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खान नदीः नदी या नाला
Posted on 04 Feb, 2012 05:23 PM

फोटो साभार


डॉ. विजय पंडित
खान नदी अब नाले में बदल गई है
वर्ल्ड वेटलैंड डे 2 फरवरी तथा प्रकृति शिविर
Posted on 02 Feb, 2012 05:21 PM दिल्ली, 2 फरवरी 2012। ओखला पक्षी विहार में 430 बच्चों ने वर्ल्ड वेटलैंड डे और प्रकृति शिविर में हिस्सा लिया। इसमें दिल्ली और नोएडा के 7 स्कूलों ने भाग लिया। रेहान इंटरनेशनल, ए.एस.एन. मयूर विहार, एमऐपीजे नोएडा, एवरग्रीन स्कूल, शिक्षा शिशु केंद्र, डी.पी.एस नोएडा के बच्चों ने चार किस्म की कार्यशाला में शिरकत की।
ओखला बर्ड सेंचुरी में वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया गया
साफ पीने का पानी चंबल में बनेगा चुनावी मुद्दा
Posted on 01 Feb, 2012 01:02 PM

चंबल नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लोग चंबल का पानी पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पानी साफ है या नहीं अ

कपड़े धोने में निकलता है खतरनाक कचरा
Posted on 31 Jan, 2012 11:03 AM लंदन। एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि कप़ड़ा धोने से निकलने वाला प्लास्टिक का सूक्ष्म कचरा समुद्री तटों पर जमा होकर इंसान और कुदरत के लिए खतरा बनता जा रहा है। शोधकर्ताओं को इन सूक्ष्म प्लास्टिक के कणों का पता सिंथेटिक कप़ड़ों से चला है जो हर धुलाई में कम से कम 1900 सूक्ष्म रेशे पानी में छोड़ते हैं। इसके पहले के शोध में यह पाया गया था कि एक मिली मीटर से भी छोटे प्लास्टिक के रेशों को आमतौर पर जानव
संकट में समुद्र तट
Posted on 30 Jan, 2012 06:04 PM केरल का मशहूर कोवलम तट सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन बाजार के बढ़ते प्रभाव ने कोवलम की खूबसूरती को संकट में डाल दिया है। इस तट की खूबसूरती और खतरे की जानकारी दे रहे हैं अंबरीश कुमार।
चीन की नदी में मिला कैंसर कारक रसायन
Posted on 30 Jan, 2012 04:11 PM बीजिंग. हांगकांग और मकाऊ के आसपास जल स्रोतों में कैंसर कारक कैडमियम रसायन की काफी मात्रा मिलने से दक्षिणी चीन में चिंता व्याप्त है। औद्योगिक अपशिष्ट के कारण महत्वपूर्ण जल संसाधनों के प्रदूषण होने के बीच दक्षिणी गुआंग्क्सी झुआंग प्रांत की एक नदी में कैडमियम प्रदूषक की मात्रा प्रतिबंधित स्तर से दोगुनी पाई गई है।
रोशनी बुझी नहीं
Posted on 30 Jan, 2012 01:39 PM

ऐसा नहीं है कि उनकी आत्मानुभूतिमूलक ज्ञान-मीमांसा से जिस नई जीवन-पद्धति की समझ बनती है उसमें आ

जल साक्षरता सम्मेलन-2012
Posted on 19 Jan, 2012 03:19 PM

सिर्फ भाषणों से संभव नहीं जलसाक्षरता

jal saksharata yatra
एक पौधा और एक कुआं
Posted on 19 Jan, 2012 10:08 AM

बिहार के गांवों के भ्रमण के सिलसिले में नीतीश कुमार ने भागलपुर जिले के धरहरा गांव में यह पाया कि वहां जब भी किसी लड़की का जन्म होता है तो लोगो उसकी याद में फल देने वाला एक वृक्ष अवश्य लगाते हैं। वहां यह देखकर उनके मन में यह विचार आया कि क्यों नहीं पूरे बिहार में नए वृक्षों का जाल बिछा दिया जाए। नीतीश कुमार का यह प्रयास निश्चय ही सराहनीय है। परंतु आवश्यकता इस बात की है कि केवल वृक्ष ही नहीं लगाए जाएं उसके साथ चापाकल भी लगाए जाएं जैसा कि निर्मला देशपांडे का विचार था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निस्संदेह बिहार को एक स्वच्छ प्रशासन दिया है। इस दिशा में उन्होंने कई अभिनव प्रयोग किए हैं। माफिया सरगनाओं को जेल में डाल दिया है। लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल में जाने वाली हर लड़की को मुफ्त साइकिल दी है। लड़कियों के स्कूलों में शौचालय का प्रबंध किया है। पूरे बिहार में सड़कों का जाल बिछा दिया है। बिहार में तो उद्योगों का जाल भी बिछ जाता यदि वहां बिजली की उपलब्धता होती। कोयले की सारी खदान झारखंड के हिस्से में चली गईं। दुर्भाग्यवश इन खदानों से बिहार के बिजलीघरों को कोयला नहीं मिल रहा है। इसी कारण वहां पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। पीछे मुड़कर देखने से ऐसा लगता है कि बिहार का बंटवारा ही गलत था। राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए इस फूलते-फलते राज्य को दो भागों में बांट दिया और आज की तारीख में दोनों राज्य गरीबी के शिकार हैं। बात केवल कोयला खदानों और बिजलीघरों की ही नहीं है। बिहार के तीन-चौथाई जंगल झारखंड में रह गए। वहां भी ठेकेदार माफिया ने जंगलों का बुरी तरह दोहन किया है।
नदी मेलों के सामाजिक सरोकार
Posted on 17 Jan, 2012 04:46 PM

स्नान व कल्पवास लोगों को जुटाने के माध्यम थे। उन्हें चलन में लाने का यही माध्यम था। कालांतर मे

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