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समाचार और आलेख
अमृत सरोवर मिशन - तालाब एवं जल संरक्षण का महाअभियान
Posted on 22 Nov, 2023 01:44 PMजल ही जीवन है, जल के बिना मानव का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है। जल हमारे लिए ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, जीव-जंतु, मनुष्य इत्यादि सबके लिए अनिवार्य है। जल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। एक कहावत है "जल है तो कल है।" पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किंतु इसमें से 97 प्रतिशत जल खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी मात्र 3 प्रतिशत है इसमें भी 2 प्रतिशत जल हिम एवं ह
परिवहन तंत्र का वायु गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव
Posted on 21 Nov, 2023 05:03 PMभापरिषद (आईसीएमआर मात्र 2019 का एक अध्ययन बताता है कि भारत में 16.7 लाख लोगों की मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण एक प्रमुख कारक था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यहां अस्थमा एवं सांस के बीमारियों से विश्व में सबसे अधिक मृत्यु होती है। वहीं दिल्ली के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय शोध बताता है कि अगर समय रहते प्रदूषण पर काबू नहीं किया गया तो वर्ष 2025 तक 32 हजार लोग प्रदूषित जहरीली हवा के कारण असामयिक
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट - आंकलन एवं उपाय
Posted on 20 Nov, 2023 04:52 PMआईए मिलकर जल संसाधनों की रक्षा करें!
- वनों का संरक्षण करें।
- वर्षा के जल को एकत्रित करें।
- एकीकृत जलागम प्रबन्धन को अपनाएं।
- भू-जल पुनर्भरण करें।
- हिमनदों / खण्डों को संरक्षित करें।
- नदी के वास्तविक बहाव को न बदलें।
- हिमनदों में बढ़ती मानवीय गतिविधियां कम करें।
- प्राकृतिक झीलों एवं तलाबों का संर
पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों में अपरदन नियंत्रण हेतु वानस्पतिक अवरोध
Posted on 20 Nov, 2023 04:22 PMपरिचय
- पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कृषि संबंधी गतिविधियाँ अधिकतर पर्वतीय ढलानों पर की जाती हैं, जहाँ पर क्षरण हानियाँ अत्यधिक हैं।
- यद्यपि, मृदा एवं जल संरक्षण हेतु बांध निर्माण एक प्रभावशाली उपाय है किन्तु यह एक महंगा उपचार है और हर समय रखरखाव मांगता है। इसलिए समोच्चों पर स्थायी पट्टियों में बहुत कम अंतरालों पर उगाई गई घासों के वानस्पतिक अवरोध, बां
धूल से उपजाऊ जमीन की बर्बादी
Posted on 20 Nov, 2023 04:05 PMवायु में फैली धूल और रेत का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। इससे हर साल लगभग 200 करोड़ टन धूल और रेत हमारे वातावरण में घुस जाती है। इसका परिणाम यह है कि हर साल करीब 10 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि उपजाऊ नहीं रहती है। इसकी तुलना में गीजा के 350 पिरामिडों का वजन बराबर है। यह जानकारी यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) की रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार इंसानी गतिविधियों के कारण धूल और
खारे पानी में खेती
Posted on 20 Nov, 2023 01:42 PMसमुद्र यानी पानी का अथाह भण्डार, परन्तु सभी जानते हैं। कि पेड़-पौधों व फसलों की सिंचाई के लिए यह पानी सर्वथा अनुपयुक्त होता है। जिस पौधे को समुद्र के पानी से सींचा जाए, वह पौधा कुछ ही समय में मुरझा जाता है। आखिर, ऐसा क्यों होता है ?
उबलते पानी के चश्मे
Posted on 20 Nov, 2023 12:51 PMपिछले दिनों मेरे एक दोस्त ने बताया कि पिपरिया के पास अनहोनी गांव में गर्म पानी का झरना है। यहां पानी इतना गर्म होता है कि आप चावल भी पका सकते हैं। पढ़ाई के दौरान गर्म पानी के झरनों के बारे में पढ़ा तो था परन्तु यह सुनकर अचरज हुआ कि होशंगाबाद के इतने करीब एक ऐसा झरना मौजूद है। इसलिए अनहोनी जाकर इसे देखने की योजना बनाई। पिपरिया छिंदवाड़ा मुख्य सड़क से 10 किलोमीटर अंदर अनहोनी गांव (जिला छिंदवाड़ा)
जल संरक्षण प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन
Posted on 18 Nov, 2023 04:37 PMआज भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में जल उपलब्धता की समस्या विकराल रूप ले रही है। इस समस्या के समाधान हेतु विभिन्न राष्ट्रों की सरकारें तरह-तरह के उपाय कर रही हैं। भारत सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक समाधान, लोक सहभागिता के माध्यम से साधने में जुटी है। जलग्रहण क्षेत्र पर आधारित विभिन्न परियोजनाओं के अध्ययनोपरांत यह निष्कर्ष निकला कि
भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण (Methods of artificial recharge of groundwater in hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 04:28 PMभूजल के कृत्रिम पुनर्भरण का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल को विभिन्न प्रकार की संरचनाओं के माध्यम से होकर भूजल स्तर तक ले जाना होता है। ऐसा करने से सतही अपवाह जो बहकर अन्यत्र चला जाता है उसे कम किया जा सकता है जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होती है। कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा मृदा के कटाव एवं सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
जल संचयन के रंग-ढंग(Types of water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 12:39 PMजैसे कि पहले बताया गया है कि जितनी वर्षा होती है उसका एक भाग सतही प्रवाह के रूप में जलग्रहण क्षेत्र से बाहर निकल कर नालों और नदियों के माध्यम से बहते हुए धीरे-धीरे अंततः समुद्र में मिल जाता है। एक भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वातावरण में चला जाता है और बाकी मृदा में रिसता हुआ भूजल में मिल जाता है। वर्षा जल सतही और भूजल के माध्यम से उपयोग किया जाता है। जल की प्रकृति उच्च ढलान से निम्न ढलान की ओर