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समाचार और आलेख
भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान यज्ञ का रहस्य
Posted on 20 Oct, 2023 11:46 AMबिहार के बाद बाबा की यात्रा बंगाल पहुंची, जहां उसे ‘प्रेम यात्रा’ का नाम दिया गया। उत्कल में बाबा ने कहा कि बिहार के लोगों ने भूदान के काम में बहुत पराक्रम किया। अब आप लोग ग्रामदान के क्षेत्र में विशेष प्रयास करके दिखाएं। बाद में वैसे परिणाम ग्रामदान के क्षेत्र में वहां दिखे भी।
धंसता गया जोशीमठ, आंखें मूंदे रहीं सरकारें!
Posted on 20 Oct, 2023 11:17 AMविख्यात स्विस भूवैज्ञानिक अर्नोल्ड हीम और उनके सहयोगी आगस्टो गैस्टर ने 1936 में मध्य हिमालय की भूगर्वीय संरचना पर जब पहला अभियान चलाया था, तो अपने यात्रा वृतान्त ‘द थ्रोन ऑफ़ द गॉड (1938) और शोध ग्रन्थ ‘सेन्ट्रल हिमालया: जियोलोजिकल आबजर्वेशन्स ऑफ़ द स्विस एक्सपीडिशन (1939) में उन्होंने टैक्टोनिक दरार व मुख्य केन्द्रीय भ्रंश की मौजूदगी को चिन्हित करने के साथ ही चमोली गढ़वाल के हेलंग से लेकर तपोव
गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है–राजेन्द्र सिंह
Posted on 19 Oct, 2023 03:05 PMआज सुबह जब मैं बनारस में गंगा जी के घाटों पर गया, तो ललिता घाट से पैदल गुजरते हुए मैंने लक्ष्य किया कि दक्षिणवाहिनी गंगा जब बनारस में उत्तरवाहिनी होती है तो एक अर्द्धचन्द्राकार हार सी आकृति बनाती है. पहले वहां एक निरवरोध प्रवाह बना रहता था. ललिता घाट पर बनने वाला वह प्राकृतिक वृत्त, आज देखा तो नष्ट कर दिया गया है और वहां अब एक त्रिकोण सा निर्मित हो गया है.
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
Posted on 19 Oct, 2023 02:48 PMध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर
अभूतपूर्व सूखे का सामना कर रहा है हॉर्न ऑफ अफ्रीका
Posted on 19 Oct, 2023 12:36 PMएक अनुमान के मुताबिक, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अक्टूबर से दिसम्बर- 2022 तक कम से कम 36.1 मिलियन लोग गंभीर सूखे से प्रभावित होंगे, जिसमें इथियोपिया के 24.1 मिलियन, सोमालिया के 7.8 मिलियन और केन्या के 4.2 मिलियन लोग शामिल हैं। यह जुलाई 2022 (जब लगभग 19.4 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे) के बाद से बढ़ोत्तरी दर्शाता है। मौसम विशेषज्ञों के पूर्वानुमानों में अक्टूबर-दिसंबर-2022 में खराब बारिश की आशंका व्यक्त
बोतलबंद इंडस्ट्री पर एक नजर
Posted on 19 Oct, 2023 11:58 AMपेयजल सहित औसत घरेलू पानी की मांग वर्ष 2000 में 85 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी) से बढ़कर क्रमशः 2025 और 2050 तक 125 एलपीसीडी और 170 एलपीसीडी हो जाएगी। इस बीच बोतल बंद पानी की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बॉटल का बाजार 2020 में 36000 करोड़ रुपये का आँका गया था। 2023 के अंत तक इसके 60000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने क
झांसी के लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर एनजीटी ने जताई आपत्ति
Posted on 18 Oct, 2023 02:28 PMझांसी: उत्तरप्रदेश के झांसी जिले में स्थित 400 साल पुराने ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर एनजीटी ने आपत्ति जताई है। एनजीटी का यह फैसला गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यकर्ता नरेंद्र कुशवाहा की जनहित याचिका की सुनवाई पर हुआ है ।
अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
Posted on 18 Oct, 2023 01:12 PMजलपुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि देश भर में 10 साल पहले कुल 15 हजार के करीब नदियां थीं। इस दौरान करीब 30 फीसदी नदियां यानी साढ़े चार हजार के करीब सूख गई हैं, ये केवल बारिश के दिनों में ही बहती हैं। वे बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले उनकी टीम ने देश भर में एक सर्वे किया था, जिससे पता चला कि आजादी से लेकर अब तक देश में दो तिहाई तालाब, कुएं, झील, पोखरे, झरने आदि पूरी तरह सूख चुके हैं। आजादी के समय दे
बैटरी-वाहन सुखा सकते हैं पानी के स्रोत
Posted on 18 Oct, 2023 12:58 PMसितम्बर 2022 में चंडीगढ़ प्रसाशन ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक चंडीगढ़ शहर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दो साल में पेट्रोल मोटरसाइकिल का पंजीकरण बंद हो जायेगा, सिर्फ ई-बाइकों का ही पंजीकरण होगा। पांच वर्षों में पेट्रोल-डीजल की कारों को भी आधा करने की तैयारी है। नया ई-वाहन खरीदने पर लोगों को तीन हजार से लेकर दो लाख तक का इंसेंटिव भी मिलेगा।
काशी की आंखों का पानी मर चुका है!
Posted on 18 Oct, 2023 12:03 PMमेरे गांव से चलने वाली बस तब 9 रूपये के किराये में बनारस पहुंचा देती थी, जहां से आने में अब 120 रूपये लगते हैं। यह 1984 की बात है। कम्प्यूटर नाम की किसी नयी मशीन का दुनिया में तब बहुत शोर मचा हुआ था, जो लाखों और करोड़ों के जोड़-घटाने पलक झपकते कर देती थी। दुनिया विकास के नये-नये मानदण्ड स्थापित कर रही थी। हमारा देश भी विकसित होने लगा था। अपने गांव के देहाती वातावरण से निकलकर जब हम बनारस पहुंचते