर्नाटक में मैसूर जिले के एच.डी. कोटे ब्लॉक: हरियाणा में सिरसा जिले के ओधन ब्लॉक पश्चिम बंगाल में 24 परगना दक्षिण के तटवर्ती क्षेत्र एवं कुलटली ब्लॉक तथा राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों के लिए भूमि संसाधन इनवेन्ट्री (LRI) का उपयोग करके वैकल्पिक भूमि उपयोग नियोजन और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन रीतियों को अपनाने का सुझाव दिया गया। Posted on 07 Jun, 2023 12:12 PM

चुनिंदा जिलों के लिए भूमि उपयोग नियोजन ब्लॉक स्तर पर भूमि उपयोग नियोजन पर कार्य करने हेतु भारत के 27 इच्छुक जिलों के लिए 1 :10,000 स्केल पर भूमि संसाधन इनवेन्ट्री (LRI) तैयार की गई असोम के बरपेटा दरांग, धुबरी, गोलपारा एवं बक्सा जिलों उत्तर प्रदेश के बहराइच, बलरामपुर, चित्रकूट श्रावस्ती तथा सोनभद्र जिलों बिहार के अररिया, बेगुसराय, कटिहार, सीतामडी तथा शेखपुरा जिलों ओडिशा के कालाहाण्डी एवं रायगढ़

मृदा एवं जल उत्पादकता,PC-DB
जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया
नदी घाटी प्रबंधन के लिए सर्वप्रथम घाटी में उन सभी अवयवों जो नदी एवं संबंधित जल, जमीन और जंगलों जैसे संसाधनों पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालते हों की पहचान की जानी चाहिए उपलब्ध आँकड़ों एवं जानकारी के आधार पर क्षेत्र में सभी जल, जमीन और जंगलों से जुड़े संसाधनों की पहचान करके सभी हितधारकों के सहयोग से संबंधित मुद्दों का व्यापक विश्लेषण एवं उस पर समग्र चिंतन होना चाहिये। सभी समस्याओं एवं विघटन की ओर बढ़ रहे संसाधनों को चिन्हित कर इनके स्थानीय स्तर पर संभावित समाधान ढूँढने चाहिए। विषय विशेषज्ञ एवं तकनीकी जानकारों के सहयोग से प्रकृति संरक्षण समन्चित वैज्ञानिक समाधानों का अध्ययन होना चाहिए। Posted on 06 Jun, 2023 01:50 PM

नदी घाटी प्रबंधन से अभिप्राय उन सभी प्राकृतिक अथवा कृत्रिम संरचनाओं एवं प्रक्रियाओं के प्रबंधन से है जो नदी घाटी क्षेत्र में सभी जल संसाधनों के माध्यम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नदी से जुड़े हैं चित्र के माध्यम से इस प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया गया है। सामान्य समय मे जल एवं जल संसाधन के उचित एवं सतत उपयोग के अतिरिक्त नदी घाटी प्रबंधन में निम्म कुछ बिन्दु अवश्य सम्मिलित होने चाहिए।  

जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया,PC-exammaharathi
धीरे-धीरे निर्मल होगी धारा
नदियाँ प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया हुआ ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिससे मनुष्य अनगिनत फायदे लेता है और इन फायदों को लेने के बाद नदी से ली गई सौगातों को जिम्मेदारीपूर्वक लौटाने की बजाय डिफॉल्टर की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाता है। Posted on 06 Jun, 2023 12:48 PM

पिछले अंक में हमने नदियों की निर्मलता पर बात की और यह समझने की कोशिश की कि नदियों की निर्मलता क्यों जरूरी है? साथ ही हमनें औद्योगिक प्रदूषण, बढ़ते शहरीकरण और शहरी अपशिष्ट निदान के नदी पर दुष्प्रभाव और कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के नदी पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की। आइए इस अंक में यह समझने की कोशिश करते हैं कि नदियों की निर्मल धारा कैसी होती है?

धीरे-धीरे निर्मल होगी धारा,PC-Sivana East
क्यों रुक गई बहती धारा 
नदी की सबसे छोटी और साधारण परिभाषा है वो जलधारा जो अपने  उदगम से गतव्य तक खुद ब खुद पहुंच जाएं, कभी हिमखंडों से पिघलकर कभी पहाड़ों से उत्तरकर चट्टानों को काटकर नदियां अपनीयात्रा पूरी कर मंजिल तक पहुंच जाती है। नदी की धारा को प्रकृति ने अविरलता दी है। Posted on 06 Jun, 2023 11:57 AM

