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सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि
देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को सिंचाई में होने वाली परेशानी के कारण कृषि व्यवस्था प्रभावित हो रही है. इन्हीं में एक बिहार के गया जिला का उचला गांव है. जहां किसान सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण कृषि कार्य से विमुख हो रहे हैं. जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर और प्रखंड मुख्यालय बांकेबाज़ार से करीब 13 किमी दूर यह गांव रौशनगंज पंचायत के अंतर्गत है. लगभग 350 परिवारों की आबादी वाले इस गांव में उच्च वर्ग और अनुसूचित जाति की मिश्रित आबादी है Posted on 19 Dec, 2023 03:40 PM
सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि
भारत में समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं
सतत् परियोजनाओं के लिये वित्तपोषणः ब्लू बॉन्ड भारत में सतत् समुद्री परियोजनाओं के लिये आवश्यक वित्तपोषण प्रदान कर सकते हैं। इसमें स्वच्छ ऊर्जा पहल, अपतटीय पवन फार्म, तरंग ऊर्जा कनवर्टर (wave energy converters). समुद्री संरक्षित क्षेत्र और संवहनीय मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि शामिल हैं। ये परियोजनाएँ रोजगार पैदा कर सकती हैं, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकती हैं।  Posted on 19 Dec, 2023 01:46 PM

भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अब भारत अपनी तीव्र वृद्धि को जारी रखने के लिए नए रास्ते तलाश रहा है। भारत की तटरेखा विश्व की सबसे विस्तृत तटीय रेखाओं में से एक है और यह चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। ऐसे कई उद्योग हैं जिन्हें भारत अपने महासागरों के माध्यम से विकसित कर सकता है, जैसे मछली पकड़ना, मुर्गी पालन, बंदरगाह और शिपिंग ये उद्योग मिलकर नीली अर्थव्यवस्थ

भारत में समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं
आओ! नदियों को बचाएँ
यदि नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोका नहीं गया तो लगभग 1500-2000 वर्ष बाद भारत नदी विहीन देश होगा। आधुनिकता के युग में पूर्वजों की चेतावनियों को मनुष्य ने अनसुना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप पतितपावनी गंगा सहित अन्य नदियों का पावन जल कलुषित और प्रदूषित हो गया है। कई नदियाँ विलुप्ति के सन्निकट हैं और कुछ का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।  Posted on 19 Dec, 2023 12:57 PM

मानव सभ्यता का विकास नदियों के तट पर हुआ। नदियों को मानव ने जल स्रोत और जीवनोपयोगी साधन जुटाने का माध्यम बनाया। सिंधु घाटी की सभ्यता, नील नदी घाटी सभ्यता से लेकर अद्यतन मानव और जीव-जंतुओं का जीवन का आधार भी नदियाँ ही हैं। यह परिवहन और कृषि कार्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। जिस प्रकार माँ अपनी संतान का पालन-पोषण करती है, उसी प्रकार नदियाँ भी मानव सहित अनेक प्राणियों के लिए जीवनदात्री हैं। नदी क

आओ! नदियों को बचाएँ
अफगानिस्तान से दिल्ली तक भूकम्प बड़ी तबाही का सिग्नल तो नहीं!
दिल्ली -एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में 3 अक्टूबर के बाद से बार-बार भूकम्प के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 3 अक्टूबर की दोपहर को तो भूकम्प के जोरदार झटके महसूस किए गए थे, जिसका केन्द्र नेपाल के बझांग जिले में था। उत्तर भारत में उस दौरान लगातार दो बार धरती कांपी थी। हालांकि भारत में भूकम्प के उन झटकों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था लेकिन केवल 26 मिनट में ही नेपाल से लेकर दिल्ली तक दो बार लगे भूकम्प के जोरदार झटकों से हर कोई कांप गया था।  Posted on 18 Dec, 2023 12:33 PM

दिल्ली -एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में 3 अक्टूबर के बाद से बार-बार भूकम्प के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 3 अक्टूबर की दोपहर को तो भूकम्प के जोरदार झटके महसूस किए गए थे, जिसका केन्द्र नेपाल के बझांग जिले में था। उत्तर भारत में उस दौरान लगातार दो बार धरती कांपी थी। हालांकि भारत में भूकम्प के उन झटकों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था ले

