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पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पिछले 22 वर्षों में एकत्र किये गये आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवर्ष धीरे-धीरे सर्दियों का न्यूनतम तापमान निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण उस समय सभी पक्षियों ने एक साथ उत्तर की ओर प्रवास नहीं शुरू किया बल्कि कई गर्म अनुकूल प्रजातियों नें उत्तर में कुछ और समय व्यतीत करना प्रारम्भ किया। गर्म अनुकूलन वाली प्रजातियां दशक पहले दक्षिण में केवल जाड़े की प्रजातियां हैं। उत्तर पूर्वी अमेरिका में धीरे-धीरे गर्म-अनुकूलित पक्षियों का प्रभुत्व बढ़ रहा है। Posted on 05 Sep, 2023 03:10 PM

ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। हिमनद पिघल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे गर्म हो रही है इस गर्मी के प्रति सजीव (पेड़ पौधे एवं जीव जन्तु) अलग-अलग प्रकार से संवेदना प्रदर्षित कर रहे हैं। पक्षियों द्वारा प्रदर्षित की जाने वाले इन संवेदनाओं के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानने के लिये विभिन्न शोध किये जा रहे

पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
आँखों देखी:- साइंस एक्सप्रेस-क्लाइमेट एक्शन स्पेशल का रवानगी समारोह
साइंस एक्सप्रेस क्लाइमेट एक्शन स्पेशल को चलाना यह दर्शाता है कि भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को प्रमुख वैश्विक खतरा मानती है। यह भारत सरकार द्वारा इस खतरे से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का भी सबूत है। Posted on 05 Sep, 2023 02:52 PM

17 फरवरी, 2017 को पूर्वाह्न में दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल' रेलगाड़ी ने अपने नौवें चरण की यात्रा शुरू की। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ.

दिल्‍ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर अपने नाँवें चरण की यात्रा पर चलने को तैयार खड़ी 'साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल” रेलगाड़ी
सामंजस्य
रोजमर्रा के व्यस्त जीवन में यद्यपि हम प्रकृति से निरपेक्ष रहते हैं तथापि, ऐसा शायद ही कोई हो, जिसे प्रकृति ने आमंत्रण देते हुए अपनी ओर आकर्षित न किया हो। यह वही आकर्षण है जिससे खिंचे हुए हम कभी पहाड़ों में, कभी मैदानों में, कभी सागर तट पर या कभी विदेश में सैर-सपाटे के लिए जाते हैं Posted on 05 Sep, 2023 02:45 PM

सभी ग्रहों में, हमारा ग्रह पृथ्वी ही जीवन समर्थक है, क्योंकि यहां की प्रकृति जीवन के अनुकूल है। हमें सदा ही प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु का ऋणी रहना चाहिए क्योंकि हमारा अस्तित्व इसी पर अवलम्बित है। उगता हुआ सूर्य, बहती हुई पवन, चहचहाती हुई चिड़िया, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, सुन्दर सुन्दर फूल, जीव जगत आदि सभी, हमारी अनभिज्ञता के बावजूद, न केवल हमारे साथ रहते हैं बल्कि इनका होना हमारे लिए अत्यंत महत्व

प्रकृति और मनुष्य,सामंजस्य से ही साथ रहते हैं
जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
कृषि विस्तार भी, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के साथ ही भूमि के उपयोग में तेजी से परिवर्तन और भूमि   प्रबन्धन के तरीकों में बड़ा बदलाव अनुभव कर रहा है। 30 सितम्बर 2013 को संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति आई.पी.सी.सी. की रिपोर्ट के आधार पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इंसानों के कारण ही धरती के तापमान में अत्यधिक बढोतरी हो  रही है। Posted on 05 Sep, 2023 02:06 PM

देश की आजादी के बाद, हमने जितनी भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन सभी में देश को भुखमरी से आजादी दिलाना और खाद्य उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करना, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। यह सब कुछ हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयास ही सम्भव हो सका है। सन् 1960-61 में हमारा खाद्य उत्पादन 82 मिलियन टन था जो आज 2013-14 में बढ़कर अपने रिकार्ड स्तर 264 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बढ़ती हुई आबादी के बा

जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन अब राष्ट्रीय मुद्दा न होकर अन्तरराष्ट्रीय विषय बन गया है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण कई महत्वपूर्ण घटनायें देश विदेशों में घट रहीं हैं। भारत में केदारनाथ, जम्मू-कश्मीर और मुंबई की प्राकृतिक आपदाएँ इसका ताजा उदाहरण हैं। Posted on 05 Sep, 2023 01:49 PM

मानव का प्रकृति के साथ हमेशा घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि मानव जीवन खुद इसका एक अंग है। प्राचीन काल से ही मानव पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहा है तथा आज भी समस्त मूलभूत ज़रूरतें प्रकृति पर ही निर्भर हैं। मानव का जलवायु के साथ संबंध सदियों से चला आ रहा है, किन्तु इस प्राणदायिनी जलवायु को मानव 5000-9000 वर्ष पूर्व से ही दूषित करता आ रहा है। वरन आग का आविष्कार हो या आवास का निर्माण या कृषि के लिए मि

जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता
हमने पर्यावरण न्याय के सभी पूर्ववर्ती नियमों की अवमानना व अवहेलना की है। सामान्य न्याय प्रक्रिया में समय लगने के कारण तथा पर्यावरण विवादों के त्वरित निबटारे हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना से पर्यावरण को न्याय की आस बंधी है। देखना यह है कि पर्यावरण की याचिका की सुनवाई कितनी त्वरित व ईमानदारी से होती है। वस्तुतः यही होगा पर्यावरणीय न्याय का व्यवहारिक पक्ष । Posted on 04 Sep, 2023 05:06 PM

