उत्तराखंड

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हिमालय की चिन्ता करें
Posted on 25 Apr, 2015 12:26 PM जितना हम हिमालय से छेड़छाड़ करेंगे, उतना और अधिक नुकसान ही होगा। प्
‘भूगर्भ जल प्रबन्धन’ पर ट्रेनिंग कार्यक्रम
Posted on 19 Mar, 2015 04:19 PM

तारीख : 09-23 जून 2015
स्थान : देहरादून


पहाड़ी इलाकों में झरने न केवल पानी के लिये बल्कि जीविका का भी महत्वपूर्ण साधन हैं। झरने (स्प्रिंग) पहाड़ पर पेयजल के संकट को तो कम करते ही हैं, कृषि जल-प्रबन्धन में भी सहायक हैं। हिमालय के पूरे इलाके में झरनों की संख्या हजारों में है। हाँ! इनके अलग-अलग इलाकों में नाम अलग-अलग हैं। कहीं नौले तो कहीं धारे कहा जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से ये झरने सूखते जा रहे हैं। चूँकि झरने पहाड़ी लोगों की धरोहर हैं इसलिए इनको सूखने से बचाने में, सूखे झरनों के जीवित करने में कई लोग काफी समय से लगे हुए हैं। और कुछ झरनों को पुनर्जीवित करने में सफलता भी हासिल की गई है।

सिक्किम में सरकार की सहायता से पीएसआई झरनों को पुनर्जीवित करने के कार्य में लगी हुई है। थानाकासोगा पंचायत क्षेत्र में पीएसआई, अर्घ्यम की सहायता द्वारा 2010 से कार्यरत है।

groundwater management
दिशाहीनता का खामियाजा
Posted on 11 Jan, 2015 05:00 PM सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र ने माना कि पिछले साल केदारघाटी में आई भा
अलग राज्य बन जाने के बाद भी उत्तराखण्ड जस-का-तस
Posted on 11 Jan, 2015 10:32 AM उत्तराखण्ड का विकास एक लम्बी बाधा दौड़ बना हुआ है। हाल ही में उत्तरकाशी में इको सेंसटिव जोन के विरोध प्रदर्शन ने सरकार पर दबाव बढ़ाया है। सरकार इस विरोध को प्रायोजित बता रही है।
समाज व सरकार मिलकर करेंगे प्राकृतिक संसाधनों का विकास
Posted on 05 Jan, 2015 01:03 PM

गंगोत्री पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र


केदारनाथ आपदा के बाद गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर केन्द्र की नजर
Posted on 05 Jan, 2015 12:39 PM उत्तराखण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैण्ड, त्र
जड़धार एक आदर्श गाँव है
Posted on 16 Dec, 2014 04:00 PM

जड़धार में जंगल बचाने, पानी-मिट्टी का संरक्षण, परम्परागत खेती और देशी बीज बचाने का अनूठा काम हु

village
ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की विधियाँ
Posted on 16 Dec, 2014 09:50 AM बढ़ती जनसंख्या ने कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है जिनमें एक प्रमुख समस्या जल प्राप्ति की भी है। वर्तमान समय में जल प्राप्ति की समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष में ही नहीं वरन् सम्पूर्ण विश्व में है और वह दिन दूर नहीं जब जल के लिये ही विश्व युद्ध छिड़ जाए। अतः आवश्यकता है क्षेत्र विशेष की भौगोलिक, जलवायुगत् तथा वहाँ प्राप्त होने वाले जल संसाधनों की प्राप्ति के अनुसार जल के संरक्षण एवं प्रबन्धन क
बेदखल लोग
Posted on 26 Nov, 2014 01:52 PM

1992 में राजाजी पार्क के अधिकारियों ने हिमालय के ऊपरी हिस्सों के उनके ग्रीष्मकालीन प्रवास से वा

हेंवलघाटी में बीज बचाने में जुटी हैं महिलाएं
Posted on 18 Nov, 2014 03:31 PM उत्तराखंड की हेंवलघाटी का एक गांव है पटुड़ी। यहां के सार्वजनिक भवन में गांव की महिलाएं एक दरी पर बैठी हुई हैं। वे अपने साथ एक-एक मुट्ठी राजमा के देशी बीज लेकर आई हैं। इनकी छटा ही आकर्षित थी। रंग-बिरंगे देशी बीज देखने में सुंदर ही नहीं, बल्कि स्वाद में भी बेजोड़ हैं, पोषक तत्वों से भरपूर हैं।

बीज बचाओ आंदोलन की बैठक गत् 6 नवंबर को पटुड़ी में आयोजित की गई थी। मुझे इस बैठक में बीज बचाओ आंदोलन के सूत्रधार विजय जड़धारी के साथ जाने का मौका मिला। बीज बचाओ आंदोलन के पास राजमा की ही 220 प्रजातियां हैं। इसके अलावा, मंडुआ, झंगोरा, धान, गेहूं, ज्वार, नौरंगी, गहथ, जौ, मसूर की कई प्रजातियां हैं।
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