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बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी की वजह से डेल्टा क्षेत्र को मनुष्य के रहने लायक नहीं छोड़ेगा। Posted on 30 Oct, 2023 12:02 PM

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के दोहन से पृथ्वी पर जीव जंतुओं, वनस्पतियों; यहां तक कि मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। जीवन जल, वायु, अग्नि, मिट्टी और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। केवल अग्नि को छोड़कर शेष चारों तत्व आज सीधे तौर पर मनुष्य द्वारा इतने प्रदूषित कर दिए गए हैं कि मनुष्य स्वयं अपना जीवन लील रहा है, आगे आने वाली पीढ़ियों पर अस्तित्व का भयंकर संकट मंड़रा रहा है। इन चा

बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
पूंजीपतियों का गंगा-विलास
गंगा केवल नदी नहीं है। यह देशवासियों की भावना से जुड़ी होने के अतिरिक्त कई जलीय जीवों का घर भी है। भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा में पाया जाने वाला डॉल्फिन है। गंगा का प्रदूषण इस डॉल्फिन की ज़िंदगी पर लगातार भारी पड़ रहा है और रोज़ इनकी संख्या घट रही है। सोचने की बात है कि क्रूज़ शिप का कचरा और ध्वनि प्रदूषण इनका क्या करेगा? Posted on 30 Oct, 2023 11:40 AM

रिवर क्रूज़; यह क्रूज़ बेहद फ़ैसिनेटिंग शब्द है। ‘टाइटैनिक’ के छलावे से लेकर ‘कहो ना प्यार है’ के भुलावे तक, बचपन और तरुणाई के दो बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव इस रास्ते से गुज़रे हैं।

गंगा डाल्फिन,Pc-सर्वोदय जगत
अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार
पहले जब यह उद्योग आयात और मशीन से बचा हुआ था, तो इसमें कॉटेज उद्योग के चरित्र थे, ह्यूमन इंटेंसिविटी ज्यादा थी, तब विकेंद्रीकरण था और अब बड़ी बड़ी पूंजी है, औटोमेशन है, मार्केटिंग के एक से एक इंतजामात हैं। पहले जब यह उद्योग अनऑर्गनाइज्ड था, तब सरकार की जीएसटी, वैट जैसे करों की वसूली इतनी व्यवस्थित नहीं थी, जितनी आज है। भारत की अर्थव्यवस्था में ग्लोबलाइजेशन के प्रवेश और आयात में मुनाफाखोरी ने बांस से सींक बनाने की इस वृहत्तर रोज़गार व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. Posted on 30 Oct, 2023 11:17 AM

किसी भी प्रजातांत्रिक देश की इकोनॉमी में रोजगार से बड़ी प्राथमिकता कुछ और नहीं होती। रोजगार की यह प्राथमिकता तब और प्रचंड होती है, जब आबादी स्वयं बाज़ार हो और इकोनॉमी को लाभ देने वाली आधारभूत घटक हो. दूसरी तरफ उसकी शर्त केवल इतनी भर होती है कि टेक्नोलॉजी बेपरवाह न हो और मुनाफाखोर व्यवस्था द्वारा गढ़ी गयी नीतियों के नियन्त्रण में न हो!

अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार,Pc-सर्वोदय जगत 
जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
शरणार्थियों की समस्याओं की निगरानी करने वाली संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक मौसम संबंधी घटनाओं मसलन बाढ़, तूफान, वनाग्नि और भीषण तापमान के कारण 2009-16 के बीच हर साल 2 करोड़ 15 लाख लोगों को मजबूरन विस्थापित होना पड़ा। Posted on 28 Oct, 2023 03:24 PM

कुछ ही दिन हुए  अतिवृष्टि से ऐसा नुकसान हुआ कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चमोली के पीपलकोटी, अगथला, मायापुर, मेहरगांव, बौंला और दुर्गापुर आदि के 90 परिवारों को होटलों और धर्मशालाओं में शिफ्ट करने के निर्देश देने पड़े। भू-धंसाव के संकट के चलते जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को इसी तरह शिफ्ट करना पड़ा था। 2021 में रैणी हादसे के बाद चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी की मूर्ति तक को उनके

जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
ग्लोबल वार्मिंग के कारण  14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिकों का शोध Posted on 28 Oct, 2023 03:17 PM

ग्लोबल वार्मिंग हिमालय पर गहरा असर डाल रही है। ताजा शोध बताता है कि मौसम ने अब धार्मिक, व्यापारिक और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण देवदार के पेड़ों को दुष्प्रभावित करना शुरू कर दिया है। लगातार बदलते मौसम के कारण देवदार की लंबाई में 37 से 47% तक की कमी आई है। यह असर हिमालय के 2500 मीटर से ऊपर उगने वाले देवदारों पर देखा गया है। हालांकि निचले क्षेत्रों में अध्ययन होना अभी बाकी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
हिमालय बना आपदा का घर
हिमाचल में व्यास, रावी, सतलुज नदी के तटों की आबादी पर अधिक मार पड़ी है भारी जल सैलाब के खतरे को देखकर नदियों की अविरल धारा को रोकने वाले बांधों के गेट खोलने पड़े जिसके कारण लुधियाना, पटियाला जैसे अनेक इलाके लंबे समय तक पानी में डूबे रहे यमुना पर हथिनी कुंड के पास गेट खोलने से यमुनानगर, करनाल से लेकर दिल्ली तक पानी में डूब गए। Posted on 28 Oct, 2023 01:09 PM

