जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज

जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज,फोटो क्रेडिट:- जल शक्ति मंत्रालय
जल जीवन मिशन से साकार हो रहा ग्राम स्वराज,फोटो क्रेडिट:- जल शक्ति मंत्रालय

अनुषंगिता के सिद्धांत' या अभिशासन के न्यूनतम समुचित स्तर से सेवाओं की सुपुर्दगी को संविधान के 73वें संशोधन द्वारा मान्यता दी गई है। इसमें पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को 29 विषयों के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है और इन विषयों में पेयजल' भी शामिल है। इस संवैधानिक संशोधन के बाद, ग्रामीण स्थानीय निकायों / पंचायती राज संस्थाओं को आवंटित सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए निधियों, कार्यों और कार्यकारी संस्थाओं के साथ सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
पिछली केंद्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाएं, त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को भी योजना चरण से पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी और सृजित पेयजल परिसंपत्तियों और सेवाओं की सुपुर्दगी के लिए अंतिम अधिग्रहण की आवश्यकता थी। जल आपूर्ति सेवाएं प्रदान करने में पंचायती राज संस्थाओं की प्रभावी भागीदारी को धीमा करने वाले मुद्दों में से एक प्रमुख मुद्दा जल आपूर्ति सेवाओं में राज्य ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग / बोर्ड / निगम आदि द्वारा इंजीनियरिंग / निर्माण- संबंधी के रूप में देखा गया था, जो समुदायों और पीआरआई की भागीदारी को सीमित कर रहा था। स्थानीय मानव संसाधनों के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण, कमजोर संस्थागत तंत्र, गैर- प्राथमिकता पेयजल सेवा सुपुर्दगी, आदि के लिए व्यय के कारण स्थानीय समुदायों की भागीदारी में और बाधा आई।

जल जीवन मिशन

ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने की भारत सरकार की नीति ने 2012 में बारहवीं पंचवर्षीय योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया, जब हैंडपंप प्रदान करने से पाइप जलापूर्ति के लिए दृष्टिकोण बदल दिया गया था। इस योजना में ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन में वृद्धि की परिकल्पना की गई थी। 2019 में, नीतिगत दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव किया गया था, जिसमें पाइप से पेयजल आपूर्ति के लिए सभी ग्रामीण घरों में 100% कवरेज की परिकल्पना की गई थी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त, 2019 को 3.60 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय से 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल कनेक्शन का प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन की घोषणा की। यह एक पथ प्रदर्शक पहल थी जिसका उद्देश्य लोगों के जीवन में सुधार लाना और ग्रामीण क्षेत्रों में 'जीवन की सुगमता' को बढ़ाना था।

जल जीवन मिशन ग्राम पंचायत / स्थानीय समुदाय का सशक्तीकरण

जल जीवन मिशन, पंचायती राज संस्थाओं के संदर्भ में, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, पिछले ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रमों/योजनाओं में प्रमुख चुनौतियों के रूप में टॉप-डाउन इंजीनियरिंग दृष्टिकोण और समुदाय भागीदारी / स्वामित्व की कमी, ग्राम पंचायत (जीपी) स्तर पर पर्याप्त मानव संसाधन और वित्तीय संसाधनों की अनुपलब्धता की पहचान की गई है। इस दृष्टिकोण के साथ, ग्राम पंचायत/ग्रामीण समुदायों को अपनी स्वयं की जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाने, उन्हें लागू करने, संचालन करने और बनाए रखने में सशक्त बनाया जा रहा है, जिससे इस नई अवधारणा में प्राथमिक हितधारक बन रहे हैं। मिशन ने निम्नलिखित के माध्यम से उनकी संघटनात्मक भागीदारी सुनिश्चित की
1.) पानी की आपूर्ति सेवा की मांग सृजन, आयोजना, क्रियान्वयन, प्रबंधन और सभी ग्राम-अवस्थित जलापूर्ति परिसंपत्तियों का संचालन तथा रखरखाव (ओ एंड एम) करने में सक्रिय भागीदारी;

ii) ग्राम पंचायत और / या इसकी उप समिति, ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) / पानी समिति / उपयोगकर्ता समूह को उपयोगकर्ता शुल्क निर्धारित करने, उपयोगकर्ता परिवर्तनों की बहाली और दिन-प्रतिदिन ओ एंड एम का प्रबंधन करने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।  

