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जमीन का टुकड़ा बताकर रोगदा बांध को बेचा!
Posted on 25 Apr, 2011 10:50 AM हैदराबाद की केएसके महानदी कंपनी को पावर प्लांट लगाने के लिए बेचे गए 133 एकड़ के रोगदा बांध के अस्तित्व को जिला प्रशासन ने नकारा है। प्रशासन ने बांध को जमीन का टुकड़ा बताकर पावर कंपनी को वर्ष 2008 में बेच दिया था, जबकि इस विषय पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में फरवरी 2010 में बैठक हुई थी। यह सारी बातें तब उभरकर सामने आने लगी है, जब विपक्ष के दबाव पर राज्य सरकार द्वारा गठित विधायकों की जांच समिति ने मामले की पड़ताल शुरू की है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के नरियरा क्षेत्र में हैदराबाद की केएसके महानदी पावर कंपनी 3600 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित कर रही है।

जल से लौटा जीवन
Posted on 25 Apr, 2011 10:16 AM

पिछले एक दशक से जल-संकट झेल रहे केवलादेव घना राष्ट्रीय अभयारण्य को अब इंद्रदेव की मेहरबानी से

प्यासी होती धरती
Posted on 22 Apr, 2011 11:34 AM

हमारे आस-पास के जीव-जन्तु और पौधे खत्म होते जा रहे हैं। हम केवल चिंता और चिंतन का नाटक कर रहे हैं। दूसरों के जीवन को समाप्त करके आदमी अपने जीवन चक्र को कब तक सुरक्षित रख पाएगा? ईश्वर के बनाए हर जीव का मनुष्य के जीवन चक्र में महत्व है। मनुष्य दूसरे जीव के जीवन में जहर घोल कर अपने जीवन में अमृत कैसे पाएगा?

'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।

धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है।
water importance
रोगदा बांध मामले की जाँच
Posted on 18 Apr, 2011 10:45 AM

'के.एस.के महानदी पावर प्लांट को 131 एकड़ जमीन में स्थित बांध बेचे जाने के बहुचर्चित मामले की जांच के लिए विधानसभा की 5 सदस्यीय जांच समिति आज रोगदा गांव पहुंची। विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल की अध्यक्षता में गठित समिति के सदस्यों ने बांध क्षेत्र का निरीक्षण कर ग्रामीणों से जानकारी ली। इस दौरान कई ग्रामीणों ने जांच समिति को बांध से संबंधित अहम दस्तावेज भी सौंपे। बांध के निरीक्षण के बाद समिति के सदस्यों ने बैठक बुलाकर अधिकारियों से विभिन्न बिन्दुओं पर जानकारी ली।'
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड के नरियरा क्षेत्र में हैदराबाद की के.एस.के महानदी पावर कंपनी ने 3600 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से एमओयू किया है।

रोगदा बांध
खामोशी का खतरनाक षड्यंत्र
Posted on 11 Apr, 2011 12:38 PM

सभी के लिए संकट


जो लोग बोतलों वाला पानी खरीद सकते हैं, वे सोचते हैं कि जल संकट उनकी समस्या नहीं है। वे गलती कर रहे हैं। महज दो अनियमित मानसून हमें पानी के लिए तरसा सकते हैं।

 

सुनामी हमारे जीवन में उथलपुथल मचा सकती है। भूकंप हमें झकझोर सकता है। हम बूंद-बूंद पानी को तरस सकते हैं लेकिन हमारा जो रवैया है, उसे हरिवंशराय बच्चन की ये अमर पंक्तियां बहुत अच्छी तरह व्यक्त करती हैं : दिन को होली, रात दिवाली, रोज मनाती मधुशाला।

इसमें संदेह नहीं कि हम समृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहे हैं और यदि मानसून नियमित रहा और कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई तो हम जल्द ही 9 फीसदी की विकास दर भी हासिल कर लेंगे। शायद इसके बाद हम 10 फीसदी विकास दर के बारे में भी पूरे आत्मविश्वास के साथ विचार करने लगें। लेकिन एक तरफ जहां हम एक खुशहाल ‘कल’ की ओर देख रहे हैं और उसके लिए योजनाएं बना रहे हैं, वहीं सच्चाई यही है कि हमारा जीवन कल में नहीं, ‘आज’ में है। हम आज जीते हैं, आज सांस लेते हैं। सवाल यह है कि हमारा आज कैसा है?

गर्मी, पानी और औरत
Posted on 04 Apr, 2011 10:03 AM

पानी और औरत मानों एक-दूसरे की पर्याय हैं। ग्रामीण क्षेत्र हो या महानगर की मलिन बस्तियां, परिवा

अर्घ्य
Posted on 01 Apr, 2011 12:38 PM पानी से पहला परिचय कब हुआ था? इस सवाल का सटीक जवाब किसी के पास भी मिलना मुश्किल है। इसी तरह मुझे भी याद नहीं कि पानी से मेरा पहला परिचय कैसे हुआ था। स्वाभाविक ही है, जन्म के भी पहले फ्लूइड के रूप में तरलता से पहला नाता बना। जन्म के बाद हुए हर संस्कार में पानी ही रहा हरदम मेरे साथ, जुड़वा की तरह।
नीर-क्षीर
Posted on 01 Apr, 2011 12:32 PM

पानी पुण्य है, पानी जीवन का पर्याय है। इसे कमाओ, इसे सहेजो, इसे संभालो, इसे माथे से लगाओ, अन्य

स्वस्ति
Posted on 01 Apr, 2011 12:30 PM

दो अक्षर का छोटा-सा शीर्षक ‘पानी’ और कोई 30-32 पन्नों की छोटी-सी पुस्तिका। लेकिन यह अपने में पूरा संसार समेट लेती है। पानी की तरलता और सरलता की तरह ही पंकज शुक्ला इन 30-32 पन्नों में बिल्कुल सहज ढंग से हमें पानी की गहरी से गहरी बातों में उतारते जाते हैं, उसमें डुबोते नहीं, तैराते ले जाते हैं। इसमें पानी का ज्ञान है, पानी का विज्ञान भी है। वे हमें बताते हैं कि किस तरह पानी दो छोर जोड़ सकता है तो

water
जल नीति में नीयत का सवाल
Posted on 31 Mar, 2011 10:32 AM

इंसान ने पेड़ भी काटे लेकिन कभी पौधे लगाए भी पर पानी लिया ही, कभी प्रकृति को पानी लौटाया नहीं।

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