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उत्तर प्रदेश
राप्ती की सफाई को निकले अफसर और जनप्रतिनिधि
Posted on 19 Jan, 2010 08:09 AMगोरखपुर। शासन के निर्देश पर राप्ती नदी की सफाई के लिए नगर निगम के अफसर और पार्षदों ने जन जागरूकता रैली निकाल कर नदी की सफाई की। नगर आयुक्त वीके दुबे ने आम लोगों से अनुरोध किया कि नदी को साफ रखने में वे नगर निगम का सहयोग करें। एनसीसी कैडेट्स ने नदी की सफाई भी की।
आर्सेनिक युक्त पानी से हो रहा है कैंसर
Posted on 02 Jan, 2010 12:59 PMसहारनपुर। देश के कई भागों में आर्सेनिक युक्त जल पीने के कारण लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अनेक गांवों में भूजल में आर्सेनिक तत्व पाए जाने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है।नेचर फ़ाउण्डेशन का नववर्ष कैलेण्डर
Posted on 30 Dec, 2009 08:42 AMनेचर फ़ाउण्डेशन(इंडिया) एक गैर-सरकारी संस्था है, जो कि पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण जागृति के कार्यों में लगी है। इसके अलावा, यह संस्था प्रवासी मजदूरों और निर्माण क्षेत्र के कामगारों के बच्चों की शिक्षा में मदद करने का कार्य भी करती है, ताकि वे भी बड़े होकर भविष्य में इस समाज का मजबूत हिस्सा बन सकें। इसी सन्दर्भ में इन्होंने एक कार्यक्रम चलाया जिसे नाम दिया गया “ज्ञान किरण”, यह कार्यक्रम तीन केन्दफतेहपुर के ग्रामीण फ्लोराइड के शिकार
Posted on 18 Dec, 2009 06:59 PMबिपिन चन्द्र चतुर्वेदीउत्तर प्रदेश में इलाहाबाद और कानपुर के बीच बसे फतेहपुर जिले की जमीन खेती के दृष्टि से काफी उपजाऊ मानी जाती है। इस जिले का एक छोर गंगा के तट पर तो दूसरा छोर यमुना के तट पर है। दो नदियों के बीच बसे होने के कारण फतेहपुर जिले में भूजल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इसी क्षेत्र में धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है ‘भिटौरा विकासखंड’ जो कि ठीक गंगा के किनारे बसा हुआ है। पुराणों के अनुसार इस स्थान पर महर्षि भृगु ने लम्बे समय तक तप किया था। इसी कारण काफी समय तक इस गांव को ‘भृगु थौरा’ नाम से जाना जाता था, जो बाद में ‘भिटौरा’ हो गया। इस जगह गंगा की धारा उत्तरवाहिनी हो गई है,
मनुष्य के मुकाबले बाघ को ज्यादा तरजीह
Posted on 16 Dec, 2009 02:26 PMबिपिन चन्द्र चतुर्वेदीजीं हां, भारत की बहुचर्चित नदीजोड़ परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित केन बेतवा परियोजना के मामले में मनुष्यों के मुकाबले बाघ को ज्यादा तरजीह मिली है। ऐसा हमारे देश के केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री श्री जयराम रमेश कह रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने कहा है कि, ‘‘मुझे यह जानकर धक्का लगा कि अभी तक जिस एकमात्र नदीजोड़ परियोजना ‘केन-बेतवा’ पर काम आगे बढ़ा है, उसमें पन्न्ना बाघ अभयारण्य भी शामिल है।’’ इस नदीजोड़ परियोजना से पन्ना बाघ अभयारण्य का कम से कम 4500 हेक्टेयर क्षेत्र पानी में डूब जाने की आशंका है। वन्यजीव विशेषज्ञ पी. के. सेन का कहना है कि, ‘‘पन्ना वन्यजीव अभयारण्य की भूमि के कुछ हिस्सों को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय के समाने रखा जाना है, लेकिन वन्यजीवों के आवास के खतरे को देखते हुए इस पर किसी कीमत पर सहमति नहीं दी जानी चाहिए।’’
रिहंद की सिमटती जा रही जलग्रहण क्षमता
Posted on 01 Dec, 2009 07:25 AMJul 22, 12:18 amरेणुकूट (सोनभद्र) । एशिया के सबसे विशाल रिहंद डैम की जलग्रहण क्षमता दिन-ब-दिन सिमटती जा रही है। इस डैम की अधिकतम जल ग्रहण क्षमता 880 फीट है लेकिन वह अपने न्यूनतम जल स्तर 830 फीट के करीब पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ व कुछ हद तक बनी व्यवस्था का सही तरीके से निर्वहन न किए जाने से डैम की जलग्रहण क्षमता कम हो रही है। इसकी वजह से तीन सौ मेगावाट विद्युत
जल संरक्षण का पाठ पढ़ेंगे बच्चे
Posted on 21 Nov, 2009 08:42 AMबढ़ते जल संकट व पानी की बर्बादी रोकने के लिए बोर्ड ने स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। क्लास एक से नौवीं तक के स्टूडेंट्स को पानी की उपायोगिता व जल संरक्षण की जानकारी दी जाएगी। अवेयरनेस कार्यक्रम के लिए बोर्ड ने शिक्षकों के लिए अलग से मैनुअल बुक भी तैयार की है। इसकी सहायता से स्कूल जल संरक्षण के कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे।सीवेज ट्रंक बन गईं जीवनदायिनी
Posted on 08 Nov, 2009 03:12 PMशिवालिक पहाड़ से निकलने वाली हिंडन नदी वेस्ट यूपी के एक बड़े हिस्से की हरियाली का कारण थी। अब यह नदी अपना प्राकृतिक अस्तित्व खो चुकी है। इसमें आबादी का गंदा पानी, फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी बहता है। इसमें आक्सीजन की मात्रा भी बेहद मामूली रह गई है। पर्यावरण विद डा. एस.के.
आईआईटी कानपुर द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग सम्बन्धी कान्फ़्रेंस (WHSC- 23-25 Nov.2009)
Posted on 07 Nov, 2009 09:40 AMआईआईटी कानपुर द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग (जल संचयन), भण्डारण और संरक्षण के सम्बन्ध में एक कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय इस सम्मेलन में जल भण्डारण, पानी के संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग से सम्बन्धित सभी तकनीकी विकल्पों, नीति निर्देशों पर विस्तार से चर्चा कर इस दिशा में आगे का मार्ग निश्चित किया जायेगा।
सम्मेलन के उद्देश्य -