उत्तर प्रदेश

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सोनभद्र की नदियां
Posted on 29 Sep, 2009 09:33 AM

सोनभद्र जनपद की छोटी बड़ी सभी नदियां किसी न किसी मानवीय प्रभाव से प्रभावित है। कुछ नदियां असमय सूख गयी है तो कुछ बड़ी नदियों में कल कारखानों के कचड़े के अपमिश्रण से जल प्रदूषण की सीमाओं को पार कर गया है। नदियों के पौराणिक महत्व तो हैं ही साथ ही आर्थिक, यातायात व व सामाजिक दृष्टि से भी इनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता। अवैध बालू खनन से कहीं नदियों का मूल जल प्रवाह प्रभावित हो रहा है तो कहीं जलीय

वृंदावन के ब्रह्म सरोवर का पुनरोद्धार
Posted on 22 Sep, 2009 04:03 PM
तस्वीर में दिखाई दे रहा ब्रह्म सरोवर को देखकर आप सोच नहीं सकते कि यह तालाब कभी ऐसा नहीं था। पिछली सर्दियों में एक स्वयंसेवी समूह ने जब कचरे के ढेर तले दबे पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक सरोवर का पुनरोद्धार कार्य आरंभ किया तो जनता आमतौर पर उदासीन थी। कुछ लोगों ने तो इसे समय की बर्बादी भी कहा था।
अनिल राणा पानी-पर्यावरण का अगुआ (स्मृति पत्र)
Posted on 12 Sep, 2009 07:28 PM
मुझे पहली मुलाकात में ही दो तीन चीजें समझ में आयी। एक तो यह कि राणा साहब दोस्ती में पहले हाथ नहीं बढ़ाते और अगर दिल-दिमाग मिल गया तो साथ कभी नहीं छोड़ते। दूसरे, खामोश सा दिखने वाला यह शख्स दरअसल गुमसुम नहीं रहता है। जमीन पर पैर जमाकर वे आकाश पर एक ऐसा इन्द्रधनुष खींचना चाहते थे, जिसे दुनिया देखे और उन्होंने इसे सच कर के दिखा दिया।
एक मरती हुई नदी गोमती
Posted on 08 Sep, 2009 08:29 AM
गोमती नदीजब आसमान में बाद
जल की जय हो
Posted on 02 Sep, 2009 08:00 PM

भारत में जल की बढ़ती हुई मांग और अनुपलब्धता को देखते हुए कैबिनेट कमेटी ने 2007 को जल वर्ष के रूप में अनुमोदन किया था । इस देश में पानी की उपलब्धता 4000 लाख घन मीटर है जिसमें से 2150 लाख घन मीटर पृथ्वी की निचली सतह में चला जाता है । 1150 लाख घन मीटर नदी व नालों में जल भराव के रूप में बह जाता है और 700 लाख घन मीटर भाप के रूप में नष्ट हो जाता है । हमारे देश में कुल उपलब्ध पानी से लगभग 1400 लाख हैक

जहरीला हुआ उन्नाव का भूजल
Posted on 25 Aug, 2009 02:21 PM उन्नाव जिले में भूगर्भीय जल स्तर का जायजा लेने आई टीम को जिले की 954 ग्राम पंचायतो में से 618 पंचायतों का स्तर अनुपयोगी लगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि सफीपुर विकास खंड के 101, गंजमुरादाबाद के 8, फतेहपुर चैरासी के 24, बांगरमऊ के 39, हसनगंज के 76, मियागंज के 131, औरास के 116, सिकंदरपुर सरोसी के 64, नवाबगंज के 149, बिछिया के 45, सिकंदरपुर कर्ण के 29, हिलौली के 123, असोहा के 48, पुरवा के 116, सुमेरपुर के 112 एवं बीघापुर विकासखंड के 65 मजरो का भूगर्भीय जल पूरी तरह प्रभावित हो चुका है।उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसा हुआ एक जिला उन्नाव का भूमिगत जल अब पीने योग्य नहीं रहा। गंगा के तट पर स्थित मैदानी इलाका होने के कारण यहां की जमीन काफी उपजाऊ मानी जाती है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार कुल 22,00,397 की आबादी वाले जिले में चमड़ा उद्योग सबसे बड़ा एवं स्थापित उद्योग है। कुल 4,558 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले जिले में चमड़ा उद्योग के बढ़ते संजाल से भूगर्भीय जल सतह के साथ साथ कृषि भूमि व जन स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। इसके बावजूद भी प्रशासन इनकी असंयमित कार्यप्रणाली पर नियंत्रण करने के बजाय इन्हें ही बढ़ावा दे रहा है। यह बात जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मृदा परीक्षणों के परिणाम से उजागर हुई है। यह परीक्षण भारत सरकार की सहकारी संस्था इफको (इंडियन फारमर्स फर्टिलाजर्स कोआपरेटिव लिमिटेड) की प्रयोगशाला में किया गया है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए 180 नमूनों से यह निष्कर्ष सामने आए हैं कि जिले की भूमि की ऊपरी सतह में क्षरीयता के साथ-साथ आर्सेनिक कार्बन व क्रोमियम जैसे घातक तत्व जरूरत से ज्यादा है।
लखनऊ में आर्सेनिक
Posted on 16 Aug, 2009 06:06 PM
जमीन के नीचे का पानी भी अब सुरक्षित नहीं रहा। लखनऊ के भूजल में आर्सेनिक जैसे घातक रसायन मिलने की पुष्टि हुई है। जल संस्थान के 14 ट्यूबलों से लिए गए पानी के नमूनों में से सात में आर्सेनिक पाया गया है। मानकनगर व आशियाना समेत शहर के कई इलाकों के भू-जल में यह जहर मिला है। हालाँकि निरालानगर सबसे अधिक प्रभावित है। विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए पानी के 24 नमूनों में 0.020-0.030 मिलीग्राम प्रति लीटर आर्सेनि
भूगर्भ जल विभाग, उत्तर प्रदेश
Posted on 30 Jul, 2009 11:58 AM
एक परिचय

राज्य में भूगर्भ जल स्रोतों के नियोजित उपयोग, प्रबन्धन, अनुसंधान एवं अन्वेषण हेतु वर्ष 1975 में स्वतन्त्र विभाग के रूप में भूगर्भ जल सर्वेक्षण संगठन के नाम से एक पृथक विभाग स्थापित किया गया। वर्ष 1983 में इसका नाम परिवर्तित कर 'भूगर्भ जल विभाग' कर दिया गया।
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