केरल का मशहूर कोवलम तट सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन बाजार के बढ़ते प्रभाव ने कोवलम की खूबसूरती को संकट में डाल दिया है। इस तट की खूबसूरती और खतरे की जानकारी दे रहे हैं अंबरीश कुमार।
यहाँ लहराता समुद्र है, नारियल के घने जंगल हैं तो हरे-भरे जंगलों के बीच बैक वाटर और खूबसूरत लैगून भी हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस समुद्र तट पर अब समुद्र की जगह कम होती जा रही है और होटल, रेस्तरां बढ़ते जा रहे हैं। विदेशी सैलानी इस तट पर सबसे ज्यादा नजर आएंगे क्योंकि यहीं पर सूरज की किरणों के बदलते कोणों के साथ ही पानी रंग बदलता नजर आता है। समुद्र तट पर आते ही बाई तरफ नारियल से घिरी पहाड़ियों पर पुराना लाइट हाउस है जिसकी रोशनी शाम ढलते ही घुमने लगती है। रात में अरब सागर की स्याह लहरों पर जब इस लाइट हाउस की रोशनी पड़ती है तो लगता है कोई जहाज दिशा पहचान कर इधर ही आ रहा है। शाम को सूर्यास्त का अद्भुत नजारा इन सुंदर तटों पर दिखता है। और शाम के बाद तट पर फैलता बाजार आबाद हो जाता है। अरब सागर की ओर खुले इन रिसार्ट, होटल और रेस्तरां में सीजन के समय शाम से ही सीटें भर जाती हैं जिनमे विदेशियों की भी बड़ी संख्या होती है। दिन में लाइन से लगी छतरियों के नीचे ये विदेशी बिकनी में धूप सेकते नजर आते हैं तो सत्तर-अस्सी दशक का गोवा का कलंगूट याद आ जाता है जो हिप्पियों के चलते इस कदर बदनाम हुआ कि वहां अपसंस्कृति से बचने के लिए नग्न होने पर रोक लगा दी गई और आज भी वहा इस तरह के बोर्ड नजर आते है।
कोवलम के समुद्र तटों पर भी कुछ हद तक विदेशियों का यह असर महसूस किया जा सकता है, जो विदेशों में तो आम है पर दक्षिण भारत के इस अंचल में लोगों को अटपटा लगता है। पर्यटन को केरल सरकार काफी बढ़ावा देती है, तो उसे इस दिशा में भी सोचना चाहिए ताकि परिवार के साथ जाने वालों को किसी अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े। बंगाल से आए उज्जवल चटर्जी ने कहा- पर्यटन विभाग को यह सोचना चाहिए कि यह जगह गोवा से कुछ अलग है यहां तीर्थ यात्रा वाले पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं, जो कन्याकुमारी जाते है ,पद्मनाभम स्वामी के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। जबकि गोवा का पर्यटक पूरी तरह मौज मस्ती के लिए जाता है इस वजह से इन समुद्र तटों पर लोग एक सीमा तक ही बेपर्दा हो यह जरूर ध्यान रखना चाहिए। दरअसल केरल के इन समुद्री तटों पर देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले ज्यादातर पर्यटक धार्मिक रुझान वाले होते हैं क्योंकि वे मदुरै, रामेश्वरम, सबरीमाला, कन्याकुमारी जैसी जगहों से यहाँ पहुँचते हैं, जो तिरुअनंतपुरम से तीन चार सौ किलोमीटर के दायरे में है। इन पर्यटकों में उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश, बंगाल और गुजरात के ज्यादातर पर्यटक होते हैं। कन्याकुमारी में विवेकानंद की वजह से बंगाली पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और कन्याकुमारी के बाद उन्हें सबसे करीब लगभग अस्सी किलोमीटर पर तिरुअनंतपुरम आना ज्यादा सुविधाजनक लगता है।
