शिमला जिला (हिमाचल प्रदेश)

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कितने पुख्ता हैं पॉलिथीन फ्री प्रदेश के दावे…
Posted on 14 Jul, 2011 03:54 PM

आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि इन डिपुओं में तेल, रिफाइंड, दालें व नमक पॉलिथीन की पैकिंग मे

प्रदेश की अधिकतर कृषि भूमि हो रही है बंजर
Posted on 21 Jun, 2011 03:16 PM

जब तक हमारे कूहलों की स्थिति अच्छी नहीं होगी, तब तक कृषि पैदावार के आंकड़ों में बढ़ोतरी होना मु

हिमाचल के संगठनों ने लोक पर्यावरण दिवस मनाया
Posted on 20 Jun, 2011 03:43 PM विश्व पर्यावरण दिवस को खेगसू में ‘लोक पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया गया। इस दिवस का आयोजन दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव पर 5 जून को सरकारी योजन के रूप में तथा लोक और स्वयंसेवी कार्यक्रम के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है। मानव और प्रकृति के बीच संतुलित सम्बंधों को बनाए रखने के लिए संघर्ष व वैकल्पिक कार्यक्रम बनाने और उसे कार्यरूप देने पर चिन्तन करने के लिए इसे मनाया जाता है।
राष्ट्रीय परिसंवादः प्राकृतिक संपदा पर समुदायों के अधिकार और आजीविका
Posted on 16 Jun, 2011 04:47 PM परंपरागत समुदायों के आजीविका के अधिकार और आंदोलनों की एकजुटता पर राष्ट्रीय परिसंवाद

स्थान- बन्जार, कुल्लु, हि0प्र0
तारीख- 24 से 26 जून 2011

प्रिय साथी,
मंच से खदेड़े गए अफसर
Posted on 09 May, 2011 10:55 AM

रामपुर बुशहर। सतलुज नदी पर प्रस्तावित 775 मेगावाट क्षमता की लूहरी परियोजना के लिए मंडी के परलोग गांव में आयोजित जन सुनवाई शनिवार को जन विरोध के चलते रद्द करनी पड़ी। जन सुनवाई में करीब 500 स्थानीय लोग परियोजना के विरोध में नारे लगाते हुए पहुंचे। महिलाओं ने अधिकारियों को मंच से उतरवा कर विरोध किया। इसके चलते, तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद अधिकारियों को आखिर सुनवाई रद्द करनी ही पड़ी। हिमाचल प्रदेश प

चिंताजनक हैं विलुप्त होती हिमाचल की झीलें
Posted on 21 Mar, 2011 06:39 PM

कहीं ये करोड़ों वर्षों की प्रकृति की अमूल्य निधि हमारे बीच से विलुप्त न हो जाए। समय रहते इनके म

शिमला की सीवेज व्यवस्था का हाल
Posted on 28 Feb, 2011 09:25 AM

सफाई व्यवस्था का सबसे अहम तत्व है सीवेज व्यवस्था। शिमला का वर्तमान सीवेज सिस्टम सन् 1880 में 16000 की आबादी के लिए बनाया गया था, जो कि आज लगभग ढाई लाख की आबादी का सीवेज ढो रहा है।

बचाने होंगे हिमाचल के पहाड़ नदियां और कृषि भूमि
Posted on 09 Feb, 2011 03:02 PM

सत्ताधारियों से मिलकर नौकरशाही और दलाल, हालात ही ऐसे बना देते हैं कि किसान अपनी उर्वर कृषि भूमि को बेचने के लिए मजबूर हो जाए…

सतलुज की कहानी
Posted on 07 Mar, 2010 03:49 PM

सतलुज का उद्गम राक्षस ताल से हुआ है। राक्षस ताल तिब्बत के पश्चिमी पठार में है। यह सुविख्यात मानसरोवर से कोई दो कि.मी. की दूरी पर है। सतलुज शिप्कीला से भारत के किन्नर लोक में प्रवेश करती है। किन्नर देश में सतलुज को लाने का श्रेय वाणासुर को दिया जाता है जैसे गंगा को लाने का श्रेय भगीरथ को है और इसी कारण गंगा का नाम भागीरथी भी है। किंतु सतलुज का नाम वाणशिवरी नहीं हैं। एक कथा के अनुसार पहले किन्नर दो राज्यों में विभक्त था। एक की राजधानी शोणितपुर (सराहन) थी और दूसरे की कामरू। इन राज्यों में बड़ा बैर था और अक्सर युद्द हुआ करते थे। वाणासुर शोणितपुर में तीन भाई राजकाज करते थे। वाणासुर और उसकी प्रजा को मार डालने के लिए उन तीनों भाइयों ने किन्नर देश में बहने वाली एक नदी में हज़ारों मन ज़हर घोल दिया। इससे हज़ारों लोग, पशु-पक्षी मर गए। भयंकर अकाल पड़ गया।

बर्फ के कुएं
Posted on 31 Dec, 2009 05:36 PM

हिमाचल प्रदेश के ऊँचाई पर स्थित शिमला जैसे शहरों में बर्फ के कुएं होना एक आम बात थी, जिसमें लोग बर्फ को जमा करते थे। आज इन ढांचों का कोई उपयोग नहीं होता है, जैसे: शिमला मेडिकल कॉलेज के समीप एक बेकार पड़ा हुआ बर्फ का कुआँ है जो कलई की हुई शीट की एक छतरी से ढका हुआ है, जिससे इस कुएं को गर्मी से बचाया जाता था। इसे एक सकरे रास्ते से सड़क के साथ जोड़ा गया था। इसकी गहराई 15 फीट के करीब थी और व्यास कर

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