उत्तराखंड

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जल संस्कृति बनाम भौतिकवादी संस्कृति
Posted on 02 Jan, 2017 04:24 PM


आज की भौतिकवादी सभ्यता ‘पानी’ को व्यावसायिक दृष्टि से आँकने लगी है। इस परिस्थिति में जल संस्कृति को जीवित रखना बहुत कठिन कार्य होता जा रहा है। एक तरफ लोग पानी से व्यवसाय कमाना चाह रहे हैं। दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि जल एक प्रकृति प्रदत्त पदार्थ है।

गंगनानी धारा
भीमताल के सौंदर्य पर कंक्रीट के जंगलों का ग्रहण
Posted on 22 Dec, 2016 12:31 PM
भीमताल/भवाली। उत्तराखण्ड के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आर्थिक विकास में जनपद नैनीताल के भीमताल क्षेत्र का महत्त्व बड़ा ही अद्वितीय रहा है। महाबली भीमसेन की यह नगरी सनातन काल से श्रद्धा व आस्था का पावन संगम रही है। नागवंशियों में महाप्रतापी नाग करकोटक नाग की तपोभूमि भीमताल का पुरातन स्वरूप आधुनिकता की आपाधापी में गुम होती जा रही है। अनुपम सुषमा को धारण किए भीमताल के सौंदर्य को भी दिन प्
अब आस्था के साथ आकर्षण का केंद्र बनेगी गंगा
Posted on 17 Dec, 2016 11:48 AM
केंद्रीय जल संसाधन विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती जब गंगा दशहरा के मौके पर हरिद्वार के ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन’ पहुँचीं तो उन्होंने गंगा समेत देश की दूसरी बड़ी नदियों को लेकर योजनाओं का खाका 90 दिनों के भीतर खींचने का ऐलान कर दिया। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि तीन साल पहले इसी ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन से गंगा की अविरलता को लेकर अनशन किया था
उत्तराखण्ड में कम हुई प्रवासी पक्षियों की संख्या
Posted on 08 Dec, 2016 04:18 PM
हल्द्वानी। हिमालय की वादियों में हजारों-लाखों किलोमीटर दूर से अस्थाई प्रवास के लिये उत्तराखण्ड के सुरम्य क्षेत्रों में आने वाले मेहमान पक्षी सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं। इन निरीह प्राणियों का चोरी-छिपे शिकार किया जा रहा है। आजकल उत्तराखण्ड की हसीन वादियों व जलाशयों में इन मेहमानों ने अपने कलरव से चार चाँद लगाए हैं, फिर भी अत्यधिक संख्या में ये पक्षी यहाँ मौजूद हैं। विगत वर्षों की अपेक्षा इस
हिमालय में नौले-धारे लौटा सकते हैं जीवन और उसका दर्शन
Posted on 21 Nov, 2016 12:14 PM
मध्य हिमालय अर्थात उत्तराखण्ड भू-भाग भौगोलिक विषमता और आर्थिक दुर्बलता की उपस्थिति में भी सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के साथ-साथ राजनीतिक जागरुकता के मामले में सम्पन्न रहा है। अपने भीतर अनेक संस्कृतियों और समाजों को समेटे गढ़वाल और कुमाऊँ का यह भू-भाग ऐसा है जहाँ वर्ष भर कौथिग-मेले और त्योहार आयोजित होते रहते हैं- कुछ धार्मिक तो कुछ सांस्कृतिक और जल अनेक मेलों-त्योहारों के साथ किसी-न-किसी रूप
इन नौले-धारों की देखभाल करने वाला कोई नहीं
ग्लोबल वार्मिंग - मानव और वन्य जीवों में बढ़ता संघर्ष
Posted on 20 Nov, 2016 11:41 AM
बताया जा रहा है कि अधिकांश जंगली जानवर पानी की तलाश में बसासत की ओर रुख कर रहे हैं। पेयजल आपूर्ति ना होने पर वे आक्रामक हो रहे हैं। जिस कारण वन्य जीव व मानव में संघर्ष बढ़ रहा है।
global warming
माईक्रो क्लाइमेटचेंज तो बना नहीं और हिमयुग की सम्भावना जता दी
Posted on 18 Nov, 2016 02:51 PM

जिस ग्लेशियर के आस-पास जोर से आवाज लगाना भी प्रतिबन्धित है उसी ग्लेशियर पास में ऐसे नव-नि

Prem Pancholi
जल व वन संरक्षण की कहानी अधूरी, मगर ठिकाने लगता करोड़ों का बजट
Posted on 05 Nov, 2016 12:42 PM


उत्तराखण्ड हिमालय को ‘वन सम्पदा’ के लिये समृद्ध राज्य कहते हैं। होगा भी क्यों नहीं, यहाँ से गंगा और यमुना, काली और गोरी जैसी सदानीरा नदियों का उद्गम स्थल जो है। इन्हें तरोताजा करने के लिये यहाँ की ‘वन सम्पदा’ ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जी हाँ! जहाँ वन है वहीं प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता भी होती है।

उत्तराखण्ड का जंगल
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