समाचार और आलेख

Term Path Alias

/sub-categories/news-and-articles

बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर कर रहे खेती
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच भारत की कुल रिपोर्टेड जमीन की 30.51 करोड़ हेक्टेयर भूमि की गुणवत्ता गिरी, बंजर हुई है। इसका मतलब है कि 2019 में देश की कुल जमीन का 9.45% गुणवत्ता गिर चुका था, जो 2015 में केवल 4.42% था। यह जानकारी यूएनसीसीडी द्वारा जारी की गई है। Posted on 20 May, 2024 06:39 AM

भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को उपयोगी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। देश की कुल 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर भूमि में से 12 करोड़ 95 लाख सत्तर 70 हेक्टेयर भूमि बंजर है। भारत देश में बंजर भूमि के ठीक-ठीक आकलन के लिए अभी तक कोई विस्तृत सर्वेक्षण नहीं हुआ है, फिर भी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय का अनुमान मुताबिक सर्वाधिक बंजर जमीन मध्यप्रदेश में है-2 करोड़ 1 लाख 42 हेक्टेयर। उसके बा

बड़ी मात्रा में कृषि भूमि की गुणवत्ता गिरी या बंजर हुई हैं
देश भर के जलाशयों के भंडार खाली, खतरे में खेती
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय जल आयोग द्वारा प्रकाशित आंकड़े भारत में जल संकट की बढ़ती गंभीरता को प्रकट करते हैं। इन आंकड़ों से देश के जलाशयों के स्तर में हुई खतरनाक कमी का पता चलता है। 25 अप्रैल 2024 तक, भारत के प्रमुख जलाशयों में जल की मात्रा में उनकी कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले लगभग 30-35 प्रतिशत की कमी आई है।


Posted on 20 May, 2024 05:49 AM

भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण की क्षमता में 36% की कमी आई है। इनमें से छह जलाशयों में जल भंडारण का कोई आंकड़ा नहीं मिला है, जबकि 86 जलाशयों में भंडारण क्षमता 40% या उससे कम है। सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) के अनुसार, इन जलाशयों में से अधिकांश दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, और गुजरात में स्थित हैं। केंद्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़े भारत में बढ़ते इसी जल संकट की गंभीरता को ही दर्शाते हैं। ये आंक

जलाशयों के जलभंडारों में उल्लेखनीय कमी
जलवायु परिवर्तनः रोगवाहक जन्य रोगों के विशेष संदर्भ में मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव
वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्ष 2100 तक तापमान में 1.4 से 5.8°C तक की वृद्धि के साथ समुद्र के स्तरों में 18-59 से.मी. तक की वृद्धि की संभावना है जिसके चलते तटवर्ती क्षेत्रों में जल प्लावन के कारण वर्ष 2050 तक 200 मिलियन लोग अपनी जगह से अलग हो जाएंगे। Posted on 18 May, 2024 06:51 AM

पृथ्वी पर प्राणियों का अस्तित्व तथा उनका सतत विकास वातावरण के साथ उनके सकारात्मक सामंजस्य का द्योतक है। परन्तु विगत कुछ वर्षों से गरमाती धरती, तेजी से महामारियों एवं विलुप्त होती प्रजातियों से यह सम्बन्ध  हिलता सा दिख रहा है। फरवरी 2007 में पेरिस में कुल 130 देशों के 2500 वैज्ञानिकों के दल के साथ जलवायु परिवर्तन पर निगरानी के लिए गठित अंतर शासकीय पैनल (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेन्ज) (IP

जलवायु परिवर्तनः रोगवाहक जन्य रोगों के विशेष संदर्भ में मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है। Posted on 15 May, 2024 09:10 AM

देहरादून। ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ के वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेटों के टक्कर से उत्पन्न होने वाले भूकंपों के अध्ययन डाटा को एकत्रित किया है और डाटा से उन क्षेत्रों की पहचान की है जो भूकंप से अत्यधिक प्रभावित और जोखिम में हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल, असम और भूटान क्षेत्रों में भवि

भूजल का अत्यधिक दोहन
गोमती नदी के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास
गोमती का जन्म हिमालय की तलहटी में जनपद पीलीभीत से 30 किमी पूर्व तथा पूरनपुर (पुराणपुर) से 12 किमी उत्तर में माधोटांडा के निकट फुलहर झील (गोमत ताल) से हुआ। गोमती 660 किमी की यात्रा में 14 जिले पीलीभीत, शाहजहाँपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर के 22735 वर्ग किमी जल ग्रहण क्षेत्र के वर्शा जल को संजोकर मार्केण्डेश्वर तपस्थली के पास कैची घाट, वाराणसी में गंगा मैया की गोद में समा जाती है। गोमती पहाड़ों से नहीं, गौरूपी धरती की कोख (भूगर्भ जल) से जन्मी नदी है, इसलिए गोमती कहलाती है। इसके प्राण भूजल स्रोतों में निहित हैं। Posted on 13 May, 2024 08:38 AM

गोमती का परिचय 

आदि गंगा गोमती, माँ गंगा से प्राचीन नहीं हैं। माँ गंगा को भगीरथ द्वारा पृथ्वी पर लाया गया था, जबकि भूगर्भ जल से पृथ्वी के उद्भव मालखण्ड से सतत सदानीरा पौराणिक नदी गोमती है। गोमती को आदि गंगा कहा गया है। गोमती के जल में तप की प्रकृति है। इसके तट पर आदिपुरुष मनु-सतरूपा ने तपस्या कर पुत्र रूप में भगवान श्रीराम का वरदान पाया और गोमती जल में स्नान करके भरत व भगवान राम द्वार