हमारे धर्म ग्रंथ उपनिषद एवं साहित्यिक कृतियां सनातन मानवीय व्यवस्था के साक्षी हैं और उनमें वर्णित न्याय सिद्धान्त पर्यावरण के प्रत्येक घटक को संपूर्ण संरक्षण प्रदान करते हैं। हमारा जीवन दर्शन धर्म व न्याय शास्त्र से निर्देशित है। चेतना के स्थान पर भौतिकता को प्रश्रय हमें अमानवीय बना रहा है और हमें न्याय से दूर ले जा रहा है। हमने प्रकृति के नाजुक तानेबाने को स्वयं के लाभ के लिए इतना ज्यादा नुकसा

राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता
प्रकृति-कल और आज
कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के बेतहाशा प्रयोग से कृषि-चक्र गड़बड़ा गया है। खाद्यान्नों का उत्पादन तो बढ़ा है परंतु उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। हाइब्रिड बीजों के कारण खाद्यान्नों के नैसर्गिक गुण लुप्तप्राय हो गए हैं। मेथी और धनियां जैसे पौधों से निकलने वाली विशेष गंध समाप्त हो गई है। कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण कैंसर जैसी बीमारियों में बढ़ोतरी हुई है। Posted on 04 Sep, 2023 04:54 PM

प्राचीन काल में मनुष्य ने पृथ्वी को माता और आकाश को पिता माना था अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त भी में लिखा गया है "हे धरती मां, जो कुछ भी मैं तुझसे लूंगा, वह उतना ही होगा, जिसे तू पुनः पैदा कर सके, तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूंगा" परंतु आधुनिक मानव और पृथ्वी के मध्य शोषक और शोषित के संबंध बन गए हैं। मनुष्य आकाश और सौर मंडल में भी अतिक्रमण कर चुका है। तमाम प्राकृतिक आपदाएं

प्रकृति-कल और आज
ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव जाति के साथ-साथ, वन्यजीवों, कृषि और ऋतुओं पर भी पड़ रहा है। इस वर्ष समय पर वर्षा न होने के कारण देश के लगभग 12 राज्य सूखे से प्रभावित हुए, जिसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और अनेक प्रजातियों पर देखा गया। जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों को लगातार परिवर्तनशील होना पड़ रहा है Posted on 04 Sep, 2023 04:46 PM

आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से ग्रस्त है। मनुष्य प्रतिदिन पानी, वायु और वृक्षों को हानि पहुंचा रहा है। वह स्वयं के सुखों के संसाधनों को जुटाने के लिए प्रतिदिन प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है। वह अपने कारखानों/ घरों से गंदा पानी एंव कचरा नदियों में डाल रहा है या फिर खुले में कचरे को फेंक रहा है। मनुष्य के इस कृत्य से जल और वायु प्रदूषित हो रहे हैं। यह प्रदूषण हमारी ओजोन परत को नुकसान

ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा
मार्बल स्लरी : पर्यावरण समस्या एवं उपलब्ध समाधान
मार्बल खुदाई क्षेत्रों के आधार पर प्रचलित भैसलाना ब्लैक, मकराना अलबेटा, मकराना कुमारी, मकराना डुंगरी, आँधी इंडो, ग्रीन बिदासर केसरियाजी ग्रीन, जैसलमेर यलो आदि अपनी रासायनिक संरचना के कारण अलग-अलग बनावटों में पाये जाते हैं। मार्बल का सफेद, लाल, पीला एवं हरा रंग क्रमश: केल्साइट, हेमाटाइट, लिमोनाइट तथा सरपेंटाइन स्वरूप के कारण होता है। Posted on 04 Sep, 2023 04:37 PM

चमकीले पत्थर " मार्बल" से निर्मित विश्वप्रसिद्ध ताजमहल, विक्टोरिया मेमोरियल महल, दिलवाड़ा मंदिर एवं बिरला मंदिर जैसी अनेकों इमारतों, मकबरों एवं मंदिरों ने सब का मन मोहा है। भू-गर्भ के अत्यधिक ताप एवं दाब उपरांत कायांतरित चट्टानों में रूपांतरित अवसादी एवं आग्नेय चट्टान का ही एक नाम मार्बल है जिसकी राजस्थान के कुल 33 जिलों में से 16 जिलों में खुदाई की जा रही है एवं प्रसंस्करण भी किया जा रहा है। र

मार्बल स्लरी
जलवायु परिवर्तनः कृषि समस्याएं और समाधान,मौसम, जलवायु एवं परिवर्तन
मौसम को तय करने वाले मानकों में स्थानिक और सामयिक भिन्नता होने की वजह से मौसम एक गतिशील संकल्पना है। मौसम का बदलाव बड़ी ही आसानी से अनुभव किया जाता है क्योंकि यह बदलाव काफी जल्दी होता है और सामान्य जीवन को प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर तापमान में अचानक हुई वृद्धि | जिस प्रकार मौसम में नित्य परिवर्तन होता है उसी प्रकार जलवायु में भी सतत बदलाव की प्रक्रिया जारी होती है परंतु इसका अनुभव जीवन में नहीं होता क्योंकि यह बदलाव बहुत ही धीमा और कम परिमाणों में होता है Posted on 02 Sep, 2023 02:48 PM

एक निश्चित समय और स्थान पर वातावरण की औसत स्थिति को मौसम के नाम से संबोधित किया जाता है, जबकि एक विशिष्ट क्षेत्र में प्रचलित दीर्घकालीन औसत मौसम को उसी क्षेत्र की जलवायु कहा जाता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में वर्षा, तापमान, हवा की गति और दिशा, नमी और सूर्यप्रकाश का प्रमुखता से समावेश होता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में स्थानिक और सामयिक भिन्नता होने की वजह से मौसम एक गतिशील संकल्पना

जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव
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