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नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा (Renewable and clean energy)
वर्ष 2014 में अस्तित्व में आई इस पहल का उद्देश्य भारत में सर्वोत्तम श्रेणी के विनिर्माण ढांचे को स्थापित और सुदृढ़ करने के साथ-साथ देश के विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक निवेश, अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, कौशल विकास तथा बौद्धिक सम्पदा को समृद्ध करना भी था यह योजना 'जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट लक्ष्य के साथ शुरू की गई Posted on 05 Oct, 2023 05:16 PM

भारत सरकार के आर्थिक पैकेज सब्सिडी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना आदि जैसे निर्णयों को क्रियान्वित करने के कारण देश के नवीन, नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व तेजी आई है। साथ ही, जीवाश्म ईंधन के उपभोग में कटौती और नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से भारत द्वारा कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। इस प्रकार हम प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता हास, प्राकृतिक आपदाएं आदि

नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा
खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं (Food Processing: Development and Prospects in Hindi)
खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत वे सभी विधियां और तकनीक शामिल हैं, जो कच्चे खाद्य पदार्थ की भंडारण अवधि (शेल्फ लाइफ बढ़ाने, इसके अनेक उपयोगी व मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने और इनकी सुरक्षित पैकेजिंग तथा परिवहन के उपयोग में आती हैं। इसके दायरे में विभिन्न प्रकार के अनाजों, सब्जियों, मसालों, मेवों आदि के साथ दूध, मांस, मछली और अंडे भी आते हैं Posted on 05 Oct, 2023 01:52 PM

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को आधुनिक व वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए अनुसंधान व विकास संस्थानों द्वारा नवीन प्रौद्योगिकी के विकास व नवाचार को गति दी जा रही है। साथ ही शिक्षण, प्रशिक्षण और प्रसार के नेटवर्क को भी अनेक संस्थानों के सहयोग से सशक्त बनाया जा रहा है, ताकि देश में खाद्य प्रसंस्करण को एक ठोस आधार और सतत् दिशा मिल सके।

खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं
ओखलकांडा के 'वाटर हीरो' पर्यावरण से ऐसा प्रेम कि जंगलों को लौटा दी हरियाली 
नयाल जी कहते हैं पेड़ पौधों की बात करूं तो वर्तमान समय में हमने लगभग 58 हजार पेड़ पौधे हमने स्वयं से लगा दिए हैं, वैसे हम फल के पौधे भी गाँव वालों को वितरित करते हैं। लगभग 60 हजार से अधिक पौधे हम लोगों को वितरित कर चुके हैं और हम खुद की नर्सरी भी तैयार करते हैं। उसके बाद अपनी आजीविका के रूप में उनका कुछ न कुछ बच जाता है। Posted on 05 Oct, 2023 12:20 PM

जंगलों में पेड़ काटने की घटनायें तो आम हैं, लेकिन जंगलों को उनकी हरियाली लौटा देना, ऐसी मिसाल कम ही दिखती है। उत्तराखण्ड के वाटर हीरो या पर्यावरण प्रेमी के नाम से मशहूर चंदन सिंह नयाल ने बिना किसी सरकारी मदद के पर्यावरण संरक्षण का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।

ओखलकांडा के वाटर हीरो,PC- द पहाड़ी एग्रीकल्चर
पुराने पड़ते बांधों के खतरे
मामला केवल बड़े बांध का नहीं, बल्कि बहुत सारी छोटी परियोजनाओं का भी है, क्योंकि वे अगर तीव्र ढाल वाली नदी और नालों में बनने लगेंगी तो स्थानीय पर्यावरण का हश्र सामने होगा। वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ और 2021 में धौली गंगा की त्रासदियों समेत पर्यावरणीय क्षति की अन्य बड़ी घटनाओं को सिर्फ बर्बादी के विचलित कर देने वाले आंकड़ों और दृश्यों के रूप में नहीं, बल्कि एक स्थायी सबक की तरह भी याद रखा जाना चाहिए।

Posted on 05 Oct, 2023 11:20 AM

हाल ही में जयपुर में बांधों की सुरक्षा को लेकर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की और से बेहद भव्य तरीके से आयोजित इस कार्यक्रम में दुनियाभर के विशेषज्ञों ने बांधों को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कई सुझाव भी पेश किए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में छह हजार से अधिक बड़े-छोटे बांध हैं।

पुराने पड़ते बांधों के खतरे
कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान
गांव के एक 45 वर्षीय किसान प्रेमनाथ कहते हैं कि उनके पास रोज़गार और आय के स्रोत के नाम पर ज़मीन के केवल कुछ टुकड़ा है. जिससे साल भर की आमदनी भी नहीं हो पाती है, लेकिन इसके बावजूद वह केवल इसलिए खेती करते हैं क्योंकि उनके पास स्थाई रूप से रोज़गार का कोई अन्य साधन नहीं है Posted on 04 Oct, 2023 03:41 PM

किसी देश के विकास में आने वाली समस्याओं में एक प्रमुख समस्या बेरोज़गारी है. भारत जैसे विशाल देश में आज भी कई छोटे छोटे गांव ऐसे हैं जहां नौजवानों की एक बड़ी आबादी बेरोज़गार है. नौकरी के लिए या तो उनके पास कोई स्रोत नहीं है या फिर उन्हें शहरों के लिए पलायन करनी पड़ रही है. देश की बढ़ती जनसंख्या कारण रोज़गार की मांग में भी दिन-ब-दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है.

कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान
अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
पिछले कुछ वर्षों में मेक इन इंडिया के कारण भारत में आर्थिक, औद्योगिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुसंधान के क्षेत्रों में जैसा सकारात्मक रुझान देखा गया है, वह पारम्परिक रूप से नहीं देखा गया था। हालांकि भारत ने अतीत में भी विज्ञान से जुड़े अनेक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज की है Posted on 04 Oct, 2023 03:09 PM

मेक इन इंडिया को ज्यादातर लोग विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) पर आधारित कार्यक्रम और पहल के रूप में देखते हैं लेकिन विनिर्माण के साथ-साथ उसके कई अन्य पहलू भी हैं। विनिर्माण कोई हवा में नहीं हो जाता और विनिर्माण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अनेक बुनियादी पक्षों पर काम करना जरूरी है, जैसे निवेश को प्रोत्साहित करना तथा आधारभूत ढांचे (इन्फास्ट्रक्चर) का विकास करना। इनके बिना विनिर्माण पर केंद्रित लक्ष

अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
बादलों में प्लास्टिक के कण
वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
Posted on 04 Oct, 2023 01:02 PM

एक शोध के अनुसार, प्लास्टिक के अत्यंत महीन कणों को जिनका आकार पांच मिलीमीटर या उससे कम होता है, ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहा जाता है। शोध के अनुसार, हर साल प्लास्टिक के करीब एक करोड़ टन टुकड़े जमीन से समुद्र में पहुंच रहे हैं, जहां से वो वायुमंडल में अपना रास्ता खोज लेते हैं। देखा जाए तो बादलों में इनकी मौजूदगी एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। एक बार बादलों में पहुंचने के बाद यह कण वापस ‘प्लास्टिक व

बादलों में प्लास्टिक के कण
गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
खास तौर पर जाडों में गैर बर्फीली नदियों के पानी का महत्व गंगा नदी में अधिक होता है। इन्हीं में से एक उत्तराखंड जिला अल्मोड़ा के विकासखंड द्वाराहाट में रिस्कन नदी है। यह नदी गंगा की एक धारा है जिसका मुख्य उद्गम भगवान विष्णु के मंदिर नागार्जुन में उनके चरणों से हुआ है जो सुरुभि नदी कहलाती है। द्वाराहाट क्षेत्र के कई अन्य स्रोतों के साथ पहाड़ियों से नंदनी बहती है। सुरभि-नंदिनी का संगम भगवान शिव के धाम विमाण्डेश्वर में होता है। इस शिवधाम से आगे इस नदी को रिस्कन के नाम से जाना जाता है। यहां से शांत स्वभाव के साथ बहते हुए रिस्कन नदी तिपोला नामक स्थान पर गगास नदी में मिलती है। गगास रामगंगा में व रामगंगा आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है। Posted on 04 Oct, 2023 11:30 AM

शास्त्रों के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है। इसलिए पानी को नीर या नर भी कहा जाता है। गंगा नदी का नाम विष्णोपुदोद्दकी भी है अर्थात भगवान विष्णु के पैरों से निकली हुई। गंगा नदी का मुख्य स्रोत गंगोत्री में हैं लेकिन गंगा नदी में उत्तराखंड की कई गैर बर्फीली सहायक नदियाँ भी जुड़ी हैं। तभी गंगा नदी में पानी होता है।

गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष: बदल रहा है पीर पंजाल में पर्यटन का दौर
जम्मू-कश्मीर में संपन्न हुए जी 20 पर्यटन समूह की सफल बैठक के बाद पूरी दुनिया की निगाहें इस जन्नत-ए-बेनजीर की ओर बढ़ने लगी हैं, वहीं पीर पंजाल और चिनाब क्षेत्र में भी पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है. जिसका ताजा उदाहरण हाल के दिनों का है, जब पुंछ के जिला विकास आयुक्त ने पीर पंजाल क्षेत्र में ट्रैकिंग के नए क्षेत्रों और पर्यटक स्थलों की खोज के लिए इंडिया हाइक्स (ट्रैकर्स) की एक टीम भेजी है. वहीं इससे पहले स्थानीय युवाओं के एक ट्रैकिंग ग्रुप ने न केवल पीर पंजाल की ऊंची चोटियों का भ्रमण किया Posted on 26 Sep, 2023 01:42 PM

जब भी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन की बात आती है तो लोगों के दिल और दिमाग में एकमात्र नाम कश्मीर की वादियों का आता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कश्मीर को कुदरत ने अपने हाथों से संवारा है. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि जम्मू के पुंछ और राजौरी के सीमावर्ती जिलों से लगे पीर पंजाल के खूबसूरत पहाड़ और इन पहाड़ों से गुजरने वाले ऐतिहासिक मुगल राजमार्ग भी किसी सुंदरता से कम नहीं है.

 बदल रहा है पीर पंजाल में पर्यटन का दौर
बाढ़ के दौरान पेयजल की आपूर्ति
बाढ़ ने विशेष रूप से सड़कों के बड़े बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, कुल 99 सड़कें जिनमें 33 आरसीसी पुलों के साथ-साथ 24 पीडब्लूएस योजनाएं, विशेष रूप से उनके वितरण नेटवर्क शामिल हैं, क्षतिग्रस्त हुई। अनेकों मवेशियों सहित तीन लोगों की जान चली गई। कई पोल्ट्री फॉर्म बह गई। Posted on 18 Sep, 2023 02:57 PM

बजली जिला 2021 में स्थापित असम का 34वां जिला है और 173 गांवों में इसकी कुल आबादी लगभग 3 लाख है। इस जिले में 418 वर्ग किमी का क्षेत्र शामिल है, जो भारी वर्षा के कारण 15 जून से इस मानसून के मौसम में अत्यधिक जलप्लावित था। पोहुमोरा और कालदिया. नदियों के तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आई है। तटबंधों के आस-पास के निवासियों के घर पूरी तरह से बह गए और लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।

बाढ़ के दौरान पेयजल की आपूर्ति
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