पश्चिम बंगाल

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मनरेगा योजना में नदी को मिला नया जीवन
Posted on 23 Aug, 2012 10:53 AM 23 अगस्त 2012, कोलकाता। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना को ढंग से लागू करने पर उसका एक सकारात्मक असर भी सामने आया है। सौ दिन काम देने की केंद्र सरकार की रोजगार गारंटी योजना के तहत न सिर्फ एक छोटी नदी को जीवन दान मिला है। बल्कि, बांध निर्माण होने से एक बड़े इलाके में हर साल आने वाली बाढ़ का संकट इस बार टल गया है। हावड़ा के उदयनारायनपुर इलाके में दामोदर वैली कारपोरेशन का अतिरिक्त जल अब कैचमेंट इलाके से बाहर निकल कर लोगों को तबाह नहीं कर रहा।

उदयनारायनपुर और आमता ब्लॉकों के अधिकांश हिस्से दामोदर नदी के पश्चिमी छोर से निकलने वाली शाखा नदी के किनारे पड़ते हैं। सिंचाई विभाग की भाषा में यह इलाका स्पिल कहा जाता है। जमींदारी के दिनों का एक जर्जर बांध बाढ़ की तेजी को नहीं झेल पा रहा था। हर साल ये इलाके जलमग्न हो जाते थे और लोगों के सामने विस्थापन का संकट होता था 2007 में जमींदारी बांध के पास से चार सौ मीटर का इलाका घंसक कर नदी में समा गया। तब से हालात और भी खराब हो चले थे। तब से पिछले साल तक सिंचाई विभाग, स्थानीय पंचायत, नगर विकास विभाग और ग्रामीण विकास विभागों के बीच यहां मरम्मत का खर्च वहन करने को लेकर खींचतान चल रही थी।

कहीं जरूरत से ज्यादा तो कहीं कम बारिश ने मुश्किले बढ़ाईं
Posted on 01 Aug, 2012 04:56 PM

पश्चिम बंगाल में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच धान के पौधों को खेतों में रोपने का काम पूरा कर लिया जाता है। लेकिन

कोलकाता की ‘किडनी’ को लगा रोग
Posted on 26 Jun, 2012 11:33 AM

अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से कोलकाता का वेटलैंड क्षेत्र तेजी से घट रहा है। एक अनुमान के अनुसार, अब यह क्षेत्र 10 हजार एकड़ तक सिमट कर रह गया है। इन दिनों सुंदरवन के इलाकों में जिस तरीके से विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ चल रहा है, इस कवायद का खास असर होता नहीं दिख रहा। यहां के पानी में ऑक्सीजन कम हो रहा है। आर्सेनिक की मौजूदगी के संकेत भी मिले हैं। पानी में आर्सेनिक की मात्रा 15 मिली ग्राम तक मिली है।

जंगली बिल्ली, छोटे बंदर, ऊदबिलाव, सफेद गर्दन वाले किंगफिशर, तितलियां और पानी के सांपों की विशेष प्रजातियां, जैसे अभी कल की ही बात लगती हैं। कोलकाता के एक हिस्से में ये वन्य जीव ऐसे दिखते थे, जैसे प्रकृति की किसी वीरान और हरी-भरी गोद में सांस ले रहे हों। हाल तक वन्य जीवों की ये विशेष प्रजातियां कोलकाता के पूर्वी छोर के किनारे से गुजरती बड़ी सड़क यानी ‘ईस्टर्न मेट्रोपोलिटन बाईपास’ के किनारे के तालाबों, दलदलों और छोटी झीलों के इर्द-गिर्द फैली हरियाली की विशेषता हुआ करती थी। वजह वन्य जीवों की ऐसी ढाई सौ से अधिक प्रजातियां सिर्फ और सिर्फ कोलकाता के जलभूमि क्षेत्र (वेटलैंड्स) में पाई जाती थी। लेकन अब भूमि के इस्तेमाल के कानूनों को तोड़-मरोड़ कर वेटलैंड्स पाटे जा रहे है और उन पर कॉलोनियां विकसित करने की होड़ लगी है, उससे प्रकृति का यह वरदान नष्ट हो रहा है। इससे भी कहीं ज्यादा रफ्तार से यहां की लुप्तप्राय प्रजातियों का रहा-सहा अस्तित्व भी संकट में है।
धंसती धरती जहर मिला जल
Posted on 08 Jun, 2012 09:29 AM

जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के 114 में से 78 वार्ड इलाकों के नलकूपों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है। 32 वार्ड इलाकों के नलकूपों में आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से बहुत अधिक प्रतिलीटर 50 माइक्रोग्राम पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक प्रति लीटर 10 माइक्रोग्राम है। आर्सेनिक-दूषण दक्षिण कोलकाता, दक्षिण के उपनगरीय इलाके और मटियाबुर्ज के इलाकों में ज्यादा मिला है।

अंग्रेजों के जमाने में बसाए गए पूरब के महानगर कोलकाता का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। शहर अब अपने ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग कर रहा है। अंग्रेजों के जमाने में विकसित की गई ढांचागत सुविधाओं पर निर्भर इस शहर के प्रशासन को इन दिनों बड़ी दो चुनौतियों की चेतावनी मिल रही है। एक ओर कोलकाता की धरती धंस रही है और दूसरी ओर, यहां से पानी में आर्सेनिक जहर घुलने लगा है। धरती इसलिए धंस रही है, कि जमीन के भीतर का पानी सूख रहा है। अंग्रेजों के जमाने में बनी सीवर लाइनें भीतर-भीतर टूट रही हैं। पेयजल में आर्सेनिक इसलिए घुल रहा है, कि महानगर में कंक्रीट का जंगल बढ़ने के साथ ही भूगर्भ जल का दोहन बढ़ा, जलस्तर नीचे पहुंचा और गहरे नलकूपों (ट्यूबवेल) से पानी निकालने की प्रक्रिया में आर्सेनिक भी पानी के साथ आने लगा। महानगर में धरती के धंसान की समस्या ने पिछले दो- एक वर्षों में बड़ा रूप ले लिया है।
देशी मछलियां बचाने की मुहिम
Posted on 15 May, 2012 12:24 PM

बारिश के मौसम में जब खेत-खलिहान डूब जाते हैं, तब धान के चीकट मिट्टी वाले खेतों में देशी मछलियां दिखती हैं- पूंटी

सुंदरवन पर प्रकृति और प्रगति का प्रकोप
Posted on 22 Mar, 2012 03:30 PM

अभी हाल ही में यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की पीठ ठोकी है कि उसने सुरक्षित जल

बंगाल से बांग्लादेश तक हिल्सा डिप्लोमेसी
Posted on 22 Aug, 2011 03:09 PM

बंगाल और बांग्लादेश की नदियों में विचरतीं हिल्सा मछलियाँ स्थानीय जनमानस को गहरे स्तर पर प्रभाव

क्या कह रहे हैं ये मैनग्रोव
Posted on 14 Aug, 2011 09:10 AM

खारे और दलदली सुंदरवन के डेल्टा में उगने वाले मैनग्रोव एप्पल यानी चाक केवड़ा की एक प्रजाति के पौधे कोलकाता में गंगा तट पर दिखे हैं। विशेषज्ञ इसे प्रकृति की नाराजगी का संकेत मानकर शोध में जुट गए हैं ….

मीठे पानी की गंगा और गंगा के किनारे उगते मैनग्रोव एप्पल यानी चाक केवड़ा ! यह कैसे संभव है? खारे पानी वाले दलदली क्षेत्र में उगने वाला पेड़ मीठे पानी के दलदल में आखिर क्यों उग रहा है? कोलकाता में गंगा के किनारे हाल में उगे ढेरों मैनग्रोव के पेड़ दिखे हैं। फौरी तौर पर वैज्ञानिकों का यह मानना है कि चूंकि सुंदरवन के डेल्टा इलाकों में समुद्र के पानी का जलस्तर 33 सेंटीमीटर सालाना की दर से बढ़ रहा है और संभव है कि समुद्र का खारा पानी ज्वार के समय गंगा के पानी में घुल रहा हो। इसका प्रतिफल हो सकता है कि मैनग्रोव की प्रजाति कोलकाता में उगने लगी है। अगर ऐसा है तो इसके दूरगामी खतरों का अंदाजा भर लगाया जा सकता है।

सुंदरवन के डेल्टा क्षेत्र से लगभग सौ-सवा सौ किलोमीटर दूर कोलकाता के गंगा तट पर पिछले दो सौ वर्षों के शोध इतिहास में कभी मैनग्रोव दिखने की चर्चा नहीं आई। समुद्र
अवैध खनन का मायाजाल
Posted on 01 Aug, 2011 10:58 AM कर्नाटक के लोकायुक्त एन.
बस 1 रुपये में पियो महीने भर साफ पानी
Posted on 15 Jul, 2011 12:07 PM

यह मॉडल स्थानीय जल सुरक्षा समितियों पर आधारित है, जिसमें दो नए स्तर जोड़े गए हैं- एक ग्राम पंचा

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