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समाचार और आलेख
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
Posted on 05 Sep, 2023 03:10 PMग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। हिमनद पिघल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे गर्म हो रही है इस गर्मी के प्रति सजीव (पेड़ पौधे एवं जीव जन्तु) अलग-अलग प्रकार से संवेदना प्रदर्षित कर रहे हैं। पक्षियों द्वारा प्रदर्षित की जाने वाले इन संवेदनाओं के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानने के लिये विभिन्न शोध किये जा रहे
![पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Bird%20migration.jpeg?itok=mTtE213F)
आँखों देखी:- साइंस एक्सप्रेस-क्लाइमेट एक्शन स्पेशल का रवानगी समारोह
Posted on 05 Sep, 2023 02:52 PM17 फरवरी, 2017 को पूर्वाह्न में दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल' रेलगाड़ी ने अपने नौवें चरण की यात्रा शुरू की। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ.
![दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर अपने नाँवें चरण की यात्रा पर चलने को तैयार खड़ी 'साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल” रेलगाड़ी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Pic-1.png?itok=EDpfG3-W)
सामंजस्य
Posted on 05 Sep, 2023 02:45 PMसभी ग्रहों में, हमारा ग्रह पृथ्वी ही जीवन समर्थक है, क्योंकि यहां की प्रकृति जीवन के अनुकूल है। हमें सदा ही प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु का ऋणी रहना चाहिए क्योंकि हमारा अस्तित्व इसी पर अवलम्बित है। उगता हुआ सूर्य, बहती हुई पवन, चहचहाती हुई चिड़िया, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, सुन्दर सुन्दर फूल, जीव जगत आदि सभी, हमारी अनभिज्ञता के बावजूद, न केवल हमारे साथ रहते हैं बल्कि इनका होना हमारे लिए अत्यंत महत्व
![प्रकृति और मनुष्य,सामंजस्य से ही साथ रहते हैं](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/prakarit%20aur%20manusya.jpeg?itok=RXBOIM25)
जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
Posted on 05 Sep, 2023 02:06 PMदेश की आजादी के बाद, हमने जितनी भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन सभी में देश को भुखमरी से आजादी दिलाना और खाद्य उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करना, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। यह सब कुछ हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयास ही सम्भव हो सका है। सन् 1960-61 में हमारा खाद्य उत्पादन 82 मिलियन टन था जो आज 2013-14 में बढ़कर अपने रिकार्ड स्तर 264 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बढ़ती हुई आबादी के बा
![जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Krishi%20jalvayu%20parivartan%20.jpeg?itok=DlvYFuQ9)
जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ
Posted on 05 Sep, 2023 01:49 PMमानव का प्रकृति के साथ हमेशा घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि मानव जीवन खुद इसका एक अंग है। प्राचीन काल से ही मानव पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहा है तथा आज भी समस्त मूलभूत ज़रूरतें प्रकृति पर ही निर्भर हैं। मानव का जलवायु के साथ संबंध सदियों से चला आ रहा है, किन्तु इस प्राणदायिनी जलवायु को मानव 5000-9000 वर्ष पूर्व से ही दूषित करता आ रहा है। वरन आग का आविष्कार हो या आवास का निर्माण या कृषि के लिए मि
![जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/J_%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81.jpeg?itok=VRltgsf1)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता
Posted on 04 Sep, 2023 05:06 PMहमारे धर्म ग्रंथ उपनिषद एवं साहित्यिक कृतियां सनातन मानवीय व्यवस्था के साक्षी हैं और उनमें वर्णित न्याय सिद्धान्त पर्यावरण के प्रत्येक घटक को संपूर्ण संरक्षण प्रदान करते हैं। हमारा जीवन दर्शन धर्म व न्याय शास्त्र से निर्देशित है। चेतना के स्थान पर भौतिकता को प्रश्रय हमें अमानवीय बना रहा है और हमें न्याय से दूर ले जा रहा है। हमने प्रकृति के नाजुक तानेबाने को स्वयं के लाभ के लिए इतना ज्यादा नुकसा
![राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20.jpeg?itok=kxDLdQa9)
प्रकृति-कल और आज
Posted on 04 Sep, 2023 04:54 PMप्राचीन काल में मनुष्य ने पृथ्वी को माता और आकाश को पिता माना था अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त भी में लिखा गया है "हे धरती मां, जो कुछ भी मैं तुझसे लूंगा, वह उतना ही होगा, जिसे तू पुनः पैदा कर सके, तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूंगा" परंतु आधुनिक मानव और पृथ्वी के मध्य शोषक और शोषित के संबंध बन गए हैं। मनुष्य आकाश और सौर मंडल में भी अतिक्रमण कर चुका है। तमाम प्राकृतिक आपदाएं
![प्रकृति-कल और आज](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/prakrtik%20kal%20aur%20aaj.jpeg?itok=Jrp4zxsD)
ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा
Posted on 04 Sep, 2023 04:46 PMआज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से ग्रस्त है। मनुष्य प्रतिदिन पानी, वायु और वृक्षों को हानि पहुंचा रहा है। वह स्वयं के सुखों के संसाधनों को जुटाने के लिए प्रतिदिन प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है। वह अपने कारखानों/ घरों से गंदा पानी एंव कचरा नदियों में डाल रहा है या फिर खुले में कचरे को फेंक रहा है। मनुष्य के इस कृत्य से जल और वायु प्रदूषित हो रहे हैं। यह प्रदूषण हमारी ओजोन परत को नुकसान
![ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/global%20warming..jpeg?itok=iOGvj5bJ)
मार्बल स्लरी : पर्यावरण समस्या एवं उपलब्ध समाधान
Posted on 04 Sep, 2023 04:37 PMचमकीले पत्थर " मार्बल" से निर्मित विश्वप्रसिद्ध ताजमहल, विक्टोरिया मेमोरियल महल, दिलवाड़ा मंदिर एवं बिरला मंदिर जैसी अनेकों इमारतों, मकबरों एवं मंदिरों ने सब का मन मोहा है। भू-गर्भ के अत्यधिक ताप एवं दाब उपरांत कायांतरित चट्टानों में रूपांतरित अवसादी एवं आग्नेय चट्टान का ही एक नाम मार्बल है जिसकी राजस्थान के कुल 33 जिलों में से 16 जिलों में खुदाई की जा रही है एवं प्रसंस्करण भी किया जा रहा है। र
![मार्बल स्लरी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B2%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%B0%E0%A5%80.jpeg?itok=8ttyUhVk)
जलवायु परिवर्तनः कृषि समस्याएं और समाधान,मौसम, जलवायु एवं परिवर्तन
Posted on 02 Sep, 2023 02:48 PMएक निश्चित समय और स्थान पर वातावरण की औसत स्थिति को मौसम के नाम से संबोधित किया जाता है, जबकि एक विशिष्ट क्षेत्र में प्रचलित दीर्घकालीन औसत मौसम को उसी क्षेत्र की जलवायु कहा जाता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में वर्षा, तापमान, हवा की गति और दिशा, नमी और सूर्यप्रकाश का प्रमुखता से समावेश होता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में स्थानिक और सामयिक भिन्नता होने की वजह से मौसम एक गतिशील संकल्पना
![जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Jalvayu%20parivartan.jpeg?itok=LPF_rNlk)