बाड़मेर जिले के इन गांवों में लोग अपने घरों में नल का पानी देखकर उत्सव मनाने का आह्वान करते हैं। इन ग्रामीण समुदायों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। इस मरुस्थलीय जिले में बहुत सीमित वर्षा के कारण, उनके घरों में नल से पानी मिलने की बात पहले कभी किसी नहीं सोची थी। लेकिन, जल जीवन मिशन ने इसे संभव बना दिया है।
बाड़मेर जिले के पांच गांव- समदारी स्टेशन, तेमावास, सांवरदा, समदारी और चिरियारा 'हर घर जल' बनने वाले पहले गांव बन गए हैं। बाड़मेर राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा जिला है जो पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है और इसका थार त्योहार हर मार्च में मनाया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं। बाड़मेर में गर्मियों के दौरान तापमान 51 डिग्री तक चला जाता है। अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा के समय जिले के 4 लाख से अधिक घरों में से केवल 21,469 घरों (5.28%) के पास नल का पानी था। आज 38 हजार (9.49% ) से अधिक परिवारों को नल के जरिए पीने योग्य पानी मिल रहा है। पिछले 23 महीनों में 17,110 परिवारों को नल कनेक्शन दिया गया है।
कुछ लोग कह सकते हैं कि प्रगति धीमी है लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि यह क्षेत्र पानी की कमी का सामना कर रहा है और कोविड- 19 महामारी के दौरान लॉकडाउन और कच्चे माल की बहुत सीमित आपूर्ति और जमीनी स्तर पर कर्मचारियों की सीमित उपलब्धता के साथ धीमी गति से काम करने सहित कई व्यवधान थे। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पाइपलाइन बिछाने का काम जारी रखा गया और आज इन पांच गांवों के सभी 4,324 घरों में नलों के माध्यम से पीने के पानी की आश्वासित आपूर्ति उपलब्ध है।
ग्रामीणों के घरों में पानी पहुंचते ही जश्न का माहौल बन जाता है। लोगों ने इकट्ठा होकर बधावा गाया, जश्न मनाने के लिए गाने गाए। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित लोक कलाकार मदन लाल ने नृत्य किया और कहा,
"मैं नाच रहा हूं क्योंकि इतिहास लिखा जा रहा है। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पानी मेरे गांव तक पहुंच जाएगा लेकिन यहां यह सिर्फ मेरे गांव तक नहीं पहुंचा है बल्कि मैं इसे मेरे घर में नल से बहता देख सकता हूं। मैं अपने पैरों के माध्यम से अपनी खुशी व्यक्त करता हूं। मैं इस पल का आनंद उठाऊंगा और ढोल, गीत और नृत्य के साथ पानी के आगमन का स्वागत करूंगा।"
बाड़मेर के लोगों ने पारंपरिक रूप से पानी को महत्व दिया है। एक युवा पंचायत प्रतिनिधि कविता आगे कहती हैं,
"यह विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों द्वारा आनंद लेने का समय है, क्योंकि वे ही हैं जो घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी लाने की जिम्मेदारी उठाती हैं। उन्हें मीलों पैदल चलने के लिए मजबूर किया जाता है। पानी भरकर लाना गर्मियों में और अधिक कठिन हो जाता है, खासकर कड़ी धूप में रेगिस्तान में रेत पर चलना।"
एक बुजुर्ग ग्रामीण ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) के अधिकारियों को उनके दरवाजे पर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद दिया।
"समदारी रेलवे स्टेशन अब तक हमारे लिए पानी का मुख्य स्रोत था। सालों से, मैं अपने घर से 3 किमी दूर स्टेशन तक पैदल चलकर अपनी दैनिक घरेलू जरूरतों के लिए पानी भर कर ला रही हूं। गर्मियों में जब रेलवे स्टेशन पर पानी सूख जाता है, हम टैंकरों पर निर्भर हैं। कम से कम बुढ़ापे में वर्षों के संघर्ष के बाद, मुझे पानी से भरे बर्तनों का भारी बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।"
बाड़मेर में पीएचईडी ने 14 जलापूर्ति परियोजनाएं शुरू की हैं जो 2,303 गांवों तक नल के पानी के कनेक्शन पहुंचने में मदद करेंगी। यह निश्चित रूप से जीवन जीने को आसान' बनाएगा, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्होंने वर्षों से परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
सोर्स- जल जीवन संवाद,अंक X | जुलाई 2021
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