इन सभी पहलों की परिकल्पना ग्राम पंचायतों/ वीडब्ल्यूएससी को गांवों में हर घर में नियमित और दीर्घकालिक जल आपूर्ति के लिए स्थानीय सार्वजनिक उपयोगिताओं' के रूप में कार्य करने के लिए परिवर्तित करने के लिए की गई है।

राज्य सरकारें पंचायती राज (पीआर) अधिनियम के तहत एक उपयुक्त अधिसूचना जारी करें, जिससे ग्राम पंचायतों और / या इसकी उप-समितियों जैसे वीडब्ल्यूएससी / पानी समिति / उपयोगकर्ता समूह आदि को उनकी आयोजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और ग्राम - अवस्थित जल आपूर्ति प्रणाली के रखरखाव, जिसमें अन्य बातों के साथ- साथ, जिम्मेदारियों को निर्धारित करने की शक्तियां, वीडब्ल्यूएससी/ पानी समिति की संरचना, जल सेवा शुल्क का निर्धारण और संग्रह आदि शामिल हैं, करने में सशक्त बनाया जा सके। वीडब्ल्यूएससी / पानी समितियों में पंचायत के निर्वाचित सदस्य 25% महिला सदस्य 50%; और गांव के कमजोर वर्गों (एससी/एसटी) के प्रतिनिधि 25% या उनकी आबादी के अनुपात में शामिल होते हैं। यह सभी समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सशक्त समुदाय गांवों में पेयजल सुरक्षा में मदद करने के लिए 'चेंज एजेंट' होगा।

3600 दृष्टिकोण

जेजेएम के 3600 दृष्टिकोण में घरेलू नल जल आपूर्ति के लिए समुदाय को संगठित करने से लेकर गांव में जलापूर्ति परिसंपत्तियों की आयोजना, कार्यान्वयन, कार्य प्रारंभ और प्रबंधन तथा उसके संचालन और रखरखाव के लिए हर कदम पर स्थानीय शासी संस्थानों की भागीदारी की परिकल्पना की गई थी। इसमें जल आपूर्ति सेवा वितरण के विभिन्न पहलुओं में निरंतर निगरानी, सॉफ्ट और हार्ड कौशल प्रदान करना, समुदाय के सदस्यों और ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षण देना भी शामिल है। यह पंचायती राज संस्थाओं को पर्याप्त निधियों, कार्यों और कार्यकर्ताओं की सुलभता के साथ सशक्त बनाता है ताकि वे गाँव / ग्राम पंचायत स्तर पर एक उपयोगिता के रूप में कार्य कर सकें।

1.)  आयोजना

जेजेएम के तहत ग्राम समुदाय और ग्राम पंचायतें प्रेरक शक्ति हैं। मिलकर वे जल आपूर्ति योजनाओं की शुरुआत से लेकर चालू होने तक का नेतृत्व करते हैं। नल के पानी के कनेक्शन के प्रावधान के लिए, प्राथमिक आवश्यकता एक ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करना है, जो भागीदारी के तरीके से तैयार किया गया एक 5 वर्षीय दस्तावेज है। ग्राम कार्य योजनाएं जिला कार्य योजनाओं और राज्य कार्य योजना की ओर ले जाती हैं।

