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कितना सच है- यह मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
तकनीक हमारी जीवन शैली अविभाज्य हिस्सा बन गई है। इसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। उन्नत जीवन शैली, सूचना तंत्र तक त्वरित पहुंच, व्यावसायिक दक्षता में तेजी, शिक्षा संचार और परिवहन से लेकर स्वास्थ्य सेवा और कनेक्टिविटी इत्यादि क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी ने जीवन को बेहतर बनाया है। Posted on 07 Nov, 2023 02:32 PM

मानव विकास के ऐतिहासिक अनुक्रम में तकनीक प्रयोग, विकास और समाधान का प्रतीक है। मानव जीवन की भूत से वर्तमान तक की यात्रा में सर्वाधिक भूमिका प्रौद्योगिकी को रही है, किंतु धीरे-धीरे इसके कुनका प्रभाव जीवन के अनेक पहलुओं की नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगा है, प्रश्न उठना स्वाभाविक हैं कि तकनीक का उत्तरोत्तर विकास कितना उचित है, और कितना हानिकारक?

मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
पराली तो बदनाम है, हवा को जहरीला बनाता है जाम का झाम
दिल्ली और उससे सटे इलाकों के प्रशासन वायु प्रदूषण के असली कारण पर बात ही नहीं करना चाहते। कभी पराली तो कभी आतिशबाजी की बात करते हैं। अब तो दिल्ली के भीतर ट्रक आने से रोकने के लिए ईस्टर्न पेरिफरल रोड भी चालू हो गया है, इसके बावजूद एमसीडी के टोल बूथ गवाही देते हैं कि दिल्ली में घुसने वाले ट्रकों की संख्या कम नहीं हुई है। ट्रकों को क्या दोष दें, दिल्ली-एनसीआर के बाशिंदों का वाहनों के प्रति मोह हर दिन बढ़ रहा है Posted on 07 Nov, 2023 02:22 PM

अभी मौसम की रंगत थोड़ी ही बदली थी कि दिल्ली में हवा मौत बांटने लगी। बयानबाजी, आरोप- प्रत्यारोप, सरकारी विज्ञापन, बंद हो गए स्मॉग टावर और सड़क पर पानी छिड़कते वाहन, सभी कुछ इस तरह हैं कि नल खुला छोड़ दो और फर्श पर पोछा लगाओ। हालांकि दिल्ली और उसके आसपास साल भर ही हवा जहरीली रहती है कि लेकिन इस मौसम में स्मॉग होता है, तो इसका ठीकरा किसानों पर फोड़ना सरल होता है। हकीकत यह है कि दिल्ली अपने ही पाप

पराली तो बदनाम है, हवा को जहरीला बनाता है जाम का झाम
दिल्ली का वायु संकट केवल पराली जनित नहीं
सीएनजी के पहले के दौर के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण का यह दूसरा दौर दशकों से बना हुआ है। दिल्ली की सलाना वायु प्रदूषण की स्थिति को मार्च से सितम्बर तक और अक्टूबर से फरवरी तक के समय काल में बांटा जा सकता है। मार्च से सितम्बर में एक्यूआई अच्छा से मध्यम (2000 तक) रहता है, वहीं जाड़े की शुरुआत के साथ एक्यूआई खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है। 2016 में तो यह 999 को भी पार कर चुका था, जिसे अब लंदन स्मॉग की तर्ज पर 'दिल्ली स्मॉग' के रूप में याद किया जाता है। साल में अधिकतर दिन एक्यूआई मध्यम (101-200) स्तर का होता है।  Posted on 07 Nov, 2023 02:11 PM

सर्दी के आगमन के साथ दिल्ली में हवा के जहरीले होने की चर्चा सुर्खियों में है। दशकों से चर्चा का प्रारूप भी एक सा ही है, जिसमें पराली जलाना, पराली निस्तारण, प्रदूषण के लिए अनुकूल मौसम, पटाखे वाले त्योहार आदि-आदि। इस बार भी वायु प्रदूषण सूचकांक (एक्यूआई) अक्टूबर में ही 300 के पार हो गया। आखिर के चार दिनों से लगातार बहुत खराब स्तर पर बना हुआ है। यही हालत दिल्ली एनसीआर के ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गा

