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प्रयागराज जिला
रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य
Posted on 23 Jun, 2009 02:55 PMइलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि सम्पूर्ण जिले में भवनों के नक्शे स्वीकृत करते समय उनमें “रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” (Rainwater Harvesting) का होना अनिवार्य करें एवं इसका कड़ाई से पालन किया जाये। न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा है कि भवन मालिकों को पूर्णता प्रमाण-पत्र तथा भवन का कब्जा देने से पहले यह स
सफाई की मुहिम
Posted on 28 Jan, 2009 09:22 AMप्रयाग शुक्लमुंबई जैसे महानगर की लकदक छवियां, और जगह-जगह बिखरी गंदगी, एक -दूसरी को मुंह चिढ़ाती हैं। आगरा, जहां ताजमहल है, वहां का हाल तो बेहद चौंकाने वाला है।
पिछले कुछ वर्षों में हमारे नगरों-महानगरों में नई चाल की बहुतेरी चीजें आ गई हैं : लकदक मॉल, शॉपिंग सेंटर और शोरूम खुले हैं। कुछ महानगरों में मेट्रो (रेल) पर काम चल रहा है। खान-पान के रेस्तरां-होटल भी बड़ी तादाद में चारों ओर देखे जा सकते हैं। पेट्रोल पंपों को नया रूप मिला है। पर, इन्हीं के बीच गंदगी या कूड़े के ढेर भी बढ़े हैं।
कैसे मरने दें गंगा को
Posted on 25 Jan, 2009 08:50 AMजब हरिद्वार में ही गंगा जल आचमन के योग्य नहीं रहा, तो इलाहाबाद और वाराणसी का क्या कहना- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
अनेक वर्षों से मैं माघ मास की मौनी अमावस्या के पर्व पर प्रयाग जाता रहा हूं। कुछ वर्ष पूर्व जब मैं माघ मेले के अपने शिविर में जा रहा था, तब अनेक महात्माओं, कल्पवासियों एवं पुरी के शंकराचार्य जी आदि ने मुझे बताया कि गंगा की धारा अत्यंत क्षीण हो गई है और उसका जल लाल दिखाई दे रहा है। मुझे भी ले जाकर गंगा की वह स्थिति दिखाई गई। मैंने जब लोगों से गंगा की इस दुर्दशा का कारण जानना चाहा, तो पता चला कि गंगोत्री से नरौरा तक गंगा जी को कई स्थानों पर बांध दिया गया है, जिसके कारण हिमालय का यह पवित्र जल कई स्थानों पर ठहर कर सड़ रहा है, और जो जल दिखाई दे रहा है,
पराधीनता की बेड़ियों में कोई नहीं जकड़ा रहना चाहता चाहे वो मनुष्य हो या फिर जीव-जंतु और प्रकृति
Posted on 17 Aug, 2023 03:58 PMस्वतंत्रता किस मनुष्य अथवा जीव को प्रिय नहीं? जग में भला कौन ऐसा मानव होगा जो चाहेगा कि वो आजीवन परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा रहे?
कुंभ के बाद गंगा फिर से हुई मैली
Posted on 03 Jun, 2019 05:07 PM
गंगा मां है, जीवनदायिनी, मोक्षप्रदायिनी, पापनाशिनी है। इसकी निर्मलता को लेकर सरकार भी सतर्क है। हाल ही में जलशक्ति मंत्रालय का भी गठन किया गया है। बीते दिनों कुंभों के लिए 4 साल और 40,000 करोड़ का बजट खर्च होने के बाद गंगा निर्मल हुई थी, लेकिन अब यह आंचल फिर मैला होने लगा है। कुछ शहरों के नाले की पूरी पड़ताल की गई है।