ग्राम स्तर पर, ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित वीएपी सभी जल आपूर्ति और संबंधित कार्यों के लिए मुख्य आयोजना दस्तावेज है। जेजेएम सहित विभिन्न स्रोतों से धन, वीएपी के विभिन्न घटकों को लागू करने के लिए निर्धारित किया गया है। वीएपी के बाहर किसी भी कार्य की अनुमति नहीं है, भले ही धन का कोई अलग स्रोत उपलब्ध हो। इससे नियोजित उत्पादन के लिए संसाधनों के इष्टतम उपयोग में मदद मिलेगी। ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत वीएपी को जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के समक्ष रखा जाता है।

(ii) कार्यान्वयन

मिशन ग्राम जल योजना को लागू करने और कार्यों के भुगतान के लिए एक एजेंसी के चयन में ग्राम पंचायतों को भी अधिकार देता है। डीडब्ल्यूएसएम, ग्राम पंचायत और / या उसकी उप समिति की सहमति से, पैनल में शामिल सूची से एजेंसी का निर्णय करता है, यह सुनिश्चित करता है कि एक गांव में सभी कार्यों के लिए केवल एक एजेंसी हो तथा डीडब्ल्यूएसएम, ग्राम पंचायत और / या इसकी उप-समिति और निष्पादन एजेंसी के बीच तीन पक्षकारों वाले करार के माध्यम निर्माण कार्य के लिए संविदा प्रदान करता है।

प्रत्येक चालू बिल के तहत भुगतान करने के लिए,

i.) जीपी या इसकी उप-समिति, 
ii.) पीएचईडी / आरडब्ल्यूएस विभाग; और 
iii) राज्य द्वारा सूचीबद्ध तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसी द्वारा कार्यस्थल / कार्यों का संयुक्त निरीक्षण किया जाता है। कार्य पूर्ण होने के बाद ग्राम पंचायत की उपस्थिति में योजना का परीक्षण कार्य (ट्रायल) किया जाता है। सफल परीक्षण के बाद, योजना को चालू घोषित किया जाता है। जीपी या उसकी उप-समिति योजना पूर्णता और कार्य आरंभ होने को प्रमाणित करती है। यहां कार्य आरंभ(कमीशनिंग) का अर्थ है- निर्माण पूरा होना, सफल परीक्षण और गांव में पानी के बुनियादी ढांचे के ओएंडएम कार्य को ग्राम पंचायत को सौंपना। एक ग्राम योजना चालू होने के बाद, उसकी संपत्ति को जीपी के पास दर्ज किया जाता है।एक प्रमुख हितधारक के रूप में, ग्राम पंचायत का एक और अनूठा कार्य होता है- यह अपने गांव के लिए हर घर जल (100% नल जल कनेक्शन) के अनुपालन को प्रमाणित करती है।

(iii) संचालन और रखरखाव

पिछली जल आपूर्ति योजनाओं में, संचालन और रखरखाव सबसे उपेक्षित क्षेत्र था। इससे सबक सीखते हुए, मिशन ने योजना की डिजाइन अवधि के दौरान ओ एंड एम को बनाए रखने के लिए ग्राम पंचायतों के लिए प्रावधान किए।ओ एंड एम में बिजली, रसायनों, एफटीके, निवारक रखरखाव पर खर्च, ब्रेकडाउन मरम्मत, पंप ऑपरेटर का पारिश्रमिक आदि की आवर्ती लागत शामिल है। ग्राम पंचायतों और स्थानीय समुदायों को गांव में पानी के कार्यों की स्थिरता और ओ एंड एम लागत को कम करना सुनिश्चित करना है। समुदाय द्वारा समय-समय पर भुगतान किए जाने वाले जल उपयोगकर्ता शुल्क का निर्धारण ग्राम पंचायतों को करना है। इसके अलावा, उनके पास विभिन्न स्रोतों से ओ एंड एम के लिए समर्पित धन प्राप्त करने के लिए एक अलग बैंक खाता है, जिसमें उपयोगकर्ता शुल्क, ग्रामीण जल आपूर्ति योजना की पूंजीगत लागत के 10% का जेजेएम प्रोत्साहन आपातकालीन मरम्मत / रखरखाव के लिए 'रिवाल्विंग फंड' के रूप में तथा 15वें वित्त आयोग का पानी एवं स्वच्छता के लिए सशर्त अनुदान शामिल है।

सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, मिशन ग्रामीण जल आपूर्ति क्षेत्र और जल आपूर्ति प्रणालियों के ओ एंड एम में उद्यम शुरू करने के लिए प्लबिंग, बिजली और चिनाई कार्यों में कौशल प्रशिक्षण के लिए स्थानीय युवाओं को प्रोत्साहित करता है। यह पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए हर गांव में कम से कम पांच महिलाओं के प्रशिक्षण की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। इससे ओ एंड एम में अधिक आत्मनिर्भरता और पानी के मुद्दों के प्रति सामुदायिक जागरूकता का सृजन होगा।

(iv.) जीपी / वीडब्ल्यूएससी का क्षमता निर्माण

मिशन की सहायक गतिविधियों के तहत, समुदायों और पीआरआई/जीपी का क्षमता निर्माण एक प्रमुख गतिविधि है। मिशन पीआरआई कर्मियों की उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए क्षमता निर्माण का समर्थन करता है। यह ग्राम पंचायतों / वीडब्ल्यूएससी को पानी के विवेकपूर्ण उपयोग, गर्मियों में पानी की अधिकता वाली फसलों की तुलना में पीने के लिए पानी को प्राथमिकता देने, जल संरक्षण के लिए राज्य और केंद्र के कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ तालमेल आदि के बारे में संवेदनशील बनाता है।

(v.) पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करना

लंबे समय तक दूषित पानी पीने से समुदाय को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय मानक 10500:2012 का पालन किया जाता है। आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में पंचायती राज संस्थाओं / ग्राम पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस उद्देश्य के लिए, मिशन द्वारा ग्राम पंचायतों / पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को पानी की गुणवत्ता और जल जनित रोगों के प्रभाव, सुरक्षित प्रबंधन और भंडारण, पानी की गुणवत्ता की समस्या के मामले में किए जाने वाले उपचारात्मक उपायों आदि के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रत्येक गांव में, वीडब्ल्यूएससी / उप-समिति समय-समय पर फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके बैक्टीरिया और रासायनिक संदूषण के लिए पानी की गुणवत्ता परीक्षण करती है। गांवों के पानी के नमूनों का परीक्षण जिला जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं में भी किया जाता है। एफटीके परीक्षण और प्रयोगशाला - आधारित परीक्षण केके परिणाम डीडीडब्ल्यूएस की जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) में अपलोड किए जाते हैं ताकि समय रहते उपचारात्मक कार्रवाई की जा सके। कोई भी व्यक्ति वेबसाइट से नजदीकी जल परीक्षण प्रयोगशाला की सूचना प्राप्त कर सकता है।

(vi.) सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियाँ

कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (आईएसए) द्वारा समर्थित ग्राम पंचायतें पानी के विभिन्न पहलुओं पर सामुदायिक जागरूकता के लिए आईईसी अभियान चलाती हैं। राज्य / जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के आईईसी अभियानों में प्रभावी प्रसार के लिए ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं। आउटरीच गतिविधियां जेजेएम को एक 'जन आंदोलन' बना देंगी।