अफगानिस्तान से दिल्ली तक भूकम्प बड़ी तबाही का सिग्नल तो नहीं!
यूसर्क के साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
राज्य के सीमांत भाग तक के विद्यार्थियों को विज्ञान, तकनीकी एवं पर्यावरण संबंधी विषयों में प्रयोगात्मक रूप से प्रशिक्षित किया जाय। पर्यावरण विषय पर प्रशिक्षित युवा अपने कौशल विकास के साथ अपने करियर को अच्छा बना सकते हैं साथ ही साथ अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी कार्य कर सकते हैं Posted on 16 Dec, 2023 01:45 PM

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा अनुसंधान केंद्र देहरादून (यूसर्क) द्वारा भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 11 दिसंबर को  प्रारंभ किए गए साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज दिनाँक 15.12.2023 को अपराह्न में यूसर्क सभागार में समापन किया गया। समापन कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि

यूसर्क के साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
2023-चिकित्सा/फिजियोलॉजी नोबेल पुरस्कारः कोविड-19 वैक्सीन के विकास की कहानी
सन् 1951 में मैक्स थीलर को यलो फीवर की वैक्सीन बनाने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। सन् 1885 में लुई पास्टर द्वारा विकसित रेबीज की वैक्सीन का एक बहुत रोचक इतिहास रहा है। धीरे-धीरे मॉलीक्युलर बायोलॉजी के विकास के साथ पूरे रोगाणुओं वायरस की बजाय वायरस के टुकड़ों से वैक्सीन बनाने की जानकारी और क्षमता विकसित हुई। इसमें वायरस के जेनेटिक कोड-डीएनए या आरएनए के कुछ टुकड़ों-जो वायरस की कुछ विशेष प्रोटीन्स को बनाने के लिए उत्तरदायी होते हैं-का प्रयोग किया जाता है। Posted on 16 Dec, 2023 12:49 PM

इस वर्ष का चिकित्सा/ फिजियोलॉजी का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कैरीको और ड्यू वीजमैन को दिया गया है। यह उन्हें कोविड-19 के विरुद्ध एक प्रभावी mRNA वैक्सीन विकसित करने के लिए दिया गया है। कैटालिन कैरीको हंगरी की बायोकेमिस्ट हैं। इनका जन्म 1955 में सुजॉलनॉक, हंगरी में हुआ था। यह अनेक विश्वविद्यालयों में रहीं। इस समय यह स्जीगेड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन, पेंसिल्वेनिया विश्वविद

कोविड-19 वैक्सीन के विकास की कहानी
अवैध वन्यजीव व्यापारः जैवविविधता एवं पर्यावरण हेतु गंभीर संकट
दुनियाभर के कई देशों में जीव-जंतुओं और उनके शारीरिक अंगों के उपयोग को लेकर सदियों से तमाम तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई हैं जिसने वन्यजीव तस्करी को प्रमुखता से बढ़ावा दिया है। पारंपरिक चिकित्सा, जानवरों को पालतू बनाने, जादुई उपयोग, मांस सेवन, जैविक अंगो के सजावटी उपयोग, औषधीय निर्माण आदि कारणों के चलते दुनियाभर में वन्यजीवों की बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है। बाघ और तेंदुएं की खाल, गैंडे के सींग, हाथियों के दांत, सांपो की केंचुल, हिरनों के खुर, पैंगोलिन के शल्क, मॉनिटर लिजार्ड के जननांग, मेढक की टांग, शार्क के पंख, कस्तूरी मृग की कस्तूरी और नेवले के बाल आदि शारीरिक अंगों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी मांग के चलते वन्यप्राणियों का बेरहमी से शिकार कर उनकी तस्करी की जाती है Posted on 16 Dec, 2023 12:38 PM

अपने विकास आरंभ से ही मनुष्य विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वन्यजीवों का शिकार करता चला आ रहा है। मानव द्वारा वन्यप्राणियों के शिकार का एक लम्बा इतिहास रहा है। मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों में भोजन एवं मांस के लिए जंगली जीव-जंतुओं का शिकार किया जाता था। जंगलों, गुफाओं और शिलाश्रयों में रहने वाला आरंभिक मानव जानवरों का शिकार कर ही अपना भरण-पोषण करता था। खूंखार प्राणियों से स्वयं की सुरक्षा हे