दिल्ली का वायु संकट केवल पराली जनित नहीं
पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
प्रदूषण की जड़ में हमारी जीवन शैली है, क्योंकि प्रकृति के पास अपने असंतुलन को ठीक कर प्रदूषण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है पर उसकी प्रक्रिया को बाधित कर हम उसे अपना काम नहीं करने देते हैं। न ही उससे सीखते हैं कि एक का अपशिष्ट दूसरे के लिए संसाधन हैं। Posted on 07 Nov, 2023 12:58 PM

दीपावली के मौके पर रस्मी तौर पर वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित होने की परंपरा रही है। क्योंकि दीपावली के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसको लेकर आंकड़े जारी करता है, जिसमें कोशिश सरकार द्वारा वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों को प्रभावी और सफल दिखाए जाने की होती है। आंकड़ों के लिहाज से दक्षिणी राज्यों की स्थिति बेहतर है, पर यह प्रकृति की मेहरबानी से ज्यादा सरकार की वजह से कम है। सरकार है तो जा

पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
जबरदस्त मानव संहारक पर्यावरण प्रदूषण स्मोक + फॉग = स्मॉग
धूल कण और विभिन्न गैसें वायु को प्रदूषित कर रही हैं। ओजोन, सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड, मीठे पानी का प्रदूषण, पारा, नाइट्रोजन, फास्फोरस, प्लास्टिक और पेट्रोलियम अपशिष्ट से समुद्र का प्रदूषण और सीसा, पारा, कीटनाशकों, औद्योगिक रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक कचरे और रेडियोधर्मी कचरे से भूमि जहरीली हो रही है। वास्तव में हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। घरेलू, कार्यस्थल और बाहरी वातावरण अलग-अलग तरह से स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। Posted on 07 Nov, 2023 12:42 PM

दुनिया भर में विभिन्न कारणों से प्रदूषण का कहर बढ़ता जा रहा है। इनमें मानवीय कारण भी हैं, तो प्राकृतिक कारण भी हैं। विश्व की सबसे पुरानी स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक 'द लैसेंट' की एक रिपोर्ट के अनुसार व सर्वाधिक आबादी वाले चीन और भारत प्रदूषण के कहर से सर्वाधिक प्रभावित हैं। चूंकि जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है, तो प्रदूषण के काल ने भी चीन को पीछे छोड़ कर भारत को निशाने

स्मोक + फॉग = स्मॉग
प्रदूषण से मौतों का आंकड़ा भयावह
मनुष्य दिन भर में जो कुछ लेता है उसका 80 प्रतिशत भाग वायु है। प्रति दिन मनुष्य 22000 बार सांस लेता है। इस प्रकार प्रत्येक दिन वह 16 किलोग्राम या 35 गैलन वायु ग्रहण करता है। वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण होती है, जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक 78 प्रतिशत) होती है, जबकि 21 प्रतिशत ऑक्सीजन और 003 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड होता है त Posted on 07 Nov, 2023 12:25 PM

घरेलू और बाहरी प्रदूषण से भारत में हर साल 24 लाख लोगों की मौत होती है, जो दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों का 30 प्रतिशत है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल अर्बन एयर पॉल्यूशन रिपोर्ट में 108 देशों के 4300 शहरों से पीएम 10 और पीएम 2.5 के महीन कणों का डाटा तैयार किया गया है। इसके मुताबिक 2016 में पूरी दुनिया में सिर्फ वायु प्रदूषण से 42 लाख लोगों को मौत हुई है। वहीं खाना बनाने, फ्यूल और घरेलू उपकरण

प्रदूषण से मौतों का आंकड़ा भयावह
गांगेय डाल्फिन के संरक्षण से बढ़ेगा गंगा का आकर्षण व जैव विविधता
बीबीएयू के इनवायरमेंट साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने बताया कि डॉल्फिन गंगा बेसिन में पाए जाते हैं। यह विलुप्तप्राय जीव हैं। मछली नहीं मैमल्स है। यह मछलियों की तरह अंडा नहीं देती। किसी भी स्तनधारी की तरह बच्चे पैदा करती हैं। इनकी प्रजनन क्षमता कम होती है। तीन चार साल के अंतराल पर एक मादा एक या दो बच्चे ही देती है। Posted on 06 Nov, 2023 01:24 PM