इस शहर का इतिहास भी काफी रोचक है। अनंतवरम तिरुअनंतपुरम का प्राचीन पौराणिक नाम है जिसका उल्लेख ब्रह्मांडपुराण और महाभारत में मिलता है। 18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब इसे अपनी राजधानी बनाया तभी से तिरुअनंतपुरम का महत्त्व बढ़ा। यहाँ के लोगों के मुताबिक 1994-95 के दौरान भारी मात्रा में स्वर्ण आयात होने के कारण तिरुअनंतपुरम 'स्वर्णिम द्वार' कहा गया है। इस शहर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास 1000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर की वजह से यहाँ भारी संख्या में तीर्थ यात्री पहुँचते हैं। इसके बाद कुछ अन्य पर्यटन स्थलों को छोड़कर ज्यादातर सैलानी कोवलम समुद्र तट का रुख करते हैं जो शहर से सोलह किलोमीटर की दूरी पर है। उससे पहले करीब आठ किलोमीटर पर शंखमुघम समुद्र तट पड़ता है जहाँ सैलानी इकठ्ठा होते है पर यहां अरब सागर की सीधी लहरें काफी खतरनाक नजर आती है और यह समुद्र तट नहाने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। इसलिए सैलानियों को कोवलम का समुद्र तट ज्यादा भाता है।
कोवलम के रास्ते में परशुराम का मंदिर पड़ता है जो काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि परशुराम के फरसे की वजह से ही केरल बना जो उन्होंने एक बार क्रोधित होकर फेंका था और समुद्र पीछे हट गया तभी केरल का आकार फरसे की तरह माना जाता है। पर यह सब धार्मिक किवदंतियां हैं। इस मंदिर के कुछ ही आगे बढ़ने पर नारियल के पेड़ों से घिरे बैक वाटर का भी नजारा दिख जाता है। बैक वाटर में नाव से घुमाने वाले बहुत से निजी आपरेटर हैं जो सौ रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से घंटे भर सैर कराते हैं। इस सैर में प्राकृतिक दृश्य देखते बनता है। हरियाली ऐसी की आंखे बंद होने का नाम न ले। नारियल के घने जंगलों में सुपारी के लंबे दरख्त और बीच बीच में केलों के बगीचे का हरापन काफी लुभाता है। शाम से कुछ पहले कोवलम के लाइट हाउस बीच पर पहुंचे तो दहकता हुआ सूरज नीचे आने की तैयारी कर रहा था। इस समुद्र तट पर पहले जो भी रेस्तरां झोपड़ी के रूप में थे वे अब पक्के निर्माण में बदल चुके है।
केरल सरकार के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न देने की शर्त पर कहा- कोवलम के लाइट हाउस समुद्र तट पर जो पैदल पक्का रास्ता बनवाया गया है उसके चलते अतिक्रमण रुक गया है क्योंकि कोई भी इस रास्ते को पार कर समुद्र तट पर नहीं जा सकता वर्ना कई निर्माण तो लहरों के किनारे हो जाता। उन्होंने भी माना कि इस समुद्र तट पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण कुछ सालों में हुआ है जो तटीय नियम कायदों का सीधा उलंघन है। तमिलनाडु के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार ने कहा- तमिलनाडु के मुकाबले केरल में तटीय नियम कानून का जमकर उलंघन किया जा रहा है जिसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण कोवलम के समुद्र तट है जहाँ पचास मीटर की दूरी पर निर्माण मिल जाएगा। दूसरी तरफ तमिलनाडु में चाहे मैरिना बीच हो या कोई अन्य बीच सभी जगह पांच सौ मीटर तक किसी भी तरह का निर्माण न करने का नियम कड़ाई से लागू है। केरल में जो हो रहा है वह खतरनाक भी है सौ मीटर पर बने होटल और रिसार्ट खतरनाक है। कभी भी कोई सुनामी आई तो बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान हो सकता है।
