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वाराणसी जिला
गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट
Posted on 18 Oct, 2023 11:44 AMदुनिया भर में संस्कृतियों का विकास नदियों के किनारे हुआ। इन संस्कृतियों पर प्रहार एवं नदियों का प्रदूषण एक साथ हुआ। औद्योगिक सभ्यता का विकास एवं उस विकास का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर, ये दोनों नदियों के प्रदूषण का कारण बने। वस्तुत: नदी ही नहीं, भूमंडल पर सभी तरह के प्रदूषणों एवं इकाेलॉजी को जो खतरा है, उसका कारण वर्तमान औद्योगिक विकास है। इसीलिए कहा जाता है कि नदियों को शुद्ध करने की जरूरत नही
![गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/RIVER%20GANGA.jpeg?itok=fojSUsyH)
कुंभ के बाद गंगा फिर से हुई मैली
Posted on 03 Jun, 2019 05:07 PM
गंगा मां है, जीवनदायिनी, मोक्षप्रदायिनी, पापनाशिनी है। इसकी निर्मलता को लेकर सरकार भी सतर्क है। हाल ही में जलशक्ति मंत्रालय का भी गठन किया गया है। बीते दिनों कुंभों के लिए 4 साल और 40,000 करोड़ का बजट खर्च होने के बाद गंगा निर्मल हुई थी, लेकिन अब यह आंचल फिर मैला होने लगा है। कुछ शहरों के नाले की पूरी पड़ताल की गई है।
![गंदगी की मार झेल रही पतितपावनी गंगा।](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/ganga%20polluted_3.jpg?itok=t8QrTd73)
कब तक सहेंगे हम मां गंगा की अनदेखी?
Posted on 13 Mar, 2012 04:16 PMस्वामी ज्ञानस्वरूप के जल त्याग को व्यापक समर्थन की अपील
वाराणसी के कबीरचौरा तपस्या स्थली (अस्पताल) में स्वामी ज्ञानस्वरूप से मिलने पहुंचे काशी के प्रमुख जनमित्रों! क्या किसी की मृत्यु पर शोक जताने की रस्म अदायगी मात्र से हमारा दायित्व पूरा हो जाता है? गंगा के लिए प्राण देने वाले युवा संत स्व. स्वामी निगमानंद उनके बलिदान पर शोक जताने वालों की बाढ़ सी आ गई थी। समाचार पत्रों ने संपादकीय लिखे। चैनलों ने विशेष रिपोर्ट दिखाई। स्वयंसेवी जगत ने भी बाद में बहुत हाय-तौबा मचाई। गंगा एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण के विरोध में रायबरेली और प्रतापगढ़ में मौतें हुईं।
![swami gyanswaroop sanand](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/swami%20gyanswaroop%20sanand_4.jpg?itok=7W7zUNRB)
खत्म हो रही वरूणा
Posted on 06 Jan, 2011 01:27 PMविश्व की सांस्कृतिक राजधानी प्राच्य नगरी वाराणसी को पहचान देने वाली वरूणा नदी तेजी से समाप्त हो रही है। कभी वाराणसी व आसपास के जनपदों की जीवनरेखा व आस्था की केन्द्र रही वरूणा आज स्वयं मृत्यु गामिनी होकर अस्तित्वहीन हो गयी है।
बनारस का रस खत्म हो रहा
Posted on 06 Jan, 2011 12:34 PMसूखा और बड़े पैमाने पर जल दोहन से जिले में स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि कई इलाकों में एक साल में जलस्रोत 4 से 6 मीटर खिसक गया है। सर्वेक्षकों के मुताबिक वाटर रीचार्जिंग के लिए अभियान नहीं चलाया गया तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन शहरी इलाकों में चिंताजनक हो गई है।
फ्लोराइड से घिरी वरुणा
Posted on 06 Jan, 2011 12:09 PM
वरुणा के जल में प्रदूषण की बात तो आम है लेकिन अब इसके दोनों किनारों पर भूजल में फ्लोराइड का भी आक्रमण हो चुका है। यह इस क्षेत्र में रहने वालों के लिए खतरे की घंटी है। काशी हिंदूविश्वविद्यालय के एक शोध में फ्लोराइड की मौजूदगी के सबूत मिले हैं
गंगा के लिए सविनय अवज्ञा की मुहिम
Posted on 15 Jul, 2010 09:09 AMगंगा नदी का बिना सोचे समझे अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। कई बिजली परियोजनाएं गंगा की अविरलता को पवित्राता को ताक पर रखकर चलाई जा रही हैं। गंगा के विरुध्द चल रही समस्त गतिविधियों को रोकने के लिए देश भर में प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी के तहत गंगा के मौलिक रूप की मांग को लेकर ‘गंगा रक्षा आंदोलन’ ने दिनांक 20 जून, 2010 को सायं 5 बजे वाराणसी के अस्सी घाट पर ‘सविनय अवज्ञा’ की मुहिम चलाने का निर्णय लसफाईः विज्ञान और कला
Posted on 15 May, 2010 06:09 PM‘मल-मूत्र सफाई’ नाम से श्री बल्लभस्वामी की एक पुस्तक 1949 में प्रकाशित हुई थी। श्री धीरेन्द्र मजूमदार की किताब ‘सफाई-विज्ञान’, श्री कृष्णदास शाह के अनुभव और ‘मल-मूत्र सफाई’ तीनों का इस्तेमाल करके श्री बल्लभस्वामी ने ‘सफाईः विज्ञान और कला’ नाम से यह किताब लिखी जो 1957 में प्रकाशित हुई। भंगी-मुक्ति के गांधीजी के सेनानी श्री अप्पासाहब पटवर्धन के लेखन का भी उपयोग इस किताब में है।
बनारस का रस खत्म हो रहा
Posted on 22 Feb, 2010 12:27 PMसूखा और बड़े पैमाने पर जल दोहन से जिले में स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि कई इलाकों में एक साल में जलस्नोत 4 से 6 मीटर खिसक गया है। सर्वेक्षकों के मुताबिक वाटर रीचार्जिंग के लिए अभियान नहीं चलाया गया तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन शहरी इलाकों में चिंताजनक हो गई है।