पटना जिला

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पत्थरों पर खिलाए फूल
Posted on 06 Feb, 2012 11:50 AM

सहरसा के पटुआहा में बैंक की नौकरी छोड़कर वरुण सिंह ने डेयरी उद्योग लगाया है तथा वर्मी कम्पोस्ट का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें भी प्रोत्साहित किया। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गांवों की आर्थिक हालत में बेहतरी के लिए वैसे पेड़ लगाने का माहौल बनाया जा रहा है जो कम समय में बड़े होकर किसानों को अधिक पैसे देते हैं। मधेपुरा के सिंहेश्वर में निदान बायोटेक के संचालक सुधीर कुमार सिंह द्वारा आस्ट्रेलियन टीक के उत्पादन का प्रयोग मुख्यमंत्री को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने आवास पर भी लगाने का निर्देश दिए। यह पौधा पांच साल में लाखों रुपए देता है।

हौसला बुलंद हो तो बाधाओं के पहाड़ भी भरभरा कर गिर जाते हैं। दृढ़इच्छा शक्ति से नामुमकिन काम भी आसान हो जाता है, पसीना पत्थरों को पिघलाने में सफल होता है और तब खिलते हैं पत्थरों पर सुगंधित फूल। पहाड़- पुरुष के नाम से विख्यात गया के दशरथ मांझी ने गेहलौर पहाड़ी काटकर रास्ता बनाया था। बिहार ने उनके नाम पर दशरथ मांझी कौशल योजना चलाकर उनके इस जज्बे को सम्मान दिया।
नदियों के किनारे अवैध खनन से बढ़ रहा है प्रदूषण
Posted on 07 Dec, 2011 09:41 AM

खनन माफिया लगातार रेत निकाल रहा है और सोन समेत कई नदियां तबाह हो रही हैं। बिहार सरकार ने पत्थर

पानी साफ करने का देशी तरीका : मटका फिल्टर
Posted on 02 Dec, 2011 01:47 PM

मेघ पाईन अभियान अपने शुरूआती दौर में उत्तर बिहार के विभिन्न बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का अध्ययन किया। अध्ययन के उपरान्त चार जिलों (सुपौल, सहरसा, खगड़िया तथा मधुबनी) के एक-एक पंचायत में बाढ़ के समय आनेवाली समस्याओं में प्रमुख समस्या ‘‘शुद्ध पेय जल की समस्या’’ को चुनौती के रूप में स्वीकार किया। अभियान स्थानीय संसाधन व तकनीक से ‘वर्षाजल’ संग्रहण कर इसे पेयजल स्रोत के रूप में उपयोग करने की जानकारी लोगों क

स्वच्छ पेयजल का स्थायी विकल्प कुआँ
Posted on 02 Dec, 2011 01:10 PM

लोगों की आस्था और विश्वास के प्रतीक गंगा नदी बिहार राज्य के मध्य होकर पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती है। बिहार में गंगा के उत्तरी भाग को उत्तरी बिहार कहा जाता है। उत्तर बिहार में हिमालय पर्वत की शिवालिक पहाड़ियों से होकर घाघरा, गंडक, बागमती, कमला, भुतही बलान, कोसी और महानन्दा नदियां निकल कर गंगा की मुख्यधारा में समाहित हो जाती है। इन नदियों से प्रतिवर्ष बाढ़ आती है जिससे 18-22 जिले हमेशा प्

फायदेमंद शौचालय
Posted on 01 Dec, 2011 11:00 AM

बाढ़ के समय बाढ़ प्रभावित लोग जिनका आश्रय स्थल बांध, छोटी-सी जगह में ऊँची जमीन, रेलवे स्टेशन, विद्यालय भवन, पंचायत भवन, राष्ट्रीय उच्च मार्ग होता है। जिनमें गर्भवती महिलाएँ, छोटे बच्चे, नवजात शिशु की मां, बीमार लोग, बूढ़े लोग किशोरियां होती हैं। इन लोगों को चार महीने में स्वच्छता सुविधाओं का घोर अभाव होता है। ऐसी स्थिति में बाढ़ प्रभावित खासकर पुरुष वर्ग शौच करने के विभिन्न तरीकों को अपनाते हैं

बिहार में बांस का बना शौचालय
वर्षाजल भंडारण-जल कोठी
Posted on 01 Dec, 2011 10:17 AM

मेघ पाईन अभियान इस विश्वास पर आधारित है कि हर व्यक्ति को ‘गरिमा, दृढ़ संकल्प और प्रभुत्व‘ के साथ जीवन व्यतीत करने का अधिकार है। अभियान एक प्रतिबद्धता है, जो ग्रामीण समुदाय के बीच व्यवहार परिवर्तन की कोशिश कर रहा है, ताकि समाज प्रभावी ढंग से पुनर्जीवित हो। जल और स्वच्छता प्रबंधन की परंपरागत मुख्यधारा के मुद्दों कोसामूहिक जबाबदेही और क्रिया के माध्यम से प्रदर्शित करें। यह जमीनी संस्थाओं और पेसेवर

बांस के कमीचे से निर्मित जल कोठी
रासायनिक खेती का विकल्प
Posted on 12 Oct, 2011 12:59 AM

हरित क्रांति की देन रासायनिक खेती के दुष्परिणाम देश भर से सामने आने लगे हैं। बिहार भी इससे अछू

हरियाली और रास्ता
Posted on 26 Sep, 2011 11:15 AM

झारखंड के साथ ही बिहार से जंगलों का भी बड़ा हिस्सा अलग हो गया। कमोबेश जंगल विहीन हो गया बिहार। राजद की सरकार को पर्यावरण के इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत नहीं महसूस हुई। अब नीतीश बिहार में हरियाली के माध्यम से खुशहाली की राह निकालना चाहते हैं।

राज्य विभाजन के बाद झारखंड क्षेत्र के अलग हो जाने से वनों का हिस्सा कम हो गया और बिहार की हरियाली घट गई। राज्य में फिलहाल महज छह फीसदी क्षेत्र में जंगल है। प्रदेश के 27 जिले वनविहीन हैं। विकास और पर्यावरण संरक्षण में जंगलों और पेड़ों की खासी अहमियत रही है।
दूध के नाम पर जहर की खरीद-बिक्री
Posted on 19 Sep, 2011 03:44 PM

बिहार में सहकारिता क्षेत्र से तीन लाख 4 हजार दुग्ध उत्पादक परिवार जुड़े हैं। इनमें 14.7 प्रतिश

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