उत्तर प्रदेश

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नरेगा साबित हुई वरदान
Posted on 21 Apr, 2009 08:29 AM


Oct 10, 08
सोनभद्र । जनपद में जल संरक्षण के लिए विगत दो वर्ष से बेहतर कार्य हो रहा है। इसका खासा असर भी देखने को मिल रहा है। हाल के वर्षों में यहां का भूगर्भजल जिस तेजी से नीचे खिसक रहा था उसे देख सभी चिन्तित हो उठे थे लेकिन पहाड़ी इस जिले में नरेगा काफी कारगर साबित हुई है। वर्षा के जल को संचित करने से अब भूगर्भजल तेजी से ऊपर की तरफ आ गया है।

जलस्रोतों का संरक्षण करें
Posted on 18 Apr, 2009 07:30 PM

उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच का निर्देश

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार को निर्देश दिया है कि आने वाले समय में जल की होने वाली कमी से निपटने के लिये समूचे उत्तरप्रदेश में झीलों, तालाबों और अन्य जलस्रोतों का संरक्षण और उचित संधारण किया जाये। जस्टिस देवीप्रसाद सिंह ने एक सुनवाई के दौरान यह निर्देश भी दिया कि यदि कोई क्षेत्र या भूमि का टुकड़ा किसी जलस्रोत या तालाब/झील के लिये आरक्षित
सिर्फ अभिलेखों में रह गये हैं तालाब
Posted on 18 Apr, 2009 12:19 PM जागरण याहू/ Mar 26,09

लखीमपुर : नगर पालिका परिषद सीमा के अन्तर्गत अट्ठाइस तालाब दर्ज हैं। इसमें द्वारिका वार्ड में ही दो तालाब अंकित है। इनमें गाटा संख्या 488 का तालाब 0.061 हैक्टेयर और गाटा संख्या 499 का तालाब 0.551 हेक्टयर क्षेत्रफल में होना अंकित है।
यमुना सफाई अभियान
Posted on 01 Apr, 2009 08:53 AM तिथिः रविवार, अप्रैल 5

स्थानः पोइया घाट, आगरा

समयः सुबह 10-12 बजे

रिवर्स ऑफ द वर्ल्ड(रॉ) फाउंडेशन और एलिस फर्ग्युसन फाउंडेशन, अमेरिका के सहयोग से 5 अप्रैल को आगरा में यमुना की सफाई का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में बहुत से युवक स्वेच्छा से सहयोग करेंगे।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-
बृज खंडेलवाल
उत्तर प्रदेश के जल में “आर्सेनिक” का जहर
Posted on 17 Mar, 2009 09:39 AM


एक तरफ हम विश्व जल दिवस (22 मार्च) मनाने की तैयारी कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी लक्ष्य घोषित किए जा रहे हैं, लोगों को साफ सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के जितने प्रयास किए जा रहे हैं वहीं ऐसा लगता है कि मंजिल कोसों दूर होती जा रही है। हाल में मिलने वाली खबरें कुछ ऐसे ही खतरे का संकेत दे रहीं हैं।

बुंदेलखंड का सूखा
Posted on 08 Mar, 2009 12:21 AM

और किसानों की आत्महत्या


देविंदर शर्मा
नोबेल पचौरी
Posted on 06 Mar, 2009 08:04 AM
मनोज तिवारी
वाराणसी में भारतीय रेलवे के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स से प्रबंधकीय कार्य की शुरुआत करने वाले भारत के एक सपूत आरके पचौरी ने नोबल शांति पुरस्कार में भारत को हिस्सेदारी दिलाई है। नैनीताल में जन्मे इस देसी सपूत ने दुनिया के बड़े से बड़े मंच पर हिंदुस्तान का परचम लहराया है। नोबल पुरस्कार में हिस्सेदारी बांटने का यह गौरव पचौरी की अध्यक्षता वाली इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) संस्था को मिला है। पारिस्थितिकी परिवर्तन और उसमें बनने वाली नीतियों में भी पचौरी का अंतर्राष्ट्रीय दखल हमेशा रहा है। इस दखल ने ही देश के इस पर्यावरणविद को पारिस्थितिकी के क्षेत्र में विश्वव्यापी आयाम दिलवाया।

नैनीताल की सुरम्य वादियां श्री पचौरी को हमेशा पर्यावरण सुरक्षा के प्रति उनके दायित्व की याद दिलाती रहीं।
भारत का जल संसाधन
Posted on 25 Feb, 2009 10:05 AM

संपादक- मिथिलेश वामनकर/ विजय मित्रा

Rainwater harvesting natural method
प्रकृति को हक़ देने वाला पहला देश : इक्वाडोर
Posted on 20 Feb, 2009 07:50 AM

October 11, 2008/ अफ़लातून
प्रकृति और पर्यावरण को हक़ देने वाला इक्वाडोर पहला देश बन गया है। २८ सितम्बर २००८ को देश के ६८ फीसदी जनता ने मतदान द्वारा इस देश के लिए एक नया संविधान मंजूर किया है। कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय के तीसरे साल तक की मुफ़्त शिक्षा , सबके लिए मुफ़्त चिकित्सा के अलावा नदियों, जंगल, पौधों और जानवरों को भी अधिकार मिले हैं। नये संविधान की निसर्ग सम्बन्धी एक धारा कहती है - ‘इन कुदरती संसाधनों को बने रहने, फलने - फूलने और विकसित होने का अधिकार होगा।’

मैली सरायन नदी
Posted on 19 Feb, 2009 07:58 AM Jan 22, 2009/ जागरण याहू
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