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समाचार और आलेख
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी
Posted on 17 Jul, 2023 05:59 PMकिसान ऐसी सतत कृषि प्रणालियां विकसित कर सकते हैं जो उन्नत तकनीकों को अपना कर पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देती हैं। हालांकि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रौद्योगिकी कोई जादुई समाधान नहीं है और सतत कृषि के लिए इसे अन्य सतत कृषि पद्धतियों जैसे मृदा संरक्षण, फसल चक्रण और एकीकृत कीट प्रबंधन के साथ लागू किया जाना चाहिए।
![सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A4%A4%20%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80.jpg?itok=hYzpzgls)
यमुना के लिए दिल्ली के श्मशान घाट से लेकर राजघाट तक, दिल्ली सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के किवाड़ बंद क्यों
Posted on 17 Jul, 2023 05:53 PM(हथिनीकुंड बराज से दिल्ली 250 किमी है। रास्ते में यमुनानगर, कैराना, बागपत जैसे दर्जनों शहर-गाँव हैं। पर कट्टर सरकार कहती है जानबूझकर बराज खोल दिया और कारोबारी मीडिया इसी पर भिड़ा है। मानो रास्ते के शहरों में रहने वाले इंसान ही न हों! प्रलय की रोकथाम पर सोचने का होश किसी को नहीं!
![यमुना,फोटो क्रेडिट:-Iwp Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/YAMUNA%20VIEW%20FROMHanthnikund_Barrage.jpg?itok=bC0I260K)
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
Posted on 17 Jul, 2023 04:45 PMवन पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र के अभिन्न अंग हैं। हाल ही के कुछ वर्षो में भारतीय पर्वतीय प्रदेश से दावानलों की संख्या में वृद्धि देखी गयी है। जंगलों की आग की घटनाओं में वृद्धि भी जलवायु परिवर्तन के साथ जुड़े हुये प्रमुख बदलावों में से एक है । जंगलों की आग की आवृत्ति, परिमाण, तीव्रता, प्रकार आदि वनों की संरचना और प्रकार के अलावा स्थानीय मौसम और जलवायु पर भी निर्भर करती है । इन सब के अलावा जलवायु प
![पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,फोटो क्रेडिट :-IwpFlicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/climate%20change_0.png?itok=Wz7jIPXI)
प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण (Increasing Fury Of Nature:Causes & Remedies)
Posted on 17 Jul, 2023 11:55 AMप्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण
प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। पृथ्वी पर इसके बाहरी पिण्डों एवं स्थितियों के प्रभाव के फलस्वरूप विद्युत चुम्बकीय एवं गुरुत्वीय बलों में परि
![प्राकृतिक आपदा,PC-विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/images.jpg?itok=u9I2rNTT)
भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें
Posted on 15 Jul, 2023 03:28 PMपिछले कई वर्षों से भारत में शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिससे भारत के प्रमुख शहर गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। एशियन विकास बैंक के अनुसार भारत में आने वाली बाढ़ों से प्रति वर्ष लगभग 14,500 करोड़ रुपयों का नुकसान होता है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014
![भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B6%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A2%E0%A4%BC.jpg?itok=9nNBKRR4)
प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन
Posted on 15 Jul, 2023 03:15 PMभागीरथी और ब्रहमपुत्र नदियों में न जाने कहां से इतना पानी आया कि देखते ही देखते उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, का बड़ा भू -भाग जल मग्न हो गया । ऐसा अथाह जल न देखा ना सुना। कालाहांडी का जल कहां चला गया ?
![प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन,फोटो क्रेडिट:- IWPFlicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%82%20.png?itok=Wj0kWT2W)
सिंधु जल समझौता 1960 फिर क्यों चर्चा में
Posted on 14 Jul, 2023 12:08 PMकिसी दो पड़ोसी देशों के बीच हमेशा संवाद के कई पुल होने चाहिए। सिंधु जल संधि 1960 भारत और पाकिस्तान के बीच एक इसी तरह का पुल है, जहां पर भारत से निकलने वाली प्रमुख 7 नदियों के पानी का बंटवारा इस संधि के माध्यम से किया गया है। और इस बंटवारे में हमेशा से पाकिस्तान काफी फायदे की स्थिति में रहा है। क्योंकि इस संधि के तहत भारत से निकलने वाली सभी प्रमुख 7 नदियां जो सिंधु बेसिन का हिस्सा हैं उसका लगभग
![सिन्धु नदी प्रणाली,फोटो क्रेडिट :-राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A5%81%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BF.png?itok=Q9vXO3_D)
हरित धारा से ही जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संभव
Posted on 12 Jul, 2023 02:32 PMमौसम की मार झेलते किसान एक बार और आस खो चुके हैं. खरीफ फसलों की तैयारी बेकार हो गई है. उप्र, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों की खेती चौपट होती जा रही है. किसानों के चेहरे पर मायूसी के बादल साफ दीख रहे हैं. गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं.
![जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण,फोटो क्रेडिट :- चरखा फीचर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20pic%202.jpg?itok=fvFrcM9D)
लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान
Posted on 12 Jul, 2023 01:29 PMसरकारी तंत्र प्रतिवर्ष वृक्षारोपण अभियान आयोजित करता है। इस कार्यक्रम के पीछे भाव अच्छा है परंतु धरती पर हरियाली फैलने से अधिक ये आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। हमें अपने लिए स्वच्छ वायु चाहिए, हमारे ही द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण का निराकरण चाहिए, वातावरण के बढ़ रहे तापमान पर नियंत्रण चाहिए, वर्षा जल का भू संचयन चाहिए, वायुमंडल की आद्रता में वृद्धि चाहिए, वर्षा के लिए अनुकूल वातावरण चाहिए, जैव व
![लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान,फोटो क्रेडिट:- लोक सम्मान](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8%20%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8.jpg?itok=-NzLJK-n)
वैकल्पिक न हो, अमृतरूपी वर्षाजल शेष रहने के लिए पात्र एवं पात्रता की आवश्यकता
Posted on 12 Jul, 2023 01:09 PMइस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिस
![वर्षा जल संरक्षण, फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%20.png?itok=V9UjzYOq)