अवैध वन्यजीव व्यापारः
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उमंग डीआईएसटीएफ के साथ संपन्न
देहरादून इंटरनेशलन साइंस एंड टेक्नॉलोजी फेस्टिवल के चौथे संस्करण के पहले दिन उ‌द्घाटन सत्र में राज्य की अपर मुख्य सचिव श्रीमति राधा रतूड़ी, आईएएस ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास से समाज का अंतिम व्यक्ति भी लाभान्वित होना चाहिए। हमें साइंस फॉर सोसायटी की अवधारण पर कार्य करना चाहिए। इसी दिन विज्ञान पोस्टर प्रतियोगिता में एक हजार से अधिक स्कूल और कॉलेजों के छात्रों  द्वारा  प्रतिभाग किया गया Posted on 15 Dec, 2023 12:42 PM

चतुर्थ देहरादून अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव (4वां डीआईएसटीएफ-2023) डीआईटी विश्वविद्यालय में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। तीन दिवसीय इस महोत्सव में 150 शैक्षणिक संस्थानों के तकरीबन 15000 छात्रों ने उमंग और उत्साह के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आनंद लिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े 80 से अधिक संस्थाओं ने साइंस एंड टेक्नॉलोजी प्रदर्शनी, ग्रीन एनर्जी प्रदर्शनी, साइंस एंड टे

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उमंग डीआईएसटीएफ के साथ संपन्न
खतरे में हिल स्टेशन 
अंग्रेजों के शासनकाल में साल 1880 में इसी पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। इसमें 43 अंग्रेज अधिकारी भी शामिल थे। हादसे के बाद अंग्रेजों ने इस पहाड़ी पर निर्माण पर पाबंदी लगा दी थी। बावजूद इसके अब तक यहां निर्माण हो रहे हैं। लगभग 10 हजार लोग यहां मकान बनाकर रह रहे हैं। 1880 के इस हादसे के बाद नैनीताल में 79 किलोमीटर का एक बड़ा ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया था जो विश्व धरोहर है। इसी ड्रेनेज की वजह से नैनीताल स्थिर रहा है। Posted on 15 Dec, 2023 12:31 PM

अनियंत्रित विकास, वनों के कटान और बदलते पारिस्थितकी तंत्र का भयावह रूप हमें अभी हिमाचल में देखने को मिला। हिमाचल ने 40 वर्षों में जो विकास किया था वह एक झटके से तहस-नहस हो गया। जोशीमठ शहर में पड़ी दरारों के बाजवूद विकास के पैमानों को लेकर पूरे देश में कहीं किसी प्रकार की बहस नहीं हो रही है। हिमाचल में आई तबाही की खबरों के मुकाबले उत्तराखंड के नैनीताल में ढहे घरों की खबर को ज्यादा तवज्जो नहीं मि

खतरे में हिल स्टेशन 
विशेष संसदीय समिति : आर्द्रभूमि बचाने के लिए नागरिकों का खुफिया तंत्र तैयार करे सरकार
समिति ने सिफारिश की है कि प्रवासी पक्षियों और जैव विविधता के अन्य रूपों के महत्त्व को देखते हुए प्राकृतिक नमक क्षेत्रों के नियमों के तहत सुरक्षा दी जानी चाहिए।
इसके अलावा मामले में अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, जुर्माना लगे।
Posted on 15 Dec, 2023 11:22 AM

देशभर में अवैध कब्जे के शिकार होती जा रही आर्द्रभूमि की रक्षा के लिए संसद की विशेष समिति ने खुफिया तंत्र की मदद लेने की सिफारिश की है। समिति ने सिफारिश की है कि सरकार इस अवैध कब्जे से जमीन को बचाने के लिए नागरिकों का खुफिया तंत्र तैयार करे। इसके लिए इनाम योजना शुरू कर सकती है। समिति का मानना है कि यदि ये बदलाव नहीं किए जाते हैं तो इस भूमि का अवैध तरीके से प्रयोग किया जा सकता है।

आर्द्रभूमि बचाने के लिए नागरिकों का खुफिया तंत्र तैयार करे सरकार
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