Posted on 05 Aug, 2014 10:16 AMआपदाएं केवल जलवायु परिवर्तन ही नहीं बल्कि मानवकृत विकास से उत्पन्न त्रासदी के रूप में भी सामने आ रही है यह पुणे के मलिण गांव और उत्तराखंड के जखन्याली नौताड़ की घटना से सीखना चाहिए-
Posted on 04 Aug, 2014 11:07 AMपिछले साल उत्तराखंड की केदार घाटी में आई बाढ़, फैलिन और तूफान ने देश में आपदा प्रबंधन की हमारी तैयारियों की पोल पट्टी खोलकर रख दी थी। केदारघाटी की घटना को लगभग एक साल हो चुका है और आधी-अधूरी तैयारियों के बीच उत्तराखंड सरकार प्रदेश में चार धाम यात्रा की तैयारियों में जुटी हुई है। वहीं फैलिन और पायलिन की तबाही का सबक भी हमें याद नहीं है। फैलिन तूफान के समय पूर
Posted on 01 Aug, 2014 11:02 AMपंजनहेड़ी/ कटारपुर (हरिद्वार) गंगा तट के किनारों के आसपास पोपुलर के पेड़ों के खेतों के बीच बसे इन गांवों में खनन अब स्थायी हो गया है। पंजनहेड़ी के साधुराम कहते हैं, खनन हो कहां नहीं रहा है। सारे गांवों में हो रहा है और नियमित हो रहा है और हम लाठी-गोली के साए में जीते हैं।
इन गांवों में आने वाले हर आदमी को शक की नजरों से देखा जाता है। छोटे-छोटे बच्चे बार-बार की कोशिश के बाद ही मुंह खोलते हैं। उन्हें समझाया गया है कि वे बाहरी लोगों से कोई बात नहीं करें।
कटारपुर गांव के अक्षय मक्की के खेत में पानी देने में व्यस्त हैं, खनन कितने बजे होता है, सर रात 8 से सुबह आठ तक। इतना बोलकर फिर खेत में चले जाते हैं। गांव के बाहर गंगा तट से तकरीबन 30 मीटर दूर स्थित शिव मंदिर में बाबा बृहस्पत पिछले 10 सालों से टिके हैं।