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सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी देश या क्षेत्र में प्रति व्यक्ति औसत आर्थिक उत्पादन का आकलन करता है। भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र के योगदान में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में विविधता आई है Posted on 17 Jul, 2023 05:59 PM

किसान ऐसी सतत कृषि प्रणालियां विकसित कर सकते हैं जो उन्नत तकनीकों को अपना कर पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देती हैं। हालांकि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रौद्योगिकी कोई जादुई समाधान नहीं है और सतत कृषि के लिए इसे अन्य सतत कृषि पद्धतियों जैसे मृदा संरक्षण, फसल चक्रण और एकीकृत कीट प्रबंधन के साथ लागू किया जाना चाहिए।

सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
यमुना के लिए दिल्ली के श्मशान घाट से लेकर राजघाट तक, दिल्ली सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के किवाड़ बंद क्यों
हिंदुस्तान भर में पहले दिल्ली की सियासी शतरंज की चालों पर चर्चा होती थी। परंतु आज उसकी बाढ़, बदहाली, दिल्ली हुकूमत के मरकज, दिल्ली सचिवालय से लेकर महात्मा गांधी के राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के शांतिवन, इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली के श्मशान घाट तक के दीवार के किवाड़ बंद होने पर जारी है। Posted on 17 Jul, 2023 05:53 PM

(हथिनीकुंड बराज से दिल्ली 250 किमी है। रास्ते में यमुनानगर, कैराना, बागपत जैसे दर्जनों शहर-गाँव हैं। पर कट्टर सरकार कहती है जानबूझकर बराज खोल दिया और कारोबारी मीडिया इसी पर भिड़ा है। मानो रास्ते के शहरों में रहने वाले इंसान ही न हों! प्रलय की रोकथाम पर सोचने का होश किसी को नहीं!

यमुना,फोटो क्रेडिट:-Iwp Flicker
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन एक बहुत ही विस्तृत विषय है और इसके लगभग सभी क्षेत्रों पर कुछ ना कुछ प्रभाव है, पर्वतीय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। विश्व के सभी पहाड़ पृथ्वी की सतह के लगभग 20% के क्षेत्रफल पर फैले हुये हैं साथ ही विश्व की कुल जनसंख्या के 10% लोगों को घर और 50% लोगों को कृषि भूमि की सिंचाई हेतु जल, औद्योगिक उपयोग और घरेलू उपभोग के लिए मीठा पानी प्रदान करते हैं। Posted on 17 Jul, 2023 04:45 PM

वन पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र के अभिन्न अंग हैं। हाल ही के कुछ वर्षो में भारतीय पर्वतीय प्रदेश से दावानलों की संख्या में वृद्धि देखी गयी है। जंगलों की आग की घटनाओं में वृद्धि भी जलवायु परिवर्तन के साथ जुड़े हुये प्रमुख बदलावों में से एक है । जंगलों की आग की आवृत्ति, परिमाण, तीव्रता, प्रकार आदि वनों की संरचना और प्रकार के अलावा स्थानीय मौसम और जलवायु पर भी निर्भर करती है । इन सब के अलावा जलवायु प

पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,फोटो क्रेडिट :-IwpFlicker
प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण (Increasing Fury Of Nature:Causes & Remedies)
प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। Posted on 17 Jul, 2023 11:55 AM

प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण 

प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। पृथ्वी पर इसके बाहरी पिण्डों एवं स्थितियों के प्रभाव के फलस्वरूप विद्युत चुम्बकीय एवं गुरुत्वीय बलों में परि

प्राकृतिक आपदा,PC-विकिपीडिया
भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें
वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014 में श्रीनगर, दिसम्बर 2015 में चेन्नई तथा अक्टूबर 2020 में हैदराबाद की घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। शहरी बाढ़ का ताजा शिकार हैदराबाद है। बंगाल की खाड़ी में विकसित एक गहरे दबाव के कारण 13-14 अक्टूबर, 2020 को शहर के साथ-साथ तेलंगाना में भी असामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा हुई। Posted on 15 Jul, 2023 03:28 PM

पिछले कई वर्षों से भारत में शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिससे भारत के प्रमुख शहर गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। एशियन विकास बैंक के अनुसार भारत में आने वाली बाढ़ों से प्रति वर्ष लगभग 14,500 करोड़ रुपयों का नुकसान होता है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014

भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया
प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन
प्राकृतिक प्रकोपों के विषय में सामान्य विचारों के भौतिक परिवर्तन की आवश्यकता है। यद्यपि बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक घटनाओं से इनका आरम्भ होता है फिर अधिकतर प्रकोप मानवकृत हैं । कुछ प्रकोप जैसे भूस्खलन, सूखा, वनों में आग आदि अपेक्षाकृत पर्यावरण और साधनों के कुप्रबन्ध के कारण अधिक होते हैं। अन्य प्रकोपों, भूकम्प, ज्वालामुखी, बादल फटना मूर्खता पूर्ण आचरण से और भी भीषण हो जाते हैं। इन सबमें बाढ़ और सूखा आपदायें मुख्य हैं । बाढ़ या सूखा आने से हर क्षेत्र में प्रभाव पड़ता है। इससे मानव जीवन, पशुधन, कृषि, जल संसाधन तथा अर्थ-व्यवस्था पर सीधे प्रभाव पड़ता है। Posted on 15 Jul, 2023 03:15 PM

भागीरथी और ब्रहमपुत्र नदियों में न जाने कहां से इतना पानी आया कि देखते ही देखते उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, का बड़ा भू -भाग जल मग्न हो गया । ऐसा अथाह जल न देखा ना सुना। कालाहांडी का जल कहां चला गया ?

प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन,फोटो क्रेडिट:- IWPFlicker
सिंधु जल समझौता 1960 फिर क्यों चर्चा में
भारत एवं पाकिस्तान के मध्य जल विवाद बंटवारे के समय से ही चला आ रहा है। वास्तव में जब बंटवारा हुआ तो भारत से निकलने वाली रावी एवं सतलुज नदियों के जल पर विवाद खड़ा हो गया था। ये नदियां भारत एवं पाकिस्तान दोनों देशों से होकर बहती है किस देश को कितनी मात्रा में पानी मिले इस बात को लेकर दोनों देशों में मतभेद थे। भारतीय उप महाद्वीप का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र सिन्धु प्रदेश है।
Posted on 14 Jul, 2023 12:08 PM

किसी दो पड़ोसी देशों के बीच हमेशा संवाद के कई पुल होने चाहिए। सिंधु जल संधि 1960 भारत और पाकिस्तान के बीच एक इसी तरह का पुल है, जहां पर भारत से निकलने वाली प्रमुख 7 नदियों के पानी का बंटवारा इस संधि के माध्यम से किया गया है। और इस बंटवारे में हमेशा से पाकिस्तान काफी फायदे की स्थिति में रहा है। क्योंकि इस संधि के तहत भारत से निकलने वाली सभी प्रमुख 7 नदियां जो सिंधु बेसिन का हिस्सा हैं उसका लगभग

सिन्धु नदी प्रणाली,फोटो क्रेडिट :-राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की
हरित धारा से ही जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संभव
गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं. वर्षा ऋतु के आगमन के साथ बच्चों की वह उक्ति फीकी पड़ गई है- ‘घोघो रानी कितना पानी?’ चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. एक तरफ दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब भारी बारिश में बाढ़ के हालात झेल रहा है वहीं दूसरी ओर बिहार जैसे राज्य प्रचंड गर्मी की वजह से तप रहे हैं. जहां की धरती तापमान बढ़ता जा रहा है Posted on 12 Jul, 2023 02:32 PM

मौसम की मार झेलते किसान एक बार और आस खो चुके हैं. खरीफ फसलों की तैयारी बेकार हो गई है. उप्र, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों की खेती चौपट होती जा रही है. किसानों के चेहरे पर मायूसी के बादल साफ दीख रहे हैं. गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण,फोटो क्रेडिट :- चरखा फीचर
लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान
यदि 5 जून को ही पर्यावरण दिवस मनाने का बहुत मन अथवा बाध्यता ही हो तो इस दिन पौधरोपण की बजाय अन्य कार्य जैसे इस विषय पर जागरूकता कार्यक्रम, हरियाली माह में वृक्षारोपण के स्थान चयन एवं अन्य तैयारी आदि करें। Posted on 12 Jul, 2023 01:29 PM

सरकारी तंत्र  प्रतिवर्ष वृक्षारोपण अभियान आयोजित करता है। इस कार्यक्रम के पीछे भाव अच्छा है परंतु धरती पर हरियाली फैलने से अधिक ये आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। हमें अपने लिए स्वच्छ वायु चाहिए, हमारे ही द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण का निराकरण चाहिए, वातावरण के बढ़ रहे तापमान पर नियंत्रण चाहिए, वर्षा जल का भू संचयन चाहिए, वायुमंडल की आद्रता में वृद्धि चाहिए, वर्षा के लिए अनुकूल वातावरण चाहिए, जैव व

लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान,फोटो क्रेडिट:- लोक सम्मान
वैकल्पिक न हो, अमृतरूपी वर्षाजल शेष रहने के लिए पात्र एवं पात्रता की आवश्यकता
इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिसके कारण आसमान से बरसने वाले अमृत को हम सहेज नहीं पाते। Posted on 12 Jul, 2023 01:09 PM

इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिस

वर्षा जल संरक्षण, फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker
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