प्रज्ञाम्बु के पांचवें अंक में हम बात करेंगे नदियों की अविरलता के बारे में नदी का जिक्र आते ही हमारे जहन में बहते हुए पानी की तस्वीर उभरती है। बहती हुई नदियां अब हमारे इतिहास का हिस्सा बनने लगी हैं, बर्तमान में हमारे देश की कई विशाल नदियां झीलों की एक श्रृंखला में परिवर्तित हो रही है। नदी का ठहर जाना, नदी की मूलप्रवृत्ति के विपरित है। इसी क्रम में अविरलता और ठहराव को समझने के लिए प्रज्ञाम्बु का

क्यों रुक गई बहती धारा,PC-MYD
नदी संरक्षण एवं विकास सीमाओं का महत्व
भारत में गंगा जैसी विशाल नदी के घाटी प्रबंधन की योजना निर्माण का प्रथम सफल प्रयास आईआईटी संघ के द्वारा किया गया, आईआईटी संघ ने नदी के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर अनेक विशेष रिपोर्ट के माध्यम से सरकार एवं अन्य हितधारकों को इसके बारे में जानकारियाँ संकलित कर प्रस्तुत की। Posted on 05 Jun, 2023 04:59 PM

प्रज्ञाम्बु के प्रथम संस्करण में हमने नदी घाटी प्रबंधन, नदी पुनरुद्धार  एवं संरक्षण, प्राथमिकता एवं हितधारकों की भूमिका के बारे में समझने ज्ञान के आधार पर ही सक्षम स्तर पर वार्ता एवं समझौते वाले निर्णयों का एक प्रयास किया। इस क्रम मे हमने यह जाना कि नदी घाटी का निर्धारण किया जा सकता है। प्रथम संस्करण में चर्चा किये गए प्रबंधन एवं नदी संरक्षण के कार्यों में घाटी क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी जो कि

नदी संरक्षण एवं विकास सीमाओं का महत्व,Pc-conservationgateway
परंपरा, विज्ञान, तर्क और हमारी नदियाँ
नदियों पर प्रतिमा विसर्जन से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है लेकिन यह नदियों के प्रदूषण के वृहद कारणों के समक्ष बहुत सूक्ष्म हैं नदियों के किनारे इन रिवाजों से संबंधित क्रियाकलाप प्रत्यक्ष नजर आने की वजह से इन्हें प्रदूषण का प्रमुख कारण मान लिया जाता है। जिसके चलते कई बार प्रदूषण के वृहद कारकों की ओर से ध्यान हट जाता है। इस तथ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि त्योहार और उनसे संबंधित परंपराएं जैसे प्रतिमा विसर्जन वर्ष में एक बार निभाई जाती है। Posted on 05 Jun, 2023 04:01 PM

भारतीय संस्कृति में नदियाँ जीवन के हर रंग और रस में मनुष्य का साथ निभाती हैं। माहौल उत्सव का हो या शोक का दोनों ही स्थितियों में मनुष्य नदी के सान्निध्य में पहुंच जाता है। नदियों से हम बहुत कुछ लेते हैंऔर बदले में ऐसी कई चीजें नदी को अर्पित कर देते हैं, जो कभी ईश्वर के प्रति प्रेम को व्यक्त करने का माध्यम बनी थी - जैसे फूल । त्योहारों के समय नदियों के समीप होने वाले यह क्रियाकलाप सामूहिक रूप से

परंपरा, विज्ञान, तर्क और हमारी नदियाँ, Pc-DH
कद्दू की उन्नत खेती
यदि बीज उगने के लिए खेत है। में पर्याप्त नमी न हो तो पहली सिंचाई बोआई के बाद शीघ्र कर दें। दूसरी और तीसरी सिंचाई भी जल्दी यानि 4-6 दिन के अन्तर से करें। ऐसा करने से बीज शीघ्र तथा आसानी से उग आयेंगें। ग्रीष्म  ऋतु की फसल में 8-10 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है। Posted on 05 Jun, 2023 11:33 AM

भारत में कद्दू या काशीफल की खेती पुरातन काल से होती आ रही है। कददूवर्गीय सब्जियों में कद्दू एवं कुम्हड़ा का विशेष स्थान है। इसके कच्चे व पके हुए फलों से कई प्रकार की सब्जियां बनाई जाती है। उत्तर भारत में तो विवाह व त्यौहार आदि अवसरों पर इसकी सब्जी बनाने की प्रथा है। कद्दू कच्चा और पका फल सब्जी के लिए तथा पके फलों का मिठाई (पेठा) बनाने में प्रयोग होता है। कुम्हड़ा या कददू की एक किस्म मिष्ठान पेठ

कद्दू की उन्नत खेती,Pc-अपनी खेती
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