कोवलम में रात होते ही तट पर माहौल रंगीन हो जाता है। तट से लगी हुई सड़क रोशनी में डूब जाती है तो समुद्र की तरफ खुले हुए रेस्तरां आबाद हो जाते हैं। हर रेस्तरां के सामने समुद्री जीवों का छोटा सा बाजार खुल जाता है जिसमें तरह तरह की मछलियाँ, झींगे, केकड़े, लोबस्टर आदि होते है जिन्हें देखकर सैलानी अपना आर्डर देते हैं। यह विदेशों में तो लोकप्रिय है ही अब देश में भी शुरू हो गया है। हर रेस्तरां में अंग्रेजी संगीत के साथ मदिरा का दौर शुरू हो जाता है जिसके चलते कई पर्यटक ग्लास लेकर समुद्री लहरों के सामने ही बैठ जाते हैं। नौजवानों का समूह ऐसे में रेत पर ही अपनी महफिल सजा लेता है। कोवलम के इस तट पर काफी देर तक सैलानी जमे रहते हैं।
कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस समुद्र तट पर अब समुद्र की जगह कम होती जा रही है और होटल, रेस्तरां बढ़ते जा रहे हैं। तमिलनाडु के मुकाबले केरल में तटीय नियम कानून का जमकर उलंघन किया जा रहा है जिसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण कोवलम के समुद्र तट है जहाँ पचास मीटर की दूरी पर निर्माण मिल जाएगा। दूसरी तरफ तमिलनाडु में चाहे मैरिना बीच हो या कोई अन्य बीच सभी जगह पांच सौ मीटर तक किसी भी तरह का निर्माण न करने का नियम कड़ाई से लागू है।
देवताओं के अपने देश यानी केरल का समूचे विश्व में मशहूर कोवलम समुद्र तट खतरे में है। गोवा समेत यह देश के सबसे खूबसूरत समुद्र तटों में से एक है जहां पर साल भर सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है। जैसा सभी समुद्र तटों का इतिहास है यह भी मछुवारों का गांव रहा जो अब आलिशान रिसार्ट, होटलों और रेस्तराओं की भीड़ में में बदल चुका है। बाजार इस समुद्र तट को लील रहा है। प्रकृत के इस अनोखे समुद्र तट पर अब समुद्र की हदबंदी कर दी गई। बगल के राज्य तमिलनाडु में समुद्र तट के नियम कायदे काफी कड़े है और कोई भी निर्माण पांच सौ मीटर के भीतर नहीं हो सकता जिसका उदाहरण चेन्नई के मैरिना समुद्र तट से लेकर महाबलीपुरम तक में देखा जा सकता है। पर केरल की ताकतवर होटल लाबी ने अपने राज्य में इन नियम कायदों को ताक पर रखकर निर्माण कर डाला है। केरल के पर्यटन विभाग का नारा है देवताओं का अपना देश। पर देवताओं के इस देश में सबसे मशहूर समुद्र तट का समुद्री पर्यावरण संकट में है और इसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में कई समुद्री तट हैं जिनमें से एक कोवलम तट हैं। रेतीले तटों पर लहराते नारियल के पेड़ों को देखकर ऐसा लगता है मनो आप कोई पिक्चर पोस्ट कार्ड देख रहे हों।यहाँ लहराता समुद्र है, नारियल के घने जंगल हैं तो हरे-भरे जंगलों के बीच बैक वाटर और खूबसूरत लैगून भी हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस समुद्र तट पर अब समुद्र की जगह कम होती जा रही है और होटल, रेस्तरां बढ़ते जा रहे हैं। विदेशी सैलानी इस तट पर सबसे ज्यादा नजर आएंगे क्योंकि यहीं पर सूरज की किरणों के बदलते कोणों के साथ ही पानी रंग बदलता नजर आता है। समुद्र तट पर आते ही बाई तरफ नारियल से घिरी पहाड़ियों पर पुराना लाइट हाउस है जिसकी रोशनी शाम ढलते ही घुमने लगती है। रात में अरब सागर की स्याह लहरों