गोमती (प्रतिकात्मक तस्वीर)
जयपुर, लापोड़िया : पानी ने बदली 70 गांवों की कहानी
राजस्थान की राजधानी जयपुर से 80 किलोमीटर दूर स्थित लापोड़िया गांव के रहने वाले किसान लक्ष्मण सिंह देश में ग्रामोदय के रोल मॉडल हैं। दुनिया को इजराइल कम पानी में खेती की तकनीक सिखाता है, लेकिन लक्ष्मण सिंह इजराइल को खेती और पानी बचाने की टेक्निक सिखाते हैं। लक्ष्मण सिंह को पद्मश्री देकर 'निष्काम कर्म' का मान ऊंचा किया गया है। Posted on 12 May, 2024 05:23 PM

जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है- लापोड़िया। यह गांव लक्ष्मण सिंह के नेतृत्व में ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है। इतना ही नहीं, ग्राम

लापोड़िया की एक प्रतिकात्मक तस्वीर
दुबई में बाढ़ क्यों
Posted on 10 May, 2024 01:08 PM

दुबई, जो रेगिस्तान के बीच में बसा, एक शहर, जिसकी आधुनिकता से हर कोई प्रभावित हो जाता है। 16 अप्रैल 2024 को अचानक भारी वर्षा से शहर डूब गया। इस अप्रत्याशित बाढ़ ने विभिन्न स्थानों को प्रभावित किया, जिसमें हवाई अड्डे, मेट्रो स्टेशन, और शॉपिंग मॉल शामिल हैं। स्कूल बंद कर दिए गए और सोशल मीडिया पर इस आपदा की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 24 घंटों में 160 मिलीमीटर वर्षा द

फ्लैश फ्लड
नदियों के पुनरुद्धार का प्रकल्प 'गोमती गौरव अभियान' का संकल्प
लखनऊ गोमती नदी के किनारे पर बसा है। उत्तर प्रदेश मे गोमती नदी पीलीभीत से प्रारम्भ होकर गाजीपुर में गंगा नदी में मिल जाती है। गोमती नदी में जल गंगा-यमुना आदि की तरह किसी पहाड में बर्फ के पिघलने से नहीं आता है बल्कि तमाम सहायक नदियों और नालों का जल गोमती में गिरता है और नदी में शामिल होकर बडा आकार ले लेता है। Posted on 10 May, 2024 06:59 AM

लोक भारती अनेक वर्षों से गोमती संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है। गोमती पुनरुद्धार के प्रयासों को गति देते हुए लोक भारती ने अब लखनऊ में 'गोमती गौरव अभियान' प्रारम्भ करने का संकल्प लिया है। 26 फरवरी को लखनऊ स्थित मनकामेश्वर मन्दिर, अलीगंज में महन्त देव्यागिरि की अध्यक्षता में लोक भारती द्वारा लखनऊ में गोमती संरक्षण के लिए व्यापक रूप से 'गोमती गौरव अभियान' चलाने का निश्चय किया गया है। इस अभियान के संयोजन

गोमती संरक्षण अभियान,Pc-लोक सम्मान 
पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मददगार सौर ऊर्जा
भारत, जो विश्व के सबसे जनसंख्या वाले देशों में से एक है, के लिए सौर ऊर्जा एक आदर्श ऊर्जा स्रोत है क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल है और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं छोड़ती। यह गैर-नवीकरणीय ऊर्जा का एक श्रेष्ठ विकल्प है क्योंकि यह अक्षय है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग खाना पकाने, सुखाने और बिजली जैसे विभिन्न कार्यों के लिए कर सकते हैं। भारत में बिजली का उत्पादन महंगा होने के कारण, सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है। Posted on 10 May, 2024 06:34 AM

सौर ऊर्जा ऊर्जा क्षेत्र में एक नवीकरणीय, अक्षय और किफायती रूप है। सौर उपकरण दो प्रकार के होते हैंः सक्रिय और निष्क्रिय। सौर ऊर्जा के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा के सबसे स्वच्छ और शुद्धतम रूपों में से एक।

सौर उर्जा
ग्रीन करियर : पवन ऊर्जा में है भविष्य का मजबूत करियर
पवन ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार का मजबूत भविष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2035 तक पवन ऊर्जा जनरेट करने की लागत आज के मुकाबले 17 से 35 फीसदी तक कम हो जायेगी और पवन ऊर्जा का उत्पादन आज से कई सौ फीसदी बढ़ जायेगा। इसलिए इस ऊर्जा का भविष्य अक्षय है, क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधन कभी कम नहीं होगा। पवन ऊर्जा प्रदूषण रहित है, जिस कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने में इसके जरिये मदद मिलती है। Posted on 09 May, 2024 07:18 AM

इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग के चलते पूरी दुनिया में जीवाश्म ऊर्जा का यानी फासिल-फ्यूल का बहुत तेजी से विकल्प ढूंढ़ा जा रहा है और कहना न होगा कि बड़े पैमाने पर इसे ढूंढ़ भी लिया गया है। इन्हीं विकल्पों में से एक पवन ऊर्जा का विकल्प भी है। भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ था और पिछले कुछ सालों में इसमें बहुत तेजी आयी है। 31 दिसंबर 2023 तक भारत में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता

पवन उर्जा भारत का भविष्य
×