(vii) ग्रे वाटर प्रबंधन

जब प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल जल कनेक्शन प्रदान किया जाना है, तो बहुत अधिक ग्रे वाटर उत्पन्न होने की उम्मीद है क्योंकि घरों को आपूर्ति किए जाने वाले पानी का लगभग 65% ग्रे वाटर के रूप में छोड़ दिया जाता है। ग्रे- वाटर प्रबंधन, इसलिए, जेजेएम के तहत एक महत्वपूर्ण घटक है। इसका संग्रह, उपचार और पुन: उपयोग ग्राम कार्य योजना का हिस्सा है। जब सही उपचार तकनीकों के साथ उपयोग किया जाता है, तो ग्रे- वाटर कृषि और अन्य गैर-पीने योग्य उपयोगों के लिए एक उपयोगी संसाधन बन जाता है, जो बदले में गांवों में ताजे पानी की मांग को कम करेगा और साथ ही साथ ग्रे वाटर से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों से बचा जा सकता है। यह चक्रीय- बहाव-उपयोग-शोधन (सर्कुलर एक्सट्रैक्ट यूज- ट्रीट) और पुन: उपयोग (री-यूज) दृष्टिकोण गांवों में जल सुरक्षा की कुंजी है। उपचारित ग्रे वाटर को कृषि, बागवानी, कृषि-वानिकी, औद्योगिक उद्देश्य आदि में उपयोग के लिए बेचा जा सकता है। उत्पन्न राजस्व का उपयोग शोधन इकाई के ओएंडएम और पानी की आपूर्ति के लिए किया जा सकता है। वीडब्ल्यूएससी / उप-समिति ग्रे- वाटर प्रबंधन कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

(viii.) जल आपूर्ति की निगरानी

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने पायलट के रूप में 11 गांवों में पानी की मात्रा, गुणवत्ता और आपूर्ति नियमितता की सेंसर आधारित निगरानी शुरू की है और 9 राज्यों में फैले अन्य 100 गांवों में काम चल रहा है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का उपयोग करते हुए, सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए डेटा को जेजेएम के वास्तविक समय ( रीयल-टाइम)डैशबोर्ड में एकत्र, संकलित और विश्लेषित किया जाता है। इसके अलावा, गांवों में जीपी / वीडब्ल्यूएससी कर्मियों को विभिन्न विवरणों को पढ़ने और व्याख्या करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। सभी राज्य आईओटी आधारित निगरानी के लिए गांवों की पहचान करें ताकि पानी की मात्रा और गुणवत्ता पर वास्तविक समय के डेटाबेस को नियमित आधार पर ट्रैक किया जा सके।

(ix) आपदा प्रबंधन

जीपीएस आपदा के समय पेयजल सेवाओं के प्रावधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वे बाढ़ या अन्य प्राकृतिक घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए गांव में जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के आदर्श स्थान की पहचान करने में भी मार्गदर्शन कर सकते हैं। आपदा तैयारियों के हिस्से के रूप में, ग्राम पंचायतों को मानसून की शुरुआत से पहले अपने स्पॉट स्रोतों (हैंड पंप) की मरम्मत और एफटीके का उपयोग करके अपने पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करवाना चाहिए ताकि जलापूर्ति योजना के टूटने की स्थिति में, एक वैकल्पिक स्रोत हाथ में हो।

निष्कर्ष

जल जीवन मिशन के तहत विकेन्द्रीकृत, मांग- संचालित और समुदाय प्रबंधित ग्राम-अवस्थित पेयजल आपूर्ति प्रणालियों की परिकल्पना की गई है ताकि स्थानीय ग्राम समुदायों और ग्राम पंचायतों / वीडब्ल्यूएससी दोनों को सशक्त बनाया जा सके। समुदायों को सुरक्षित पाइपगत पेयजल आपूर्ति उपलब्ध हुई है जबकि उपयोगिताओं और सेवा प्रदाताओं के रूप में ग्राम पंचायतों के पास जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ जल आपूर्ति सेवा सुनिश्चित करने के लिए साधन उपलब्ध हैं। इन ग्राम जल आपूर्ति प्रणालियों में ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और रोजगार का संवर्धक बनने की क्षमता है। ग्रामीण स्थानीय निकायों को इस प्रकार का समर्थकारी वातावरण उपलब्ध कराकर जल जीवन मिशन महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज' ग्राम गणतंत्र के दृष्टिकोण को साकार कर रहा है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय स्थानीय स्वशासन को मजबूत कर रहा है।

सोर्स- जल जीवन संवाद,अंक XI | अगस्त 2021 

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Post By: Shivendra
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