हिमालय आपदा का घर बन गया है। पहाड़ तेजी से दरक रहे हैं। हाहाकार मचा हुआ है। हिमाचल और उत्तराखंड में 24 जून से 21 अगस्त, 2023 के दौरान भारी बारिश में भूस्खलन से सैकड़ों लोग मारे गए हैं। हिमाचल में 800 से अधिक स्थानों पर सड़कें बंद रहीं, जिनमें 113 स्थान ऐसे हैं, जहां जानलेवा लैंडस्लाइड्स के कारण 330 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 38 लोग लापता हैं। उत्तराखंड में 360 से अधिक डेंजर जोन बन गए हैं,

हिमालय बना आपदा का घर
धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
जलवायु परिवर्तन की काली छाया सिर्फ भारत में ही नहीं मंडरा रही है, यह समस्या वैश्विक समस्या बन चुकी है। वैश्विक सम्मेलनों में भी यह मुद्दा छाया रहता है. वर्ष 2011 के नवम्बर माह में डरबन में सम्पन हुए अंतराष्ट्रीय वैश्विक सम्मेलन में भी जमकर मंथन हुआ था। वर्ष 2015 में पोलैंड के कोटवाइस में एक उल्लेखनीय सम्मलेन हुआ था, जिसमें दुनिया के 200 देश जलवायु परिवर्तन समझौतों के नियम-कायदे लागू करने के लिए सर्वसम्मति से सहमत हुए थे। Posted on 28 Oct, 2023 12:11 PM

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण केवल विज्ञान का ही मुद्दा नहीं है, यह ग्लोबल पॉलिटिक्स का हिस्सा भी है। दुनिया भर के ग्लोबल नेता अलग-अलग तरह से जलवायु और पर्यावरण पर औद्योगिकी की भौतिकी को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बयान देते हैं, जिसके कारण यह गंभीर मुद्दा, चिंता का कारण बना हुआ है। प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन कहा करते थे कि यदि कीट-पतंगे भी केवल तीन वर्षों के लिए विलुप्त हो जाएं तो दुनिया पूरी तर

धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
प्राकृतिक चिकित्सा : संभावना और विकल्प
हमारे देश में काफी गरीबी है, सरकार का दावा है कि 80 करोड़ लोगो को सरकार अनाज बांट रही है। वर्ष 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101 वें स्थान पर है। देश का हर नागरिक स्वस्थ रहे, चिकित्सा गरीबों के लिए भी सर्वसुलभ हो, यह प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से ही हो सकता है। Posted on 28 Oct, 2023 12:04 PM

भारत में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (नेचुरोपैथी डे) 18 नवंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दवा रहित इलाज के माध्यम से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है। प्राकृतिक चिकित्सा दिवस भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 से आयोजित करने का निर्णय लिया गया। यह चौथा वर्ष है जब इसका आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल इंस्ट

प्राकृतिक चिकित्सा
प्रकृति की छाती पर शहरीकरण के नाच का नतीजा
बढ़ते शहरीकरण के कारण हमारे शहर अधिक जोखिम में हैं, क्योंकि शहरों में मानव जीवन का नुकसान, संपत्ति की क्षति और आर्थिक नुकसान की मात्रा ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहर लाखों लोगों के घर हैं और यहाँ जलवायु का जोखिम बहुत अधिक है। Posted on 28 Oct, 2023 11:51 AM

बंगलुरु में हाल ही में हुई भीषण वर्षा के बाद हुई जल भराव की खबरों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। तमाम लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा और इंटरनेट पर इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े तमाम मीम्स और मज़ाक़ वायरल होते रहे। स्थिति वाकई कई मायनों में हास्यास्पद थी, मगर यह एक चिंता का भी विषय है। आखिर भारत के इस आईटी हब ने कथित तौर पर 225 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया इस बा

प्रकृति की छाती पर शहरीकरण के नाच का नतीजा
खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जाने पर मजबूर कर दिया है। रात्रिचर जीव भी पलायन कर गए हैं। खनन के चलते यमुना मरने की कगार पर पहुंच गई है। Posted on 28 Oct, 2023 11:35 AM

हमारे यहां सारस, लाल सुर्खाब, सफेद सुर्खाब, नीलसर, जलकाग जैसे प्रवासी पक्षी हज़ारों की संख्या में आया करते थे। महासीर जैसी दुर्लभ मछली, लालपरी, सुआ, सेवड़ा, लोंछी, किरण, गोल्डन फिश, रोहू जैसी मछलियां हजारों की संख्या में रहती थीं। हमने यहां 70-70 किलो वज़न तक के कछुए देखे हैं। जब से रेत-बजरी का खनन शुरू हुआ, नदी के भीतर से जीव-जंतु, जलीय पौधे सब घटने लगे। मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जा

खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
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