पश्चिम बंगाल

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जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होंगे सुन्दरबन के लोग
Posted on 08 Aug, 2015 11:45 AM बंगाल की खाड़ी के डेल्टा क्षेत्र में आलिया, सिड्र, नरगिस और हुदहुद
बंगाल के भूजल में आर्सेनिक मानव इतिहास की गंभीरतम त्रासदी (Arsenic in Bengal groundwater gravest tragedy of human history)
Posted on 02 Jul, 2015 12:24 PM आर्सेनिकयुक्त जल का नियमित सेवन चर्मरोग, पेट के रोग और फेफड़ा एवं
पश्चिम बंगाल : एक जलजला, मौत और खौफ का सिलसिला
Posted on 03 May, 2015 11:09 AM देश के अन्य भागों में भूकम्प के साथ बंगाल में भी भूकम्प के झटके लगे। पश्चिम बंगाल अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भूकम्प के लिये बेहद खतरनाक है। इसका उत्तरी भाग हिमालय से मिलता है और दक्षिणी भाग बंगाल की खाड़ी से। चिकनी मिट्टी से बनी यहाँ की जमीन पर सुंदर वन का सक्रिय डेल्टा है। 24 अप्रैल और 25 अप्रैल को भूकम्प से उत्तर बंगाल में अधिक तबाही हुई है। रिक्टर पैमाने
प्रदूषण से रुक रही हैं सुंदरबन के मैंग्रोव की सांसें
Posted on 07 Aug, 2014 04:34 PM मैंग्रोव वनबड़े क्षेत्र में फैले सुंदरबन में गरान (मैंग्रोव) के पेड़ों की ग्रीन हाउस गैसों में प्रमुख कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण से सोखने की क्षमता तेजी से घट रही है। ऐसा पान
सुंदरवन द्वीपों के समुद्र में डूबने का खतरा बना चुनावी मुद्दा
Posted on 30 May, 2014 12:33 PM भले ही देश भर में लोकसभा चुनावों में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दे छाए हुए हैं लेकिन सुंदरवन के मतदाताओं के लिए द्वीपों के डूबने का खतरा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां के मतदाता उम्मीदवारों से वायुमंडलीय तापमान में इजाफे के खतरे पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं। रॉयल बंगाल टाइगर के लिए मशहूर सुंदरवन द्वीप समूह के 54 द्वीपों में 40 लाख से ज्यादा मतदात
स्वच्छता की अहमियत सिखा रहा एक स्कूल
Posted on 31 Aug, 2013 11:18 AM सुंदरवन (पश्चिम बंगाल), 28 अगस्त (भाषा)। शौचालयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए धन की कमी के कारण सुंदरवन में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में अध्यापकों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने परिसर में साफ-सफाई रखने के लिए छात्रों का एक समूह बनाया है जो शौचालय भी साफ करता है।
कराह रहा गंगा डेल्टा, बेअसर होती हर पहल
Posted on 03 Nov, 2012 11:04 AM बंगाल में 520 किलमीटर तक बहती बड़े भूभाग का जीवन चलाती गंगा जब सागर से मिलने को होती है तो गति थामकर डेल्टा का रूप अख्तियार कर लेती है पर उत्तराखंड से निकलते ही उपेक्षा और दुर्व्यवहार झेलती गंगा का दर्द यहां बालू, पत्थर और वन माफिया और बढ़ा जाते हैं। राजनीतिक कारणों से उमा भारती की हालिया पहल भी बेअसर दिख रही है। अभी भारतीय जनता पार्टी की नेता उमा भारती ने बगाल के गंगासागर से अपने ‘गंगा समग्र अभियान’ की शुरुआत की। इस अभियान का विषय गंगा नदी के प्रदूषण और अस्तित्व के संकट की ओर ध्यान दिलाना भले था लेकिन बंगाल के राजनीतिक समीकरणों के चलते प्रभाव नहीं के बराबर रहा। शुरुआती चरण में ही बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस अभियान का विरोध कर दिया था। सरकार ने गंगासागर में जनसभा करने की अनुमति रद्द कर दी थी जिससे विवाद का जिन्न अभियान पर हावी हो गया। यह छुपा नहीं रह गया है कि उमा भारती ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी यह यात्रा शुरू की है। बंगाल के संदर्भ में भी उनके इस अभियान के राजनीतिक निहितार्थ थे लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गंगा के डेल्टा और डेल्टा के सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में प्रदूषण और गंगा के अन्य संकटों का सवाल पहली बार उठाया गया। वैसे, गंगोत्री से वाराणसी और पटना तक कई संस्थाएं सवाल उठाती मिल जाएगी।
जिंदगी चूर-चूर करते क्रशर
Posted on 19 Oct, 2012 10:41 AM बंगाल के चार जिलों में चल रहे छह सौ से अधिक क्रशर्स से 50 हजार की
राख और जहरीली गैस से बदरंग होती जिंदगी
Posted on 17 Oct, 2012 01:02 PM अतीत में यह जगह हवाखोरी के लिए उत्तम मानी जाती थी। यहां कई धनवानों
धारा से ध्वस्त होती नागरिकता
Posted on 30 Aug, 2012 12:04 PM

मालदा के पंचानंदपुर और मुर्शिदाबाद के धुलियान कस्बों को कभी विकसित इलाका माना जाता था। लेकिन अब उनका अस्तित्व ही नहीं है। मालदा में 1980 से अब तक 4816 एकड़ जमीन नदी में समा चुकी है। मालदा जिले से 40 हजार परिवार विस्थापित हो चुके हैं। 1995 के बाद से 26 गांव पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। इन गांवों में स्थित 100 प्राइमरी स्कूलों और 15 हाईस्कूलों का अब कहीं पता नहीं।

नाम: मंजूर आलम। उम्रः 52 साल। पताः खटियाखाना चक (द्वीप), हमीदपुर। कहने को तो यह हमीदपुर पश्चिम बंगाल मालदा जिले में पड़ना चाहिए। लेकिन बीच गंगा में नदी के इस द्वीप का पता कुछ भी नहीं है। मंजूर आलम ने 1979 में इस द्वीप के जिस छोर पर अपना घर बनाया था, वह जगह अब 15 किलोमीटर दूर निकल गई है। अब तक चार बार विस्थापित होकर नया आशियाना जोड़ते-जोड़ते अपना पता भी खो बैठा है मंजूर आलम। मालदा जिले में कालियाचक थ्री ब्लॉक के हमीदपुर ग्राम पंचायत इलाके में मंजूर आलम जैसे लगभग दो लाख लोगों में से लगभग हरेक की दास्तान है- जाएं तो कहां जाएं। नौ साल पहले तक ये सभी लोग पश्चिम बंगाल के नागरिक थे। लेकिन गंगा नदी में कटान के चलते उनका मूल गांव कटकर झारखंड की सीमा से जा लगा था।
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