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समाचार और आलेख
धूल से उपजाऊ जमीन की बर्बादी
Posted on 20 Nov, 2023 04:05 PMवायु में फैली धूल और रेत का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। इससे हर साल लगभग 200 करोड़ टन धूल और रेत हमारे वातावरण में घुस जाती है। इसका परिणाम यह है कि हर साल करीब 10 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि उपजाऊ नहीं रहती है। इसकी तुलना में गीजा के 350 पिरामिडों का वजन बराबर है। यह जानकारी यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) की रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार इंसानी गतिविधियों के कारण धूल और
![धूल से उपजाऊ जमीन की बर्बादी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Dhul.jpeg?itok=xlzL6YZJ)
खारे पानी में खेती
Posted on 20 Nov, 2023 01:42 PMसमुद्र यानी पानी का अथाह भण्डार, परन्तु सभी जानते हैं। कि पेड़-पौधों व फसलों की सिंचाई के लिए यह पानी सर्वथा अनुपयुक्त होता है। जिस पौधे को समुद्र के पानी से सींचा जाए, वह पौधा कुछ ही समय में मुरझा जाता है। आखिर, ऐसा क्यों होता है ?
![खारे पानी में खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/KAHRE%20PANI%20KI%20KHETI.jpeg?itok=EITgLmZd)
उबलते पानी के चश्मे
Posted on 20 Nov, 2023 12:51 PMपिछले दिनों मेरे एक दोस्त ने बताया कि पिपरिया के पास अनहोनी गांव में गर्म पानी का झरना है। यहां पानी इतना गर्म होता है कि आप चावल भी पका सकते हैं। पढ़ाई के दौरान गर्म पानी के झरनों के बारे में पढ़ा तो था परन्तु यह सुनकर अचरज हुआ कि होशंगाबाद के इतने करीब एक ऐसा झरना मौजूद है। इसलिए अनहोनी जाकर इसे देखने की योजना बनाई। पिपरिया छिंदवाड़ा मुख्य सड़क से 10 किलोमीटर अंदर अनहोनी गांव (जिला छिंदवाड़ा)
![उबलते पानी के चश्मे](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Gijer.jpeg?itok=JwmwGVLv)
जल संरक्षण प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन
Posted on 18 Nov, 2023 04:37 PMआज भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में जल उपलब्धता की समस्या विकराल रूप ले रही है। इस समस्या के समाधान हेतु विभिन्न राष्ट्रों की सरकारें तरह-तरह के उपाय कर रही हैं। भारत सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक समाधान, लोक सहभागिता के माध्यम से साधने में जुटी है। जलग्रहण क्षेत्र पर आधारित विभिन्न परियोजनाओं के अध्ययनोपरांत यह निष्कर्ष निकला कि
![जल संरक्षण प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Water%20technology%20.jpeg?itok=YJYUExij)
भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण (Methods of artificial recharge of groundwater in hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 04:28 PMभूजल के कृत्रिम पुनर्भरण का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल को विभिन्न प्रकार की संरचनाओं के माध्यम से होकर भूजल स्तर तक ले जाना होता है। ऐसा करने से सतही अपवाह जो बहकर अन्यत्र चला जाता है उसे कम किया जा सकता है जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होती है। कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा मृदा के कटाव एवं सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
![भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Artiffical%20Recharge%20of%20ground%20water.jpeg?itok=CV-TxBy7)
जल संचयन के रंग-ढंग(Types of water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 12:39 PMजैसे कि पहले बताया गया है कि जितनी वर्षा होती है उसका एक भाग सतही प्रवाह के रूप में जलग्रहण क्षेत्र से बाहर निकल कर नालों और नदियों के माध्यम से बहते हुए धीरे-धीरे अंततः समुद्र में मिल जाता है। एक भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वातावरण में चला जाता है और बाकी मृदा में रिसता हुआ भूजल में मिल जाता है। वर्षा जल सतही और भूजल के माध्यम से उपयोग किया जाता है। जल की प्रकृति उच्च ढलान से निम्न ढलान की ओर
![जल संचयन के रंग-ढंग](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/THE%20water%20harvesting%20.jpeg?itok=xqBbD7KR)
जल संचयन क्या है(What is water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 11:35 AMपरिचय
पृथ्वी का दो तिहाई भाग जल और एक तिहाई भाग थल है। यद्यपि जल इस ग्रह का सर्वाधिक उपलब्ध संसाधन हैं परन्तु मानव उपयोग के लिये यह तीव्र गति से दुर्लभ होता जा रहा है। इस अपार जल राशि का लगभग 97.5% भाग खारा है और 2.5% भाग मीठा है। इस मीठे जल का भी 75% भाग हिमखण्डों के रूप में, 24.5% भूजल, 0.03% नदियों, 0.34% झीलों एवं 0.06% वायुमण्डल में विद्यमान है। ज्यों-ज्यो
![जल संचयन](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Water%20harvesting.jpeg?itok=2NKVfk22)
ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब
Posted on 18 Nov, 2023 11:29 AMजब दिल्ली सहित देश का बड़ा हिस्सा वायु प्रदूषण से जूझ रहा है तब एक किताब इस समस्या के समाधान की बात करने के लिए आई है। गुरुवार को वायु प्रदूषण से जूझने के लिए वाणी पृथ्वी कड़ी के तहत वाणी प्रकाशन की पुस्तक 'ताजी हवा कैसे उगाएं' का लोकार्पण हुआ। लेखक, कमल मीतल और वरुण अग्रवाल मिलकर 'ताजी हवा कैसे उगाएं' में पर्यावरण समस्याओं और वायु गुणवत्ता के प्रति सहज, सरल भाषा में संवाद किया है।
![ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Fresh%20air.jpeg?itok=OEgIh9x4)
सुरंगों में हिमालय का भविष्य
Posted on 17 Nov, 2023 01:25 PMऑल वेदर रोड की एक सुरंग धंसी
ऑल वेदर रोड के तहत धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से डंडालगांव के बीच साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माणाधीन है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर भूस्खलन हुआ है। इस सुरंग का एक हिस्सा 150 मीटर खंड ढह गया है। यह चारधाम परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। इसके बन जाने के बाद
![सुरंगों में हिमालय का भविष्य](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/HIMALAYN%20TUNNEL.jpeg?itok=U8V842Vy)
मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान
Posted on 17 Nov, 2023 12:53 PMसारांश
पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भूगर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू-जल कहा जाता है। अपने देश में लगभग 300 लाख हेक्टोमीटर भू-जल उपलब्ध है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत हम उपयोग कर चुके हैं। यदि भू-जल विकास स्तर की दृष्टि से देखा जाए तो अपना देश घूमिल सम्भावना क्षेत्र से गुजर रहा है, जो शीघ्र ही सम्भावनाविहीन क्षेत्र के अन्तर्गत आ जायेगा। यही स्थिति
![मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/GROUND%20WATER%20.jpeg?itok=IbVUeb_f)