पर जब इस लाइट हाउस की रोशनी पड़ती है तो लगता है कोई जहाज दिशा पहचान कर इधर ही आ रहा है। शाम को सूर्यास्त का अद्भुत नजारा इन सुंदर तटों पर दिखता है। और शाम के बाद तट पर फैलता बाजार आबाद हो जाता है। अरब सागर की ओर खुले इन रिसार्ट, होटल और रेस्तरां में सीजन के समय शाम से ही सीटें भर जाती हैं जिनमे विदेशियों की भी बड़ी संख्या होती है। दिन में लाइन से लगी छतरियों के नीचे ये विदेशी बिकनी में धूप सेकते नजर आते हैं तो सत्तर-अस्सी दशक का गोवा का कलंगूट याद आ जाता है जो हिप्पियों के चलते इस कदर बदनाम हुआ कि वहां अपसंस्कृति से बचने के लिए नग्न होने पर रोक लगा दी गई और आज भी वहा इस तरह के बोर्ड नजर आते है।
कोवलम के समुद्र तटों पर भी कुछ हद तक विदेशियों का यह असर महसूस किया जा सकता है, जो विदेशों में तो आम है पर दक्षिण भारत के इस अंचल में लोगों को अटपटा लगता है। पर्यटन को केरल सरकार काफी बढ़ावा देती है, तो उसे इस दिशा में भी सोचना चाहिए ताकि परिवार के साथ जाने वालों को किसी अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े। बंगाल से आए उज्जवल चटर्जी ने कहा- पर्यटन विभाग को यह सोचना चाहिए कि यह जगह गोवा से कुछ अलग है यहां तीर्थ यात्रा वाले पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं, जो कन्याकुमारी जाते है ,पद्मनाभम स्वामी के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। जबकि गोवा का पर्यटक पूरी तरह मौज मस्ती के लिए जाता है इस वजह से इन समुद्र तटों पर लोग एक सीमा तक ही बेपर्दा हो यह जरूर ध्यान रखना चाहिए। दरअसल केरल के इन समुद्री तटों पर देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले ज्यादातर पर्यटक धार्मिक रुझान वाले होते हैं क्योंकि वे मदुरै, रामेश्वरम, सबरीमाला, कन्याकुमारी जैसी जगहों से यहाँ पहुँचते हैं, जो तिरुअनंतपुरम से तीन चार सौ किलोमीटर के दायरे में है। इन पर्यटकों में उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश, बंगाल और गुजरात के ज्यादातर पर्यटक होते हैं। कन्याकुमारी में विवेकानंद की वजह से बंगाली पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और कन्याकुमारी के बाद उन्हें सबसे करीब लगभग अस्सी किलोमीटर पर तिरुअनंतपुरम आना ज्यादा सुविधाजनक लगता है।
इस शहर का इतिहास भी काफी रोचक है। अनंतवरम तिरुअनंतपुरम का प्राचीन पौराणिक नाम है जिसका उल्लेख ब्रह्मांडपुराण और महाभारत में मिलता है। 18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब इसे अपनी राजधानी बनाया तभी से तिरुअनंतपुरम का महत्त्व बढ़ा। यहाँ के लोगों के मुताबिक 1994-95 के दौरान भारी मात्रा में स्वर्ण आयात होने के कारण तिरुअनंतपुरम 'स्वर्णिम द्वार' कहा गया है। इस शहर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास 1000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर की वजह से यहाँ भारी संख्या में तीर्थ यात्री पहुँचते हैं। इसके बाद कुछ अन्य पर्यटन स्थलों को छोड़कर ज्यादातर सैलानी कोवलम समुद्र तट का रुख करते हैं जो शहर से सोलह किलोमीटर की दूरी पर है। उससे पहले करीब आठ किलोमीटर पर शंखमुघम समुद्र तट पड़ता है जहाँ सैलानी इकठ्ठा होते है पर यहां अरब सागर की सीधी लहरें काफी खतरनाक नजर आती है और यह समुद्र तट नहाने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। इसलिए सैलानियों को कोवलम का समुद्र तट ज्यादा भाता है।