उत्तर प्रदेश राज्य का जलीय जीव बनी डाल्फिन 

उत्तर प्रदेश में गांगेय डाल्फिन के संरक्षण की कवायद अब तेज हो गई है। इसी कारण चंद रोज पहले सरकार ने इसे राज्य का जलीय जीव घोषित कर दिया। नदी की जैव विविधता को बनाए रखने में इनकी अहम भूमिका होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घोषणा से लुप्तप्राय हो रहे इस स्तनधारी जीव (मैमल्स) के सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन पर फोकस ब

गांगेय डाल्फिन
नमामि गंगे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा शीर्ष 10 परियोजनाओं में रखने से जल विशेषज्ञ असहमत
संयुक्त राष्ट्र ने गंगा नदी को साफ करने के लिए नमामि गंगे परियोजना को दुनिया की दस अग्रणी पहलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो प्रकृति संरक्षण का काम कर रहे हैं। लेकिन जल विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र की इस मान्यता से प्रभावित नहीं हैं, उनका कहना है कि एजेंसी ने इस परियोजना को इस सूची में रखने के लिए आवश्यक मानदंडों के बारे में विवरण नहीं दिया है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि इस तरह की कई परियोजनाओं के बावजूद गंगा में पानी की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। Posted on 04 Nov, 2023 01:47 PM

संयुक्त राष्ट्र ने 13 दिसंबर को भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा का प्रदूषण साफ़ करने वाली भारत सरकार की नमामि गंगे परियोजना को दुनिया की दस ऐसी अग्रणी पहलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो प्रकृति के संरक्षण के काम में लगी हुई हैं।यह मान्यता ऐसे समय में आई है, जब पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि गंगा में पानी की गुणवत्ता अभी भी खराब है और इस मुद्दे से निपटने के लिए

नमामि गंगे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा शीर्ष 10 परियोजनाओं में रखने से जल विशेषज्ञ असहमत,Pc-सर्वोदय जगत
कृषि उद्यमिता, नेचुरल फार्मिंग, जल प्रबंधन का सशक्त मॉडल
विश्व युवक केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह द्वारा सभी लोगों के स्वागत के साथ की गई। पहले सत्र में अतिथियों ने महाराष्ट्र के वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन द्वारा की गई पहल के चलते किसानों की आय में बढ़ोतरी और जल प्रबंधन के मॉडल की सराहना की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वर्धा के विधायक पंकज भोयर ने कहा कि देश में अगर खेती के क्षेत्र में परिवर्तन देखना हो तो महाराष्ट्र के वर्धा जिले के किसानों के खेतों में आएं Posted on 04 Nov, 2023 12:59 PM

बढ़ती हुई आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें खेती की उन्नत तकनीकी का उपयोग करते हुए कृषि एवं उस से जुड़े उत्पादकता की तरफ पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। खेती की लागत में कमी लाने में जितना मददगार उन्नत तकनीकी को माना जा सकता है, उतना ही जरूरी है खेती में उन्नत यंत्रों का प्रयोग।

कृषि उद्यमिता, नेचुरल फार्मिंग, जल प्रबंधन का सशक्त मॉडल
तो डूब जाएगा जकार्ता
मौसम में बदलाव हो रहा है। वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। इस के कारण ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, जिन का पानी जा कर समुद्र में मिल रहा है। इस से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। अगर इसी रफ्तार से यह सब चलता रहा तो दुनिया के नक्शे से कई शहर मिट जाएंगे Posted on 03 Nov, 2023 03:39 PM

(जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी है, जहाँ लगभग एक करोड़ लोग रहते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर में रहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक रही है। बीते दस सालों में यह शहर ढाई मीटर ज़मीन में समा गया है। लोगों के घरों में समुद्र का पानी घुसता चला जा रहा है। लेकिन दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर पर बड़ी हाउसिंग और कमर्शियल काम्पलेक्स का निर्माण कार्य लगातार जारी है। इंडोनेशिया के वैज्

तो डूब जाएगा जकार्ता
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