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उत्तराखंड
प्रदूषण फैला रही कंपनियों पर क्यों नहीं लगाया ताला
Posted on 26 Apr, 2019 04:12 PMहाई कोर्ट ने प्रदूषण फैला रही फैक्टियों को बंद करने का नोटिस थमाने के बाद भी बंद नहीं होने पर सख्त नाराजगी जताई है, साथ ही सरकार को सोमवार तक शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(पीसीबी) के अधिवक्ता ने औद्योगिक इकाइयों की सूची पेश की। साथ ही कहा कि प्रदूषण फैला रही फैक्टियों को नोटिस जारी किए गए थे मगर पुलिस, प्रशासन व ऊर्जा निगम का सहयोग नहीं मिलने की वज
पिथौरागढ़ के मालदार
Posted on 30 Mar, 2019 04:55 PMपिथौरागढ़ शहर को पूरे जुनून के साथ जिन्होंने प्यार किया ऐसे पुराने लोग कौन थे, यह पूछने पर मोष्टमानु के हर सिंह विष्ट कहते हैं- एक बार मोष्टमानु के जाने माने अध्यापक हैदर मास्टर के पिता कादर बख्श ने इसी तरह के सवाल का जवाब दिया कि जिनकी चमक से ये पिथौरागढ़ रोशन हुआ, उनमें एक थीं मिस मैरी रीड। चण्डाक में उनकी उपेक्षित कब्र के पास आने पर शान्ति का एहसास होता है। मैनेजर उस समय डाली मार्च थीं। दूरसे थसोर से समन्दर तक
Posted on 30 Mar, 2019 04:44 PMपिथौरागढ़ में लॉरी बेकर (2 मार्च 1917-1 अप्रैल 2007) को करीब से जानने-पहचानने वाली पीढ़ी के लोग अब गिन-चुने रह गए हैं। जो बेकर को जानते रहे उनकी सुखद स्मृतियों में वे जीवंत हैं। बेकर का जिक्र जब तक उन तमाम वांशिदों के बीच होता रहता है जो इस नगर के बेलगाम-बेतरतीब फैलाव व अनियोजित शहरीकरण को लेकर चितिन्त हैं। शहर की बुनियादी सुविधाओं के बदतर होते हालातों से त्रस्त हैं!
युगदृष्टा जोहारी
Posted on 30 Mar, 2019 01:20 PMबाबू रामसिंह पांगती जोहार की उन महान विभूतियों में से एक थे जिन्होंने इस क्षेत्र के तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों और डगमगाती अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया था। उनका जन्म जोहार के उस सम्पन्न परिवार में हुआ था। जिसका व्यापार सीधे पश्चिमी तिब्बत के सरकारी व्यापारी ज्युङ छुङ के साथ होता था। इन्होंने कुछ वर्ष पूर्व मुम्बई, कानपुर, दिल्ली और अमृतसर से कपड़ा, म
सृजन एवं साधना
Posted on 30 Mar, 2019 01:12 PMपचास के दशक में सोर-पिथौरागढ़, एक छोटी पर आकर्षक बसासत थी। सैंणी (समतल) सोर में लहर काते हरियल खेतों का फैलाव, मध्य में बाजार व रिहायसी इलाके में चण्डाक की ओर जाती सड़क के किनारे ऊँचे होते देवदारु के वृक्ष, लकड़ी के लैम्प पोस्ट और बेगनबोलिया, चमेली व रातरानी की लताओं से घिरी चहरदीवारी के बीच झांकती ब्रिटिशकालीन (लायक साहब की) कोठी तब अनायास ही ध्यान खींचती थी। वह 1954 की शरद ऋतु थी, नारायण स्वामीशिक्षक और कवि
Posted on 29 Mar, 2019 03:15 PMकुमाऊँनी भाषा के अनन्य सेवक, कवि, शिक्षक और मनीषी बचीराम श्रीकृष्ण पंत (जुलाई 1889-18 अक्टूबर 1958 ई.) वर्तमान पिथौरागढ़ जिले के भटगाँव (बेरीनाग) में पैदा हुए थे। उनका जन्म नाम तो श्रीकृष्ण था किन्तु वे बचीराम के नाम से ही जाने जाते थे। तीन भाइयों और दो बहनों में वे सबसे छोटे थे। अपना परिचय उन्होंने अपनी प्रकाशित रचना महिला धर्म प्रकाश में इस तरह दिया है।