कोवलम के रास्ते में परशुराम का मंदिर पड़ता है जो काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि परशुराम के फरसे की वजह से ही केरल बना जो उन्होंने एक बार क्रोधित होकर फेंका था और समुद्र पीछे हट गया तभी केरल का आकार फरसे की तरह माना जाता है। पर यह सब धार्मिक किवदंतियां हैं। इस मंदिर के कुछ ही आगे बढ़ने पर नारियल के पेड़ों से घिरे बैक वाटर का भी नजारा दिख जाता है। बैक वाटर में नाव से घुमाने वाले बहुत से निजी आपरेटर हैं जो सौ रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से घंटे भर सैर कराते हैं। इस सैर में प्राकृतिक दृश्य देखते बनता है। हरियाली ऐसी की आंखे बंद होने का नाम न ले। नारियल के घने जंगलों में सुपारी के लंबे दरख्त और बीच बीच में केलों के बगीचे का हरापन काफी लुभाता है। शाम से कुछ पहले कोवलम के लाइट हाउस बीच पर पहुंचे तो दहकता हुआ सूरज नीचे आने की तैयारी कर रहा था। इस समुद्र तट पर पहले जो भी रेस्तरां झोपड़ी के रूप में थे वे अब पक्के निर्माण में बदल चुके है।
केरल सरकार के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न देने की शर्त पर कहा- कोवलम के लाइट हाउस समुद्र तट पर जो पैदल पक्का रास्ता बनवाया गया है उसके चलते अतिक्रमण रुक गया है क्योंकि कोई भी इस रास्ते को पार कर समुद्र तट पर नहीं जा सकता वर्ना कई निर्माण तो लहरों के किनारे हो जाता। उन्होंने भी माना कि इस समुद्र तट पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण कुछ सालों में हुआ है जो तटीय नियम कायदों का सीधा उलंघन है। तमिलनाडु के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार ने कहा- तमिलनाडु के मुकाबले केरल में तटीय नियम कानून का जमकर उलंघन किया जा रहा है जिसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण कोवलम के समुद्र तट है जहाँ पचास मीटर की दूरी पर निर्माण मिल जाएगा। दूसरी तरफ तमिलनाडु में चाहे मैरिना बीच हो या कोई अन्य बीच सभी जगह पांच सौ मीटर तक किसी भी तरह का निर्माण न करने का नियम कड़ाई से लागू है। केरल में जो हो रहा है वह खतरनाक भी है सौ मीटर पर बने होटल और रिसार्ट खतरनाक है। कभी भी कोई सुनामी आई तो बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान हो सकता है।
कोवलम में रात होते ही तट पर माहौल रंगीन हो जाता है। तट से लगी हुई सड़क रोशनी में डूब जाती है तो समुद्र की तरफ खुले हुए रेस्तरां आबाद हो जाते हैं। हर रेस्तरां के सामने समुद्री जीवों का छोटा सा बाजार खुल जाता है जिसमें तरह तरह की मछलियाँ, झींगे, केकड़े, लोबस्टर आदि होते है जिन्हें देखकर सैलानी अपना आर्डर देते हैं। यह विदेशों में तो लोकप्रिय है ही अब देश में भी शुरू हो गया है। हर रेस्तरां में अंग्रेजी संगीत के साथ मदिरा का दौर शुरू हो जाता है जिसके चलते कई पर्यटक ग्लास लेकर समुद्री लहरों के सामने ही बैठ जाते हैं। नौजवानों का समूह ऐसे में रेत पर ही अपनी महफिल सजा लेता है। कोवलम के इस तट पर काफी देर तक सैलानी जमे रहते हैं।
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